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ईसिस

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ईसिस जादू, कपट, शक्ति और ज्ञान की प्रसिद्ध मिस्री देवी। केब (पृथ्वी) और नुत (आकाश) की कन्या, शक्तिमान देव ओसिरिस की भगिनीजाया, और देव होरस (सूर्य) की माता। गाय उसकी पुनीत पशु थी और अपने मस्तक पर वह गोश्रृंण भी धारण करती थी। फ़िली, बेहबेत आदि मिस्री नगरों के विशाल मंदिर इसी देवी ईसिस की मूर्तियों की प्रतिष्ठा के लिए बने थे।[1]

नए राजवंश के अंत्यकाल से विशेषत: ईसिस की महिमा बढ़ी ओर देश में सर्वत्र उसकी पूजा लोकप्रिय हो गई। मिस्र के समूचे देश में तो वह पूजी ही गई, उसकी महिमा का प्रचार धीरे धीरे ग्रीस ओर रोम में भी हुआ। स्वयं मिस्र में उसके मंदिरों में छठी सदी ईसवी के मध्य काल तक भक्तों की भीड़ लगी रहती थी। पर तभी उस मंदिर के कपाट सदा के लिए बंद कर दिए गए और ईसिस की पूजा संसार से उठ गई। प्राचीन मिस्री अभिलेखों में, ओसिरिस की पत्नी होने के नाते, उसके साथ ही उसका भी उल्लेख तो हुआ ही है, स्वयं अपने अधिकार से भी उस देश के धार्मिक इतिहास में ईसिस का जितना प्रभुत्व रहा है उतना अन्य देवियों का दूसरे देशों में नहीं रहा।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 48 |
  2. सं.ग्रं.-ई.ए.डब्ल्यु : गॉड्स ऑव दि इजिप्शंस खंड 2, अध्याय 13|

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