विधान परिषद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधान मंडल का अंग है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं। भारत में राज्‍य के विधान परिषद में राज्‍य के विधान सभा में सदस्‍यों की कुल संख्‍या की एक तिहाई और किसी भी कारणों से 40 सदस्‍य से कम सदस्‍य नहीं होते हैं[1]। परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्‍य विधान सभा के सदस्‍यों द्वारा ऐसे व्‍यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्‍य नहीं है, एक तिहाई निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्‍य, ज़िला बोर्डों और राज्‍य में अन्‍य प्राधिकरणों के सदस्‍यों द्वारा चुने जाते है, एक बारह का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्‍यक्तियों में से चुने जाते हैं जिन्‍होंने कम से कम तीन वर्षों तक राज्‍य के भीतर शैक्षिक संस्‍थाओं में अध्‍यपन में लगा रहा हो जो माध्‍यमिक विद्यालयों की कक्षों के नीचे न हो और अन्‍य एक बारह का चुनाव सी पंजीकृत स्‍नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्‍त कर लिए है। शेष सदस्‍य राज्‍यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्‍दोलन और सामाजिक सेवा में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने वाले व्‍यक्तियों में से नियुक्‍त किए जाते है। विधान परिषदों को भंग नहीं किया जा सकता परन्‍तु उनके एक तिहाई सदस्‍य प्रत्‍येक दूसरे वर्ष में सेवा निवृत्‍त होते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जम्‍मू और कश्‍मीर के विधान परिषद में जम्‍मू और कश्‍मीर के संविधान के अनुच्‍छेद 50 द्वारा 36 सदस्‍यों की व्‍यवस्‍था की गई है

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख