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चित्र जानकारी
विवरण (Description) अर्जुन के द्वारा जयद्रथ का वध
उपलब्ध (Available) www.patrika.com
अन्य विवरण जयद्रथ के पिता ने इसे वरदान दिया था कि जो इसका मस्तक ज़मीन पर गिराएगा, उसका मस्तक भी सौ टुकड़ों में विभक्त हो जाएगा। इसलिए यदि इसका सिर ज़मीन पर गिरा तो तुम्हारे सिर के भी सौ टुकड़े हो जाएँगे। श्रीकृष्ण बोले-'पार्थ! तुम्हारा शत्रु तुम्हारे सामने खड़ा है। उठाओ अपना गांडीव और वध कर दो इसका। अर्जुन ने श्रीकृष्ण की चेतावनी ध्यान से सुनी और अपनी लक्ष्य की ओर ध्यान कर बाण छोड़ दिया। उस बाण ने जयद्रथ का सिर धड़ से अलग कर दिया।



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फ़ाइल का इतिहास

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दिनांक/समयअंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल)आकारप्रयोक्ताटिप्पणी
वर्तमान10:18, 26 मई 201610:18, 26 मई 2016 के संस्करण का अंगूठाकार प्रारूप।646 × 416 (87 KB)प्रभा तिवारी (चर्चा | योगदान)

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