आप न काहू काम के -रहीम

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आप न काहू काम के, डार पात फल फूल।
औरन को रोकत फिरै, ‘रहिमन’ पेड़ बबूल॥

अर्थ

बबूल का पेड़ खुद अपने लिए भी किस काम का? न तो डालें हैं, न पत्ते हैं और न फल और फूल ही। दूसरों को भी रोक लेता है, उन्हें आगे नहीं बढ़ने देता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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