भारतीय आयुध निर्माणियाँ

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भारतीय आयुध निर्माणियाँ
भारतीय आयुध निर्माणियाँ का प्रतीक
विवरण 'भारतीय आयुध निर्माणियाँ' भारत के रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। यह जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं।
देश भारत
स्थापना 1775
प्रकार सरकारी संगठन
उद्योग रक्षा
मुख्यालय आयुध भवन, कोलकाता
कुल निर्माणी संख्या 41
संबंधित लेख रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
अन्य जानकारी भारत में 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कुल 18 आयुध निर्माणियाँ थीं। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत 21 निमाणियों की स्थापना की गई, अधिकांशत: भारतीय सशस्त्र बलों के द्वारा तीन प्रधान युद्ध लड़ने के परिणामस्वरूप की गई।

भारतीय आयुध निर्माणियाँ (अंग्रेज़ी: Indian Ordnance Factories) एक भव्य औद्योगिक संरचना हैं, जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। भारतीय आयुध निर्माणियाँ जिसका मुख्यालय कोलकाता में है, वह 41 निर्माणियों , 9 प्रशिक्षण संस्थान, 3 क्षेत्रीय विपणन केन्द्र ओर 4 क्षेत्रीय संरक्षा नियंत्रणालयों का समूह है। यह जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं।

इतिहास

भारतीय आयुध निर्माणियों का इतिहास एवं विकास भारत में अंग्रेज़ी शासन काल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। इंगलैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने आर्थिक लाभ एवं अपनी राजनीतिक शक्ति को बढाने हेतु सैन्य सामग्री को महत्वपूर्ण अवयव के रूप में स्थापित किया। सन 1775 के दौरान ब्रिटिश प्राधिकारियों ने फ़ोर्ट विलियम, कोलकाता में आयुध निर्माणी की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की। यह भारत में थल सेना आयुध के प्रारम्भ को दर्शाता है। सन 1787 में ईशापुर गन पाउडर फैक्टरी की स्थापना की गई एवं 1791 से इसका उत्पादन शुरू हुआ।[1] सन 1801 में काशीपुर, कोलकाता में तोपगाड़ी एजेंसी[2] की स्थापना की गई एवं इसका उत्पादन 18 मार्च, 1802 से होने लगा। यह आयुध निर्माणियों की प्रथम औद्योगिक स्थापना थी, जो अपने अस्तित्व को आज की तिथि तक कायम रखे हुए है।

तीव्र विकास

अपनी वर्तमान प्रतिष्ठा में अग्रसर आयुध निर्माणियाँ निरंतर परंतु अत्यंत तीव्र गति से विकास कर रही है। भारत में 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कुल 18 आयुध निर्माणियाँ थीं। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत 21 निमाणियों की स्थापना की गई, अधिकांशत: भारतीय सशस्त्र बलों के द्वारा तीन प्रधान युद्ध लड़ने के परिणामस्वरूप की गई। बिहार के नालंदा में 40 वीं फैक्टरी निर्माणाधीन है।

प्रदत्त सुविधाएँ

आज आयुध निर्माणी बोर्ड भारत में फैली 41 निर्माणियों के साथ निम्न सुविधाएँ प्रदान करता है-

  1. बहु-प्रौद्योगिकी सामर्थ्यताओं के साथ एक बृहत् और परिवर्तनीय उत्पादन आधार।
  2. अत्याधुनिक उत्पादन सुविधाएं।
  3. कुशल और पेशेवर अर्हता प्राप्त जनशक्ति और प्रबंधकीय कार्मिकों का बृहत् भंडार।
  4. गुणवता मानकों का सख्त पालन[3]
  5. आवश्यकता आधारित परिष्करण एवं सुधार के लिए मौलिक एवं अनुकूलित अनुसंधान एवं विकास।
  6. अभियांत्रिकी सामर्थ्यता को आगे बढ़ाना।
  7. औद्योगिक प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए एक मजबूत आधार।
  8. सुविधाजनक स्थान के कारण रेडी मार्केट तक पहुँच।

भौगोलिक विस्तार

भारतवर्ष मे 41 आयुध निर्माणियाँ 24 विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित हैं। ये निर्माणियाँ एवं मुख्यालय विभिन्न स्थानों में स्थित हैं।

भौगोलिक विस्तार
क्र.सं. राज्य एवं संघ शासित प्रदेशों के नाम निर्माणियों की संख्या
1. महाराष्ट्र 10
2. उत्तर प्रदेश 9
3. मध्य प्रदेश 6
4. तमिलनाडु 6
5. पश्चिम बंगाल 4
6. उत्तरांचल 2
7. आंध्र प्रदेश 1
8. चण्डीगढ़ 1
9. उड़ीसा 1
10. बिहार 1

