एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

हलीशहर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:03, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण (Text replace - "गुरू" to "गुरु")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

हलीशहर कंचनपल्ली से दो मील दूर चैतन्य महाप्रभु के गुरु ईश्वरीपुरी का जन्म स्थान है।

  • बंगला के प्रसिद्ध कवि मुकुंदराम कविकंकण ने इस स्थान का नाम कुमारहट्टा भी लिखा है।
  • चैतन्यदेव यहां तीर्थयात्रा के लिये आये थे।
  • चैतन्य के शिष्य श्रीवास पंडित यहीं के निवासी थे।
  • चैतन्यदेव के विषय में पदावली लिखकर प्रसिद्ध हो जाने वाले कवि वासुदेव घोष का भी हलीशहर या कुमारहट्टा से सम्बंध था।
  • कुमारहट्टा ने वैष्णव सम्प्रदाय के साथ ही साथ शाक्तमत का काफ़ी प्रचार था।
  • काली के प्रसिद्ध कवि रामप्रसाद सेन भी यहीं के रहने वाले कहे जाते हैं।
  • यहां रामप्रसाद के सिद्धि प्राप्त करने का स्थल, पंचवट आज भी सुरक्षित है।
  • रामप्रसाद की काली-विषयक सुंदर भावमयी कविता आज भी बंगाल में बड़े प्रेम से गाईं जाती हैं


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर, पृष्ठ संख्या-1012

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख