तुलसी गेबार्ड
तुलसी गेबार्ड
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पूरा नाम | तुलसी गेबार्ड |
जन्म | 12 अप्रॅल, 1981 |
जन्म भूमि | अमेरिका |
प्रसिद्धि | पहली हिंदू अमेरिकी सांसद |
अद्यतन | 10:55, 13 अक्टूबर 2014 (IST)
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तुलसी गेबार्ड (अंग्रेज़ी: Tulsi Gabbard, जन्म:12 अप्रॅल, 1981) अमेरिकी कांग्रेस में पहली हिंदू अमेरिकी सांसद हैं। इनका जन्म 12 अप्रॅल, 1981 को अमेरिका के अमेरिकन समोआ में हुआ।
भारतीय प्रधानमंत्री से भेंट
अमेरिकी कांग्रेस में एकमात्र हिंदू सदस्य रसूखदार सांसद तुलसी गेबार्ड ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सितम्बर 2014 में पाँच दिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान मुलाकात की और भगवद्गीता की एक निजी प्रति उन्हें भेंट करते हुए कहा कि यह भारत के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में इसी गीता को लेकर उन्होंने सदस्यता की शपथ ली थी। नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद गेबार्ड ने ट्वीट किया था कि गीता जो मैंने आपको भेंट की, मेरे पास बचपन से थी, मध्य पूर्व वार जोन ड्यूटी के समय, कांग्रेस में शपथ ग्रहण के वक्त यह थी। इस गीता की अपेक्षा मेरे लिए कुछ ख़ास और अमूल्य नहीं हो सकता, जो मेरे पास बचपन से थी। उन्होंने कहा कि यह कहा जाता है कि जब आप किसी को अपनी सबसे मूल्यवान चीज देते हैं तो वह सबसे बड़ा तोहफा होता है क्योंकि आप अपनी बहुत ही प्यारी चीज का बलिदान देते हैं।
अंतराराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन
कांग्रेस में पहली हिंदू अमेरिकी सांसद तुलसी गेबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अंतराराष्ट्रीय योग दिवस के समर्थन में कांग्रेस द्वारा एक प्रस्ताव पारित कराने के लिए अपनी कोशिश का वादा किया। गेबार्ड ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रतिबद्धता जताई है कि अंतराराष्ट्रीय योग दिवस शुरू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के समर्थन में कांग्रेस में एक प्रस्ताव पारित कराने के लिए वह पहल करेंगी। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि योग को व्यापक रूप से गलत समझा गया है क्योंकि इसे जीवन शैली की चैतन्यता की बजाय व्यायाम की प्रणाली माना गया। दुनिया की राय है कि यह स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद कर सकता है, पर्यावरण चुनौतियों के समाधान के लिए अंतदृष्टि प्रदान करता है तथा विश्व शांति को बढ़ावा देने के साथ ही और भी इसके कई महत्व हैं। तुलसी गेबार्ड ने कहा कि वह और नरेंद्र मोदी इस बात पर सहमत हुए कि प्राचीन वैदिक ग्रंथों से आधुनिक विश्व को भेंट में मिले विस्तृत ज्ञान और समाधान से पश्चिम जगत् अचंभित होगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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