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मोहन प्यारे द्विवेदी का परिचय

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मोहन प्यारे द्विवेदी का परिचय
मोहन प्यारे द्विवेदी
पूरा नाम पं. मोहन प्यारे द्विवेदी
अन्य नाम पंडित जी, प्यारे मोहन
जन्म 1 अप्रॅल, 1909
जन्म भूमि बस्ती ज़िला, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 अप्रॅल, 1989
मृत्यु स्थान बस्ती ज़िला, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारतीय
कर्म-क्षेत्र साहित्य
मुख्य रचनाएँ नौमिषारण्य का दृश्य, कवित्त, मांगलिक श्लोक, मोहनशतक
नागरिकता भारतीय
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

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मोहन प्यारे द्विवेदी प्रसिद्ध भारतीय आशु कवि थे। उन्होंने समाज में शिक्षा के प्रति जागरुकता उनके द्वारा खोले गये प्राइमरी विद्यालय करचोलिया के माध्यम से फैलाई थी।

परिचय

सुकवि आचार्य पंडित मोहन प्यारे द्विवेदी का जन्म संवत 1966 विक्रमी (1 अप्रॅल, 1909 ई.) में उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िला के हर्रैया तहसील के कप्तानगंज विकास खण्ड के दुबौली दूबे नामक गांव मे एक कुलीन परिवार में हुआ था।

शिक्षा

पंडित जी ने कप्तानगंज के प्राइमरी विद्यालय में प्राइमरी शिक्षा तथा हर्रैया से मिडिल स्कूल में मिडिल कक्षाओं की शिक्षा प्राप्त की। बाद में संस्कृत पाठशाला विष्णुपुरा से संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रथमा तथा संस्कृत पाठशाला सोनहा से मध्यमा की पढ़ाई पूरी की।

कार्यक्षेत्र

द्विवेदी जी परिवार का पालन पोषण तथा शिक्षा के लिए लखनऊ चले गये थे। उन्होंने छोटी मोटी नौकरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण किया था। पंडित जी ट्यूशन पढ़ाकर शहर का खर्चा चलाते थे। पंडित जी ने लखनऊ के प्रसिद्ध डी. ए. वी. कालेज में दो वर्षों तक अध्यापन भी किया था। घर की समस्याएँ बढ़ती देख उन्हें लखनऊ को छोड़ना पड़ा। गांव आकर पंडित जी अपने गांव दुबौली दूबे में एक प्राथमिक विद्यालय खोला था। बाद में पंडित जी को पड़ोस के गांव करचोलिया में 1940 ई. में एक दूसरा प्राइमरी विद्यालय खोलना पड़ा, जो आज भी चल रहा है। वह 1955 में वह प्रधानाध्यापक पद पर वहीं आसीन हुए। इस क्षेत्र में शिक्षा की पहली किरण इसी संस्था के माध्यम से फैली थी। वर्ष 1971 में पण्डित जी ने प्राइमरी विद्यालय करचोलिया से अवकाश ग्रहण कर लिया। उनके पढ़ाये अनेक शिष्य अच्छे अच्छे पदों को सुशोभित कर रहे हैं।

निधन

पंडित मोहन प्यारे द्विवेदी ने दिनांक 15 अप्रॅल 1989 को 80 वर्ष की अवस्था में अपने मातृभूमि में अंतिम सासें लेकर परमतत्व में समाहित हो गये थे।


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