पंडित कांशीराम
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कांशीराम | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कांशीराम (बहुविकल्पी) |
पंडित कांशीराम
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पूरा नाम | पंडित कांशीराम |
जन्म | 1883 |
जन्म भूमि | ज़िला- अम्बाला, पंजाब |
मृत्यु | 27 मार्च, 1915 |
मृत्यु कारण | फाँसी |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा | मैट्रिक |
संबंधित लेख | ग़दर पार्टी |
अन्य जानकारी | पंडित कांशीराम ने मैट्रिक पास करने के बाद तार भेजने और प्राप्त करने का काम सीखा और कुछ दिन अंबाला और दिल्ली में नौकरी की। इसके बाद वे अमेरिका चले गए। |
पंडित कांशीराम ग़दर पार्टी के प्रमुख नेता और देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे।
- पंडित कांशीराम का जन्म 1883 ई. में पंजाब के अंबाला ज़िले में हुआ था। मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने तार भेजने प्राप्त करने का काम सीखा और कुछ दिन अंबाला और दिल्ली में नौकरी की। इसके बाद वे अमेरिका चले गए।
- यहीं से उनका क्रांतिकारी जीवन आरंभ होता है। आजीविका के लिए पंडित कांशीराम ने ठेकेदारी का काम किया। साथ ही वे 'इंडियन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका' और 'इंडियन इंडिपैंडेंट लीग' में शामिल हो गए। उनके ऊपर लाला हरदयाल का बहुत प्रभाव पड़ा। वे संगठन भारत को अंग्रेजों की चुंगल से छुड़ाने के लिए बनाए गए थे। 1913 में पंडित कांशीराम ‘ग़दर पार्टी’ के कोषाध्यक्ष बन गए।
- जिस समय यूरोप में प्रथम विश्वयुद्ध के बादल मंडरा रहे थे, ग़दर पार्टी ने निश्चय किया कि कुछ लोगों को अमेरिका से भारत वापस जाना चाहिए। वे वहां जाकर भारतीय सेना में अंग्रेजों के विरुद्ध भावनाएँ भड़काएँ। इसी योजना के अंतर्गत पंडित कांशीराम भी भारत आए।
- उन्होंने सेना की कई छावनियों की यात्रा की और सैनिकों को अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। कांशीराम और उनके साथियों ने अपने कार्य के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से मोगा का सरकारी कोषागार लूटने का असफल प्रयत्न भी किया। इसी सिलसिले में एक सब इंस्पेक्टर और एक जिलेदार इनकी गोलियों से मारे गए।
- कांशीराम और उनके साथी पकड़े गए, मुकदमा चला और 27 मार्च, 1915 को कांशीराम को फाँसी दे दी गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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