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केम्मण्णुगुंडि [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य के चिकमगलूर जिले से 55 किलोमीटर की दूर पर पहाड़ी पर स्थित एक हिल स्टेशन है। यहाँ पहूँचने के लिए बसों की अच्छी सुविधा है। यहाँ ठहरने के लिए पर्याप्त होटल व बंगले हैं।
 
पर्यटन व नवदंपतियों के लिए एकांत में बैठ कर समय बिताने का सुन्दर स्थान केम्मण्णुगुंडि है। शहर के कोलाहल और प्रदूशण रहित इस स्थान पर आ कर पर्यटन व नवदंपतियों अपने को भूल जाते हैं इसलिए इस पहाड़ी पर्यटन स्थल की प्रशंसा करने में कवियों ने कोई कंजूसी नहीं दिखाई। यहाँ के सुरम्य स्थलों की कई फिल्मों में शूटिंग की गई है।
यहाँ सुन्दर प्राकृतिक नजारे हैं, जल-प्रापात हैं, बड़े-बड़े बाग-बगीचे हैं। इन के अलाव यहाँ का मौसम ठंडा रहता है।
लाल मिट्टी और जलप्रपात से बनी गहरी घाटी के चलते ही इस का नाम केम्मण्णुगुंडि पड़ा है। वेसे इसे कृष्णराजेंद्र गिरिधाम के नाम से भी पुकारा जाता है। अतीत में [[मैसूर]] में के राजा नाल्वडी कृष्णराज वोड्यार ने इसे गरमियों में अपने रहने का स्थान बनाया था। अत: उन्होंने इसे विशेष रूप में विकसित भी करवाया था। उस के बाद अंगरेज अधिकारियों ने भी इसे अपनी सुविधा के अनुसार विकसित करवाया।
4,705 फूट की ऊँचाई पर पहूँचते ही सैलानियों का स्वागत श्रृंगारपुर नाम का एक झरना करता है। इस पहाड़ पर रमणीक नजारों की इस कदर भरमार है कि सैलानी कैमरे में  अपने इन नजारों को कैद लेते हैं। रंगबिरंगे [[फूल]] यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
यहाँ फूलों की तरह विविध रंगों वाले पक्षी भी देखने को मिलते हैं। यहाँ पर रूखे व्यक्ति में भी रोमासं की भावना आ जाती है।
[[कृषि]] विभाग द्वारा निर्मित यहाँ के पार्क बहुत सुन्दर लगते है। पार्क के आसपास का वातावरण नयनाभिराम नजारे पेश करता है। यहाँ के सौंर्दय को शब्दों में प्रकट करना मुश्किल है।
केम्मण्णुगुंडि के विहंगम नजारों को [[आँख|आँखों]] में भरने के लिए प्रमुख स्थल है, जैड पौइंट। हार्टिकल्चर विभाग के अतिथिगृह से यहाँ तक पहुँचने के लिए 30 मिनट का टेड़ामेढ़ा जंगली रास्ता है। चहलकदमी करते हुए जब आप जैड पौइंट की ओर बढ़ते हैं तो रास्ते में आप का स्वागत एक जलप्रपात करता है।
यह जलप्रपात ऊपर से छोटा दिखता है, पर नीचे बहुत गहराई में जा कर गिरता है। यहाँ से आगे बढ़ने पर जैड आकार का जैड पौइंट देखने को मिलता है। यहाँ पहाड़ की चोटियाँ, जंगल और झरनों के दृश्य बेहद रमणीक लगते हैं।
केम्मण्णुगुंडि में 2 प्रमुख जलप्रपात हैं। यहाँ के हेब्बे जलप्रपात तक जाना ही अपनेआप में एक साहस का काम है। बड़े-बड़े पत्थरों वाले ऊबड़खाबड़ रास्ते पर चलना एक अद्भुत अनुभव लगता है। वेसे यहाँ पहुँचने के लिए किराए पर जीप भी मिलती है। जीप से जाने पर 10 किलोमीटर के बाद 1 किलोमीटर का फासला पैदल ही चलना पड़ता है। यहाँ के सुन्दर नजारों को निहारते हुए यह फासला कब तय हो जाता है, पता ही नहीं चलता।
इस तरह के घने जंगलों व प्राकृतिक नजारों के बीच से जाते हुए हेब्बे जलप्रपात तक पहुँचना अपने में एक सुन्दर अनुभव होता है। हेब्बे जलप्रपात ही दोड्ड हेब्बे (बड़ा हेब्बे), थिक्क हेब्बे (छोटा हेब्बे) नाम के 2 झरनों में प्रवाहित होता है। पहले 121 मीटर ऊपर से झरने के रूप में गिर कर, बाद में चट्टानों के ऊपर से 60.5 मीटर पर गिर कर छोटे हेब्बे के रूप में प्रवाहित होता है। ये दोनों झरने दूर से देखने पर एक मोमबत्ती की तरह दिखते हैं।
थिक्क हेब्बे (छोटा हेब्बे) तक सैलानी जा सकते हैं पर दोड्ड हेब्बे की तरफ जाना मुश्किल है और ऊपर जाना तो मौत को दावत देने से कम नहीं।
केम्मण्णुगुंडि में एक और आर्कषक जलप्रपात है जो यहाँ से 12 किलोमीटर की दूरी पर तरीकेरे जाते समय रास्ते में पड़ता है। इस जलप्रपात को कल्लतगिरी और कालहस्ती जलप्रपात के नाम से भी लोग जानते हैं। यह जलप्रपात 45 मीटर ऊपर से 3 अलग-अलग धाराओं के रूप में गिरता है।
इस तरह रोमांचक पर्यटन के लिए केम्मण्णुगुंडि एक बेहतरीन स्थल है। पर्यटन एवं नवदंपती यहाँ आ कर बिताया समय आजीवन याद रखते हैं।

07:34, 15 जुलाई 2011 के समय का अवतरण