अरविन्द आचार्य

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अरविन्द आचार्य पानी पर भगवान राम का चित्र बनाते हुए

अरविन्द आचार्य (अंग्रेज़ी: Arvind Acharya) जल की सतह पर रंग से चित्र बनाने वाले प्रसिद्ध चित्रकार हैं। 10 वर्षो के अथक प्रयास के बाद पानी की सतह पर रंगोली के रंग से चित्र बनाने की महाभारतकालीन कला को जीवित कर देने वाले अरविन्द आचार्य का नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स (Limca Book of Records) में शामिल है। मध्य प्रदेश में इन्दौर के अरविन्द आचार्य ने अब तक अनेक देवी देवताओं, आध्यात्मिक संतों, महापुरुषों, राजनेताओं एवं राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों का पानी पर चित्र बनाकर जन सामान्य को अचम्भित किया है। भारत के अनेक शहरों में उनकी कला का प्रदर्शन हो चुका है। भारतीय दूरदर्शन और थाईलैंड दूरदर्शन पर उनकी कला का प्रदर्शन प्रसारित हो चुका है। वरिष्ठ कलाकार अरविन्द आचार्य धुंए से भगवान के चित्र बना देते हैं। आंख पर पट्टी बांधकर अरविन्द हनुमान जी का चित्र भी बना चुके हैं।

सिर्फ़ 10 घंटों में पानी पर बनाया ताजमहल

दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत ताजमहल यूं तो हर हिंदुस्तानी के दिल में बसी है, लेकिन अब प्रेम के इस नायाब प्रतीक को विश्व के सात अजूबों में शामिल कराने के लिए अभियान जारी है। इस अभियान में भागीदारी के लिए इंदौर के कलाकार अरविंद आचार्य ने जल रंगोली के जरिये ताजमहल का तैरता नमूना बनाया। ट्रेजर आईलैंड में आचार्य ने पानी पर 15 X 15 आकार का ताजमहल क़रीब दस घंटों में पूरा किया। पानी पर ताज महल का चित्र बनाने में क़रीब 20 किलो वाटरप्रूफ रंगों का उपयोग किया गया। चित्र पूरा करने के बाद अरविंद आचार्य ने कहा कि ताजमहल का सौन्दर्य और भव्यता उन्हें हमेशा से आकर्षित करती रही है पहले भी वे पानी पर ताजमहल बना चुके हैं, लेकिन इस बार बड़े आकार में ताजमहल का चित्र बनाकर वे लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि वे ताज को सरताज बनाने के अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें। चित्र बनाने के दौरान कई लोगों ने खड़े होकर इस नज़ारे को देखा।

5 पांच घंटे में पानी पर बनाये राम और हुनमान

अरविन्द आचार्य ने पानी की सतह पर भगवान राम और हनुमान के चित्र उकेरकर अपनी रचनात्मकता से भगवान की आराधना की। पानी पर तैरते हुए राम और हनुमान को देखने के लिए लोगों की खूब भीड इकट्ठा हो गई। पानी पर चित्र बनाना आसान काम नहीं है। पानी की सतह पर रंग डालते ही रंग पानी में घुल जाते हैं और पानी रंगीन हो जाता है। रंग पानी में ना घुले और हर रंग अलग-अलग नज़र आए इसलिए अरविन्द ने रंगों में एक खास तरह का मटेरियल मिलाया। लेकिन इसके बाद भी पानी में चित्र बनाना आसान नहीं होता क्योंकि पानी पर ना तो चित्र के लिए कोई आउट लाइन बन सकती है और ना ही गलत होने पर उसे सुधारा जा सकता है। ऐसे में अरविन्द को बिना करेक्शन किए पानी पर अपने आराध्य को उतारना था। अरविन्द बताते है कि मैं भगवान का नाम लेकर इसमें जुट गया। मुझे ये विश्वास था कि जिसके नाम से पानी में पत्थर तैर सकते है पानी में उसका चित्र भी ज़रूर उभरकर आएगा। बस ये सोचकर उन्होंने चित्र बनाना शुरू कर दिया। लगभग 5 घंटे की मेहनत से उन्होंने पानी से भरे बर्तनों में भगवान राम और हनुमान जी की तस्वीर उकेर दी। आमतौर पर जब भी कोई कलाकर किसी भी देवी या देवता की प्रतिमा या चित्र बनाता है तो वो अपने सामने उनका कोई चित्र या फोटो ज़रूर रखता है। मगर अरविन्द ने ऐसा नहीं किया। अरविन्द कहते हैं कि जिस भगवान की ज़िन्दगी भर पूजा की है यदि उसका चित्र भी देखकर बनाना पड़े तो पूजा करने का मतलब ही क्या रहा। जैसे ही लोगों को अरविन्द के इन चित्रों के बारे में पता चला वैसे ही वहां भीड़ उमड़ने लगी। लोग पानी पर तैरते हुए भगवानों को देखकर हैरान थे। बीजलपुर के लोगों ने चित्र देखकर कहा कि उन्होंने कला और आस्था का इतना सुन्दर मेल कभी नहीं देखा।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पांच घंटे में पानी पर रंगों से उकेर दिए भगवान राम और हनुमान (हिन्दी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2015।

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