उत्पाद श्रेणी तथा प्रौद्योगिकी

आयुध निर्माणियों में उत्पादित सामग्री काफ़ी परिष्कृत एवं जटिल प्रकृति की हैं। उत्पादों की श्रेणियाँ सामान्यत: आश्चर्यजनक है। उत्पाद किसी भी सशस्त्र सेना के बृहत् एवं सर्वांगपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। यहाँ के उत्पाद संचालन में सुरक्षित, विश्वसनीय एवं सही प्रयोग के समय प्रतिकूल परिस्थितियों मे विषम जलवायु में भी समान क्षमता के साथ सुरक्षित रहेंगे। संयंत्र और प्रौद्योगिकियों का चुनाव इस तरह किया गया है कि उच्च श्रेणी की गुणता और अत्याधुनिक सी एन सी प्रौद्योगिकी का मिश्रण है। उत्पाद प्रक्रिया, अभियांत्रिकी के बड़े भाग- मेकेनिकल, इलैक्ट्रोनिकल, मेटालर्जीकल, रासायनिक, टेक्सटाईल, ऑपटिक्स और इलेक्ट्रोनिक्स को शामिल करती हैं। निर्माणियों का यह प्रयत्न है कि विश्व स्तर के उत्पादों का निर्माण सुरक्षा पहलुओं, उत्पादों एवं प्रक्रियाओं से बिना समझौता किए करें। सुरक्षा मानकों के पालन को उच्च प्राथमिकता दी जाती है एवं सुरक्षा के सिद्धांत और आपदा प्रबंधक योजना संगठन में चालू है। यहाँ के प्रमुख उत्पाद हैं- पिस्तौल/रिवॉल्वर की ख़रीद, नागरिक शस्त्र एवं कारतूस, गोला, बारूद, विस्फ़ोटक, नोदक एवं रसायन; सैन्य वाहन, कवचयुक्त वाहन, प्रकाशिक उपकरण, पैराशूट, सहायक उपस्कर, सामान्य भण्डार तथा माल, अवयव एवं विशेष कार्य हेतु मशीनें।

ग्राहक

भारतीय आयुध निर्माणियों के चुनिंदा ग्राहक भारतीय सशस्त्र सेनाएं हैं। सशस्त्र सेनाओं को आयुध की आपूर्ति के अतिरिक्त, आयुध निर्माणियाँ अन्य दूसरे उपभोक्ताओं की मांगों को भी पूरा करती हैं, जैसे- गोला बारूद, वस्त्र, बुलेट प्रुफ वाहन और सुरंग प्रतिरोधी वाहन की आपूर्ति इत्यादि। निर्यात के आयतन में वृद्धि एवं इसके कार्य विस्तार में फैलाव आयुध निर्माणियों का प्रमुख उद्देश्य रहता है। भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना तथा गृह मंत्रालय चुनिंदा ग्राहक हैं।

सिविल ट्रेड

उपरोक्त के अलावा सिविल क्षेत्र में भी बहुत से ग्राहक हैं, जैसे- सरकारी विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, निजी कम्पनियाँ एवं इत्यादि क्षेत्रों में अत्यधिक संख्या में ग्राहक हैं, जो कि औद्योगिक रसायन, विस्फोटक, एन पी बी हथियार एवं गोला बारूद, ब्रास इनगोट्स, एल्यूमिनियम एलॉय उत्पाद, स्टील कास्टिंग एवं फोर्जिंग, वाहन, वस्त्र एवं चमड़े का सामान, केबल एवं ऑप्टो इलैक्ट्रानिक्स यंत्र की ख़रीद करते हैं।

निर्यात

भारत एवं विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में भाग लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में विज्ञापन द्वारा उत्पाद प्रचार, मित्र देशों से प्रतिनिधियों के आगमन से भेंटवार्ता द्वारा, एजेंट एवं ग्राहकों के प्रतिनिधि द्वारा भारत एवं विदेश दोनों में निर्यात को बढाने हेतु भारतीय आयुध निर्माणियाँ सशक्त प्रयास कर रही हैं। ये नेपाल, थाइलैंड, मलेशिया, जर्मनी, टर्की के पारम्परिक बाज़ारों में आधार को बनाये रखते हुए अपने उत्पादों का निर्यात कर रही हैं एवं यू. एस. ए., इंडोनेशिया, ओमान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इजराइल एवं इजिप्ट (मिस्र) जैसे देशों के साथ नया बाज़ार खोलने हेतु प्रयासरत हैं। आयुध एवं गोला बारूद, शस्त्रों के कलपुर्जे, रसायन एवं विस्फोटक, चमड़ा एवं वस्त्र सामानों को विश्व के विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशों को भी निर्यात किए गए हैं।

