सूरजमुखी
सूरजमुखी का पुष्प देखने में बहुत आकर्षक लगता है, लेकिन यह गंधरहित होता है। सूरजमुखी का वैज्ञानिक नाम हेलियनथस एनस है। सूरजमुखी दिनभर सूर्य के चारों ओर घूमता रहता है। जिस दिशा में सूर्य होता है, सूरजमुखी का फूल उसी दिशा में अपना मुँह कर लेता है। सूरजमुखी के फूल सूर्यादय पर खिलते हैं, तथा सूर्यास्त के समय बन्द हो जाते हैं। सूर्यमुखी के फूल लम्बी अवधि तक खिलते रहते हैं और उद्यान की शोभा बनते हैं। फूलदान में भी इसके फूल अच्छी रौनक देते हैं। फूल यद्यपि गंधरहित हैं परन्तु इनका रंग इतना चटक होता है कि फूलदान में लगी दो टहनियाँ भी कम आकर्षक नहीं लगतीं। फूल बहुत दृढ़ प्रकृति वाला होता है। सूरजमुखी की फ़सल के लिए 20-25 डिग्री तापक्रम की आवश्यकता पङती है, अधिक ठंडे तापमान (10 डिग्री) में लिनोलिक अम्ल की मात्रा लगभग 72 प्रतिशत तक बढ जाती है।[1]
रंग
सूरजमुखी के फूल सफ़ेद, बैंगनी और पीले रंग के होते हैं।
स्वरूप
सूरजमुखी की पत्तियाँ 5 पत्तों वाली परन्तु ऊपर के पत्ते विपन्नक होते हैं।
सूरजमुखी का विवरण
बैंगनी रंग का सूरजमुखी ख़ासकर बिहार और उड़ीसा से लेकर गुजरात तथा दक्षिणी भारत में पाया जाता है।
बीज
सूरजमुखी के पौधे के बीजों के तेल की उपयोगिता के कारण सूरजमुखी फूल तिल, करड़ (सफोला), मूँगफली की भांति बहुत ही लोकप्रिय हुआ, परन्तु सूर्यमुखी की विशेषता इस बात में है कि इसका फूल बहुत भव्य है।
दूसरे तैलीय बीजों का अपने आप में कोई विशेष सौन्दर्य नहीं है, जबकि सूर्यमुखी जब तक पूरा फूल खिल कर, बीज पक नहीं जाता, इसका भव्य फूल एक राजा की तरह सूर्य की ओर सिर घुमाए बड़ी शान से एकदम सीधा, अकड़ा सा खड़ा रहता है। पक जाने पर इसके बीज चिलगोजे की तरह भून कर बहुत शौक़ से खाए जाते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार सूर्यमुखी का तेल अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसीलिए अब भारत में भी मूंगफली, सरसों व करड़ की अपेक्षा सूर्यमुखी के तेल का प्रयोग भी खूब होने लगा है।[2]
सूरजमुखी का पौधा
इसके पौधे गांवों के आस-पास बगीचों में, भूमि में, सडकों के किनारे तथा जोते हुए खेतों में मिलते हैं। सूरजमुखी के पौधे 1-4 फ़ुट ऊंचे होते हैं। सूर्यमुखी के फूल भरपूर संख्या में लगातार खिलते रहते हैं। पतली टहनी व पत्ते दोनों ही एकदम खुरदरे होते हैं, इतने कि फूल तोड़ते समय हाथ भी छिल जाते हैं। बड़ी किस्म के सूर्यमुखी के पौधे झाड़ीनुमा न होकर एक ही टहनी वाले होते हैं, जिनके ऊपरी भाग में एक ही बड़ा-सा फूल अत्यंत शान से खिला सीधा खड़ा रहता है। परन्तु उसके भी पत्तियां व टहनी एकदम खुरदरे होते हैं। बड़े फूल में फूलों की पंखुड़ी केवल इकहरी या दोहरी पंक्तियों में चारों ओर होती है, जबकि बीच का चन्द्रभाग एकदम काला व बीज से भरपूर होता है और पकने पर यही बीज बटोर कर तेल निकाला जाता है।
सूरजमुखी के फ़ायदे
- यह वात और बलगम को खत्म करता है। इसके पंचाग के अल्कोहल सत्त्व में कैसर विरोधी क्रिया पाई जाती है।
- यह जलन, पाचन, दर्द और पेट के कीडों को नष्ट करता है।
- सूर्यमुखी के फूल की पंखुड़ियां रंग बनाने के काम भी आती हैं।
- तीनों तरह के सूरजमुखी स्थानिक प्रयोग से राई की तरह क्रिया करते हैं, ये शरीर की जलन को खत्म करता है, उत्तेजक, पूतिहार, वेदना स्थापना है।[3]
सूरजमुखी के अन्य उत्पाद
सूरजमुखी का तेल:-सूरजमुखी के ताजे पौधे को कुचलने से एक तेल निकलता है, जिसमें सरसों तथा लहसुन के समान गुण-कर्म होता हैं। सूखे पौधों में यह नहीं पाया जाता हैं। बीजों से एक स्थिर तेल मिलता है।
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वीथिका
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सूरजमुखी का फूल
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सूरजमुखी के फूल
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सूरजमुखी के फूल
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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