राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग

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भारत सरकार की केन्द्रीय कैबिनेट ने हाल ही में राष्ट्रीय होमियोपैथी आयोग के लिए राष्ट्रीय होमियोपैथी बिल, 2018 को मंज़ूरी दी। राष्ट्रीय होमियोपैथी आयोग केन्द्रीय होमियोपैथी परिषद् का स्थान लेगा।

आयुष राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाईक ने 7 जनवरी, 2019 को राज्यसभा में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग बिल, 2019 को पेश किया। यह बिल होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1973 को रद्द करता है और ऐसी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली का प्रावधान करता है जो निम्नलिखित सुनिश्चित करे-

  1. उच्च स्तरीय होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों
  2. होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स नवीनतम चिकित्सा अनुसंधानों को अपनाएं
  3. मेडिकल संस्थानों का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाए और
  4. एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली मौजूद हो।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की स्थापना

बिल राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) की स्थापना का प्रावधान करता है। एनसीएच में 20 सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। एक सर्च कमिटी चेयरपर्सन, पार्ट टाइम सदस्यों और एनसीएच के अंतर्गत गठित तीन स्वायत्त बोर्ड्स के प्रेज़िडेंट्स के नामों का सुझाव केंद्र सरकार को देगी। इन अधिकारियों का कार्यकाल अधिकतम चार वर्ष होगा। सर्च कमिटी में छह सदस्य होंगे, जिनमें कैबिनेट सेक्रेटरी और केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन विशेषज्ञ (इनमें से दो विशेषज्ञ होम्योपैथी के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त) होंगे।

एनसीएच के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे-

  • चेयरपर्सन,
  • होम्योपैथी शिक्षा बोर्ड के प्रेज़िडेंट,
  • होम्योपैथी के लिए मेडिकल एसेसमेंट और रेटिंग बोर्ड के प्रेज़िडेंट,
  • राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान के महानिदेशक,
  • आयुष मंत्रालय में होम्योपैथी के एडवाइजर या ज्वाइंट सेक्रेटरी इन-चार्ज, और
  • होम्योपैथी के पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशनर्स द्वारा अपने बीच से चार सदस्यों (पार्ट टाइम) का चयन जो बिल में विनिर्दिष्ट मंडलीय क्षेत्रों से इनका चुनाव करेंगे।
  • इसके अतिरिक्त बिल के पारित होने के तीन वर्षों के भीतर राज्य सरकारों द्वारा होम्योपैथी के लिए राज्य आयुर्विज्ञान परिषदों की स्थापना की जाएगी।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के कार्य

एनसीएच के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  1. मेडिकल संस्थानों और होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स को रेगुलेट करने के लिए नीतियां बनाना,
  2. स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतों का मूल्यांकन करना,
  3. यह सुनिश्चित करना कि राज्य की होम्योपैथी आर्युविज्ञान परिषदें बिल के रेगुलेशंस का पालन कर रही हैं, अथवा नहीं,
  4. बिल के अंतर्गत गठित स्वायत्त बोर्डों के बीच समन्वय स्थापित करना।

स्वायत्त बोर्ड

बिल एनसीएच की निगरानी में कुछ स्वायत्त बोर्डों का गठन करता है। ये बोर्ड हैं-

होम्योपैथी सलाहकार परिषद

बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार होम्योपैथी सलाहकार परिषद की स्थापना करेगी। इस परिषद के माध्यम से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश एनसीएच के समक्ष अपने विचारों और चिंताओं को प्रस्तुत करेंगे। इसके अतिरिक्त परिषद एनसीएच को मेडिकल शिक्षा के न्यूनतम मानदंडों को निर्धारित करने और उन्हें बरकरार रखने के उपाय सुझाएगी।

प्रवेश परीक्षाएं

बिल द्वारा रेगुलेटेड सभी मेडिकल संस्थानों में होम्योपैथी शिक्षा में अंडर ग्रैजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए परीक्षा ली जाएगी, जिसे यूनिफॉर्म नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट कहा जाएगा। एनसीएच इन सभी मेडिकल संस्थानों में प्रवेश के लिए एक समान काउंसिलिंग के तरीके को विनिर्दिष्ट करेगा। बिल मेडिकल संस्थानों से ग्रैजुएट होने वाले विद्यार्थियों के लिए अंतिम वर्ष में एक समान राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट का प्रस्ताव रखता है जिससे उन्हें प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलेगा। इसके अतिरिक्त सभी मेडिकल संस्थानों में पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए अलग से परीक्षा ली जाएगी, जिसे पोस्ट-ग्रैजुएट नेशनल एंट्रेंस टेस्ट कहा जाएगा।

बिल होम्योपैथी में उन पोस्ट-ग्रैजुएट विद्यार्थियों के लिए नेशनल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट का प्रस्ताव भी रखता है जो उस खास विषय में शिक्षण को अपना पेशा बनाना चाहते हैं।

पेशेवर और नैतिक दुर्व्यवहार से संबंधित मामलों में अपील

राज्य आयुर्विज्ञान परिषदों में पंजीकृत होम्योपैथिक मेडिकल प्रैक्टीशनर्स के खिलाफ पेशेवर और नैतिक दुर्व्यवहार से संबंधित शिकायतों को दर्ज किया जाएगा। अगर मेडिकल प्रैक्टीशनर परिषद के फैसले से असंतुष्ट है तो वह होम्योपैथी एथिक्स और मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड में अपील कर सकता है। राज्य आयुर्विज्ञान परिषद और होम्योपैथी एथिक्स और मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के पास मेडिकल प्रैक्टीशनर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होगा जिसमें मौद्रिक जुर्माना लगाना शामिल है। अगर मेडिकल प्रैक्टीशनर बोर्ड के फैसले से असंतुष्ट है तो वह इस फैसले के खिलाफ एसीएच में अपील कर सकता है। एनसीएच के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार से अपील की जा सकती है।

बिल की विशेषताएं

बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • देश में होमियोपैथी शिक्षा के कार्य का निर्वहन होमियोपैथी शिक्षा बोर्ड द्वारा किया जायेगा।
  • मूल्यांकन व रेटिंग बोर्ड होमियोपैथी शिक्षण संस्थानों को मान्यता प्रदान करेगा।
  • होमियोपैथी के प्रैक्टिशनर का नैतिक व पंजीकरण बोर्ड होमियोपैथी से सम्बंधित नैतिक मामलों के लिए नेशनल रजिस्टर का प्रबंधन करेगा।
  • होमियोपैथी की प्रैक्टिस के लिए इस बिल में एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का प्रावधान रखा गया है।
  • इस बिल के द्वारा होमियोपैथी की मेडिकल शिक्षा में राष्ट्रीय मेडिकल आयोग की भाँती सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय होमियोपैथी आयोग द्वारा पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व को बढ़ावा दिया जायेगा।




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