आयुध निर्माणी परिवार

41 आयुध निर्माणियों का एक परिवार- भारतीय आयुध निर्माणियां संगठन, अपने संयुक्त मुख्यालय आयुध निर्माणी बोर्ड, कोलकाता के संरक्षण में आयुध निर्माण में 200 वर्षों से अधिक का अनुभव रखता है। ये जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं। भारत एवं विदेशों में प्राप्त संरक्षण इसके उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता का बखान करते हैं। निस्संदेह, ये सशस्त्र सेनाओं को सशक्त करती हैं। भारतीय आयुध निर्माणियाँ सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ा औद्योगिक ढांचा हैं जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। आयुध निर्माणियां रक्षा हार्डवेयर (यंत्र सामग्री) सामान एवं उपस्कर के स्वदेशी उत्पादन के लिए सशस्त्र सेनाओं को आधुनिकतम युद्धभूमि उपस्करों से सज्जित करने के प्रारंभिक उद्देश्यों के साथ एकनिष्ठ आधार की संरचना करती हैं।

अध्यक्ष तथा बोर्ड

शीर्ष बोर्ड की अध्यक्षता, अध्यक्ष के रूप में महानिदेशक आयुध निर्माणियाँ (डी. जी. ओ. एफ.) द्वारा की जाती है एवं इसमें अपर महानिदेशक पद के 9 सदस्य शामिल हैं। आयुध निर्माणियों को 5 प्रचालन प्रभाग में विभक्त किया गया है, जो मुख्य उत्पादों/प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है। ये निम्न प्रकार हैं-

  1. गोला बारूद एवं विस्फोटक (ए एंड ई)
  2. शस्त्र, वाहन एवं उपस्कर (डब्लू वी एंड ई)
  3. सामग्री एवं घटक (एम एंड सी)
  4. कवचित वाहन (ए वी)
  5. आयुध उपस्कर निर्माणी समूह (ओ ई एफ)

उपर्युक्त प्रत्येक निर्माणी समूह की अध्यक्षता सदस्य/अपर महानिदेशक, आयुध निर्माणियाँ द्वारा की जाती है। अन्य चार सदस्यों पर स्टाफ प्रकार्य, यथा कार्मिक (का.), वित्त (वि.), योजना एवं सामग्री प्रबंधन (पी एंड एम एम), तकनीकी सेवाएं (टी एस), का उत्तरदायित्व होता है एवं वे इसका संचालन कोलकाता से करते हैं।

पदानुक्रम
ग्रेड क्षेत्र में पदनाम मुख्यालय में पद
जूनियर टाइम स्केल सहायक कार्य प्रबंधक सहायक निदेशक
सीनियर टाइम स्केल कार्य प्रबन्धक उप निदेशक
सीनियर टाइम स्केल (गैर-क्रियात्मक) उप महाप्रबंधक संयुक्त निदेशक
कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (क्रियात्मक) संयुक्त महाप्रबंधक निदेशक
वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड अपर. जीएम / महाप्रबंधक उप महानिदेशक
उच्च प्रशासनिक ग्रेड वरिष्ठ महाप्रबंधक वरिष्ठ उप महानिदेशक
उच्च प्रशासनिक ग्रेड (+) शून्य अपर. बोर्ड के महानिदेशक और सदस्य
सर्वोच्च स्केल शून्य महानिदेशक आयुध निर्माणियों (DGOF) और आयुध कारखाना बोर्ड के अध्यक्ष

मुख्य घटनाएं

आयुध निर्माणियों के विकास क्रम की मुख्य घटनाएं निम्न प्रकार से सूचीबद्ध की जा सकती हैं-

  1. 1801 - काशीपुर, कोलकाता में गन कैरिज एजेंसी की स्थापना।
  2. 1802 - 18 मार्च, 1802 से काशीपुर में उत्पादन की शुरुआत।
  3. 1906 - भारतीय आयुध निर्माणियों के प्रशासन का दायित्व 'आई जी आयुध निर्माणियों' के अधीन आ गया।
  4. 1933 - निदेशक, आयुध निर्माणियाँ को प्रभार प्रदान किया गया।
  5. 1948 - रक्षा मंत्रालय के सीघे नियंत्रण के अधीन।
  6. 1962 - रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई।
  7. 1979 - दिनांक 2 अप्रैल से आयुध निर्माणी बोर्ड अस्त्तित्व में आया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1904 में स्थापित की गई राइफल फैक्टरी
  2. वर्तमान में तोप एवं गोला निर्माणी , काशीपुर के नाम से जानी जाती है।
  3. सभी इकाईयाँ आई. एस. ओ. 9000 प्रमाणित है।

बाहरी कड़ियाँ

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