यू. थांट

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यू. थांट
यू. थांट
पूरा नाम यू. थांट
जन्म 22 जनवरी, 1909
जन्म भूमि पंटानव, बर्मा
मृत्यु 25 नवम्बर, 1974
मृत्यु स्थान न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमरीका
मृत्यु कारण फेफड़ों का केंसर
अभिभावक पिता- पो हानित, माता- नान थोंग
पति/पत्नी थिन टीन
नागरिकता बर्मी
प्रसिद्धि संयुक्त राष्ट्र महासचिव
कार्य काल 30 नवम्बर, 1961 से 31 दिसम्बर, 1971
संबंधित लेख संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
धर्म बौद्ध धर्म
अन्य जानकारी एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जो कि भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय संगीतकार थीं, उन्हें अक्तूबर, 1966 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यू. थांट ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया था।

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यू. थांट (अंग्रेज़ी: U Thant, जन्म- 22 जनवरी, 1909; मृत्यु- 25 नवम्बर, 1974) बर्मा के राजनयिक थे। वे संयुक्त राष्ट्र के तीसरे महासचिव थे। सितंबर, 1961 में जब संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमरस्क्जोंल्ड का निधन हो गया, तब यू. थांट महासचिव नियुक्त हुए थे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक थी- 'क्यूबाई मिसाइल संकट के दौरान जॉन एफ कैनेडी और निकिता क्रुश्चेव के बीच वार्ता कराना', इससे एक बहुत बड़ी तबाही होने से बच गई थी। थांट बौद्ध धर्म के अनुयाई थे।

परिचय

यू. थांट का जन्म 22 जनवरी सन 1909 को बर्मा के पंटानव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पंटानव के नेशनल हाईस्कूल से हुई। तत्पश्चात् उन्होंने रंगून विश्वविद्यालय से इतिहास विषय के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त की। वे एक चावल व्यापारी के परिवार में पैदा हुए थे। यू. थांट अपने चार भाइयों में सबसे बड़े थे। ब्रिटिश शासन काल के दौरान उनके पिता पो हानित ने कोलकाता से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद "दि सन रंगून" नामक समाचार पत्र को एक मानक के रूप मे स्थापित किया। जब थांट 14 वर्ष के थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी। विरासत के विवादों के कारण कठिन और विपरीत आर्थिक संकटों में उनकी माँ नान थोंग ने उनकी और अन्य तीन बच्चों की परवरिश की। उनके साथ-साथ उनके तीनों भाई यू खंट, यू थौंग और टिन मौंग भी आगे चलकर राजनेता और प्रखर विद्वान् बने।

व्यावसायिक शुरुआत तथा लेखन

विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त करने के बाद थांट पंटानव लौट आए और नेशनल हाईस्कूल में अध्यापन का कार्य प्रारम्भ किया। पच्चीस साल की उम्र में ये उसी विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने। इसी दौरान वे भावी प्रधानमंत्री यू नु के संपर्क में आए और उनके करीबी दोस्त बन गए। थांट ने थाइलवा के नाम से कई बड़े पत्र व पत्रिकाओं में नियमित रूप से आलेख और स्तंभ लिखे। कई पुस्तकें लिखीं, जिसमें से एक पुस्तक "लीग ऑफ नेशंस" का उन्होंने अनुवाद भी किया।

प्रशासनिक उत्तरदायित्व

स्वतन्त्रता के पश्चात् जब यू नु बर्मा के प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने 1948 में यू. थांट को रंगून आने का निमंत्रण दिया और एक महत्वपूर्ण दायित्व देते हुये प्रसारण निदेशक का उत्तरदायित्व सौंपा। अगले वर्ष में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (बर्मा) में सचिव के पद पर नियुक्त हुये। 1951 से 1957 तक थांट प्रधानमंत्री के सचिव रहे। इस दौरान वे यू नु के लिए भाषण लिखने, उनकी विदेश यात्रा की व्यवस्था करने और विदेशी पर्यटकों के साथ बैठक आदि की व्यवस्था संभालते रहे। इस पूरी अवधि के दौरान वे यू नु के करीबी विश्वासपात्र और सलाहकार थे।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव

3 नवम्बर, 1961 को यू. थांट ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव का पद ग्रहण किया, जब वे सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 168, संकल्प 168 के अंतर्गत डैग हैमरस्क्जोंल्ड के स्थान पर महासचिव नियुक्त किए गए। 30 नवम्बर, 1962 को उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा प्रस्ताव पारित करके पुन: 30 नवम्बर, 1966 को समाप्त होने वाली अवधि के बाद हेतु महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर वे 31 दिसम्बर, 1971 तक रहे। 1965 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव के लिए 'जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार' प्रदान किया गया था।

मृत्यु

25 नवम्बर, 1974 को न्यूयॉर्क में फेफड़ों के कैंसर से यू. थांट की मृत्यु हो गयी। उल्लेखनीय है कि 2 मार्च, 1962 को यू नु की सरकार के तख्तापलट के बाद नि बिन ने बर्मा शासन को सम्भाला। इसीलिए तात्कालिक राष्ट्रपति नि बिन यू. थांट से ईर्ष्या करते थे। उन्होंने थांट की मृत्यु के बाद आदेश जारी किया था कि यू. थांट को किसी भी सरकारी भागीदारी या समारोह के बिना ही दफन किया जाये। यही कारण था कि जब न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से उनके मृत शरीर को रंगून ले जाया गया, तब रंगून हवाई अड्डे पर तात्कालिन उपशिक्षामंत्री के अलावा अन्य कोई सरकारी अधिकारी या बर्मा सरकार के उच्च पदस्थ व्यक्ति मौजूद नहीं थे। बाद में उस उपशिक्षामंत्री को तात्कालिक बर्मा सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय कद देकर बर्मी जनता ने उन्हें जो सर्वोच्च सम्मान दिया, वह किसी भी बड़े सम्मान से कहीं ज्यादा बड़ा है। वे आज भी बर्मी जनता के दिलों में बसे हुये है।

संग्रहालय

म्यांमार सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव यू. थांट के यांगून स्थित आवास को संग्रहालय में तब्दील कर दिया है। यू. थांट की पुत्री अय अय थांट के नेतृत्व में एक दल संग्रहालय की देखरेख करता है। यह संग्रहालय, यू थांट इंस्टीट्यूट द्वारा संचालित किए जा रहे शैक्षिक कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान करता है। यहां संयुक्त राष्ट्र के तीसरे महासचिव रहे यू. थांट की तस्वीरों और उनके दस्तावेजों को भी प्रदर्शित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यू. थांट को एक सर्वाधिक आदरणीय नेता माना जाता रहा है। उन्होंने म्यांमार और विश्व स्तर पर शांति प्रक्रियाओं में बड़ी भूमिका निभाई थी।[1]

सुब्बुलक्ष्मी को सम्मान

एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जो कि भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय संगीतकार थीं, उन्हें अक्तूबर, 1966 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यू. थांट ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया था। सुब्बुलक्ष्मी वहां प्रस्तुति देने वाली पहली भारतीय कलाकार थीं।[2]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यू. थांट का आवास संग्रहालय में तब्दील (हिन्दी) nayaindia.com। अभिगमन तिथि: 03 दिसम्बर, 2016।
  2. एम एस सुब्बुलक्ष्मी पर डाक टिकट जारी करेगा यूएन (हिन्दी) hindi.yourstory.com। अभिगमन तिथि: 03 दिसम्बर, 2016।

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