विटामिन डी
विटामिन डी (अंग्रेज़ी: Vitamin D) शरीर के विकास, हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर त्वचा इसका निर्माण करने लगती है। हालांकि यह विटामिन खाने की कुछ चीज़ों से भी प्राप्त होता है, लेकिन इनमें यह बहुत ही कम मात्रा में होता है। केवल इनसे ही विटामिन डी की ज़रूरत पूरी नहीं की जा सकती। विटामिन डी के दो प्रमुख रूप होते हैं- 'विटामिन डी2' या अर्गोकेलसीफेरोल एवं 'विटामिन डी3 या कोलेकेलसीफेरोल।
निर्माण
विटामिन डी वसा में घुलनशील प्रो-हार्मोन्स का एक समूह होता है। यह एक स्टेरॉइड विटामिन है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है। शरीर में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है। इसके अलावा शरीर में रसायन कोलिकल कैसिरॉल पाया जाता है, जो खाने के साथ मिलकर विटामिन डी बनाता है।
प्रकार
विटामिन डी पांच प्रकार का होता है[1]-
- विटामिन डी1
- विटामिन डी2
- विटामिन डी3
- विटामिन डी4
- विटामिन डी5
मानव शरीर के लिए 'विटामिन डी2' और 'विटामिन डी3' ही बेहद आवश्यक हैं।
वयस्कों में कमी के लक्षण
वयस्कों में विटामिन डी की कमी के निम्न लक्षण प्रकट होते हैं-
- दर्द रहना, कभी-कभी ये दर्द तीव्र भी हो सकता है।
- कमज़ोरी एवं ओस्टियोमेलेशिया
- हड्डियों का दर्द, आमतौर पर कूल्हों, पसलियों और पैरों आदि की हड्डियों में ये दर्द रहता है।
बच्चों में कमी के लक्षण
- शिशुओं में इसकी कमी होने पर मांसपेशियों में मरोड़े, सांस लेने में परेशानी और दौरे आने की परेशानी हो सकती है। उनके शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। सांस की तकलीफ के कारण बच्चे की पसलियां नर्म रह जाती है और आस-पास की मांसपेशियां भी कमज़ोर हो जाती हैं।[2]
- विटामिन डी की गंभीर कमी होने से बच्चों के पैरों की हड्डियां और खोपड़ी कमज़ोर रह जाती हैं। छूने पर यह हड्डियां नर्म महसूस होती हैं। हड्डियों से शरीर का बनुयादी ढांचा तैयार होता है, लेकिन 'रिकेट्स' (सूखा रोग) जैसी बीमारी में हड्डियां लचीली हो जाती हैं। पैरों की हड्डियां कमज़ोर होकर मुड़ने लगें तो यह स्थिति रिकेट्स कहलाती है।
- समय पर दांत न आना बच्चों में विटामिन डी की कमी का ही लक्षण है।
- कारण
- बच्चों में विटामिन डी की कमी के कई कारण हो सकते हैं। लंबे समय तक शरीर को इसका पर्याप्त मात्रा में न मिल पाना। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है, जो पूर्णतः शाकाहारी आहार ही लेते हैं। प्राकृतिक रूप से विटामिन डी केवल पशुओं से मिलने वाले आहार से ही प्राप्त होता है, इसलिए केवल शाकाहारी भोजन लेने वालों में विटामिन डी की कमी की आशंका रहती है।
- त्वचा का रंग बहुत गहरा होना। त्वचा का गहरा रंग मिलेनिन नामक पिगमेंट के कारण होता है। मिलेनन बहुत अधिक होने के कारण धूप लगने पर त्वचा में विटामिन डी का निर्माण ठीक से नहीं हो पाता।
- वृक्क विटामिन डी को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित न कर पाएं तो शरीर में इसकी कमी होने लगती है। उम्र बढ़ने के साथ किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है, जिससे यह विटामिन डी को परिवर्तित नहीं कर पाती। पाचन तंत्र इसे अवशोषित नहीं कर पाए तो भी इसकी कमी हो जाती है। कुछ बीमारियों के कारण पाचन तंत्र की विटामिन डी अवशोषित करने की क्षमता प्रभावित होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आपमें कहीं विटामिन डी की कमी तो नहीं (हिन्दी) अमर उजाला.कॉम। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2014।
- ↑ जानिए विटामिन डी की कमी के लक्षण (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2014।