कुण्ठा -दुष्यंत कुमार

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कुण्ठा -दुष्यंत कुमार
सूर्य का स्वागत
कवि दुष्यंत कुमार
मूल शीर्षक सूर्य का स्वागत
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन, इलाहाबाद
प्रकाशन तिथि 1957
देश भारत
पृष्ठ: 84
भाषा हिन्दी
शैली छंदमुक्त
विषय कविताएँ
दुष्यंत कुमार की रचनाएँ

मेरी कुंठा
रेशम के कीड़ों-सी
ताने-बाने बुनती,
तड़प तड़पकर
बाहर आने को सिर धुनती,
स्वर से
शब्दों से
भावों से
औ' वीणा से कहती-सुनती,
गर्भवती है
मेरी कुंठा – कुँवारी कुंती!

बाहर आने दूँ
तो लोक-लाज मर्यादा
भीतर रहने दूँ
तो घुटन, सहन से ज़्यादा,
मेरा यह व्यक्तित्व
सिमटने पर आमादा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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