नई मंजिल योजना

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नई मंजिल योजना (अंग्रेज़ी: Nai Manzil Scheme) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा 2015 में शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओं को रोजगार योग्य कौशल से लैस करना है। दिसम्बर 2021 तक 6,57,802 अल्पसंख्यकों ने योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त किया।

योजना

यह योजना मुख्य रूप से 17 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के अल्पसंख्यक युवाओं पर केंद्रित है। वे स्कूल छोड़ने वाले और मदरसों जैसे सामुदायिक शिक्षा संस्थानों में शिक्षित युवा हैं। चयनित युवाओं को ‘नई मंजिल योजना’ के तहत प्रमाणन के साथ कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। यह योजना युवाओं को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार तलाशने में मदद करती है। इस योजना में अल्पसंख्यक लड़कियों के लिए 30 प्रतिशत सीट आरक्षित है।[1]

मुख्य उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य देश के युवाओं को कौशल प्रदान करना है।
  • इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओं और स्कूल छोड़ने वालों के लिए रोजगार संबंध स्थापित करना है।
  • मुख्य लक्ष्य देश में मानव संसाधन क्षमता को बढ़ाने में योगदान देना है।

उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करके इस योजना का उद्देश्य 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की राष्ट्रीय आकांक्षाओं को साकार करना है।

लक्षित समुदाय

यह योजना किन अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करती है? यह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करती है। वे बौद्ध, मुस्लिम, सिक्ख, जैन, ईसाई और पारसी हैं। इसमें गैर-अधिसूचित समुदाय भी शामिल हैं। गैर-अधिसूचित समुदाय वे हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। वे अल्पसंख्यक समुदाय नहीं हैं। यह मुख्य रूप से उन युवाओं को लक्षित करती है जिनके पास उचित स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं है। एक संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार पाने के लिए प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 नई मंजिल योजना (हिंदी) hindi.gktoday.in। अभिगमन तिथि: 07 दिसम्बर, 2021।

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