"चित्र:Vishnu-In-A-Chariot-With-Arjuna.jpg": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{चित्र सूचना | {{चित्र सूचना | ||
|विवरण=रथ पर [[विष्णु]] और [[अर्जुन]] | |विवरण=रथ पर [[विष्णु]] ([[कृष्ण]]) और [[अर्जुन]] | ||
|चित्रांकन=[http://www.flickr.com/people/asianartsandiego/ Asian Curator at The San Diego Museum of Art] | |चित्रांकन=[http://www.flickr.com/people/asianartsandiego/ Asian Curator at The San Diego Museum of Art] | ||
|दिनांक= | |दिनांक= | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
|अन्य विवरण=अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। | |अन्य विवरण=अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। | ||
}} | }} | ||
{{चयनित चित्र नोट}} | |||
{{CCL | {{CCL | ||
|Attribution={{Attribution}} | |Attribution={{Attribution}} | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 22: | ||
}} | }} | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
{{चयनित चित्र}} |
14:17, 10 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
विवरण (Description) | रथ पर विष्णु (कृष्ण) और अर्जुन |
चित्रांकन (Author) | Asian Curator at The San Diego Museum of Art |
स्रोत (Source) | www.flickr.com |
उपलब्ध (Available) | Vishnu in a chariot with Arjuna |
आभार (Credits) | Asian Curator at The San Diego Museum of Art's photostream |
अन्य विवरण | अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। |
इस चित्र का चयन मुखपृष्ठ के लिए किया गया है। सभी चयनित चित्र देखें |
यह चित्र क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस के अंतर्गत उसके 'उपयोग के अधिकारों' का हनन किए बिना उपयोग किया गया है। कृपया चित्र के उपयोग अधिकार देखे बिना उनका उपयोग न करें। इससे चित्रों से संबधित अधिकारों के उल्लंघन होने की संभावना है। |
![]()
![]() |
This file is used under the Creative Commons license. |
![]() | ||
![]() | ||
![]() |
चित्र का इतिहास
फ़ाइल पुराने समय में कैसी दिखती थी यह जानने के लिए वांछित दिनांक/समय पर क्लिक करें।
दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
---|---|---|---|---|---|
वर्तमान | 10:20, 21 अगस्त 2011 | ![]() | 887 × 578 (421 KB) | स्नेहा (वार्ता | योगदान) |
आप इस चित्र को ओवर्राइट नहीं कर सकते।
चित्र का उपयोग
यह पृष्ठ इस चित्र का इस्तेमाल करता है: