बिगरी बात बनै नहीं -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
‘रहिमन’ फाटे दूध को, मथै न माखन होय ॥

अर्थ

लाख उपाय क्यों न करो, बिगड़ी हुई बात बनने की नहीं। जो दूध फट गया, उसे कितना ही मथो, उसमें से मक्खन निकलने का नहीं।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख