रहिमन विद्या बुद्धि नहिं -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 27 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> ‘रहिमन’ विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम,जस, द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
‘रहिमन’ विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम,जस, दान ।
भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिन पूँछ-विषान ॥
- अर्थ
न तो पास में विद्या है, न बुद्धि है, न धर्म-कर्म है और न यश है और न दान भी किसी को दिया है। ऐसे मनुष्य का पृथ्वी पर जन्म लेना वृथा ही है। वह पशु ही है बिना पूँछ और बिना सींगो का।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख