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| ==हिन्दी==
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| <quiz display=simple>
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| {[[कबीरदास]] की भाषा थी?
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| -[[ब्रज भाषा]]
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| -[[कन्नौजी बोली]]
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| +सधुक्कड़ी बोली
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| -खड़ी बोली
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| {'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं?
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| -सेठ गोविन्द दास
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| +[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -लक्ष्मी नारायण लाल
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| -[[गोविन्द वल्लभ पन्त]]
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| ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
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| {'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है?
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| +[[कामायनी]]
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| -[[कुरुक्षेत्र]]
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| -[[रामायण]]
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| -साकेत
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| ||[[चित्र:Kamayani.jpg|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]]
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| {[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है?
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| |type="()"}
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| +गिरीश कर्नाड
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| -इब्राहिम अल् क़ाज़ी
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| -सत्यदेव दुबे
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| -कारंत
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| {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के निबन्ध संग्रह का नाम है?
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| |type="()"}
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| +चिंतामणि
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| -झरना
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| -[[आँसू]]
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| -[[कामायनी]]
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| {[[भारत]] में सर्वाधिक किस [[भाषा]] का प्रयोग किया जाता है?
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| |type="()"}
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| +[[हिन्दी भाषा]]
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| -[[संस्कृत भाषा]]
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| -[[तमिल भाषा]]
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| -[[उर्दू भाषा]]
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| ||[[चित्र:Hindi-Alphabhet.jpg|100px|right|महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय]] [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित लिपि जिसमें [[संस्कृत]], [[हिन्दी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं। इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैन ग्रंथों में मिलता है। 'नागरी' नाम के संबंध में मतैक्य नहीं है। कुछ लोग इसका कारण नगरों में प्रयोग को बताते हैं। यह अपने आरंभिक रूप में [[ब्राह्मी लिपि]] के नाम से जानी जाती थी। इसका वर्तमान रूप नवी-दसवीं शताब्दी से मिलने लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिन्दी भाषा]]
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| {अधिकतर भारतीय भाषाओं का विकास किस लिपि से हुआ?
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| -[[शारदा लिपि]]
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| -[[खरोष्ठी लिपि]]
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| -कुटिल लिपि
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| +[[ब्राह्मी लिपि]]
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| ||[[चित्र:Brahmi Lipi-1.jpg|thumb|100px|right|]]ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट [[अशोक]] (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्राह्मी लिपि]]
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| {हिन्दी खड़ी बोली किस अपभ्रंश से विकसित हुई है?
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| |type="()"}
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| -मागधी
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| -अर्द्धमागधी
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| +[[शौरसेनी]]
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| -ब्राचड़
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| {श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है?
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| |type="()"}
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| -उत्साह
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| -शांत
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| +अद्भुत
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| -वीभत्स
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| {माधुर्य गुण का किस [[रस]] में प्रयोग होता है?
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| |type="()"}
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| -[[शांत रस]]
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| -श्रृंगार
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| +भयानक
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| -[[रौद्र रस]]
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| {नवल सुन्दर श्याम में कौन-सा [[अलंकार]] है?
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| |type="()"}
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| -[[रूपक अलंकार]]
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| +उल्लेख अलंकार
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| -[[उपमा अलंकार]]
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| -[[यमक अलंकार]]
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| {'[[कामायनी]]' किस प्रकार का ग्रंथ है?
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| |type="()"}
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| -खण्ड काव्य
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| -मुक्तक काव्य
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| +[[महाकाव्य]]
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| -चम्पू काव्य
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| ||[[भारत]] में [[रामायण]] और [[महाभारत]] अद्यतन महाकाव्यों के उदगम और प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। परवर्ती महाकाव्यों की रचना सार्वजनिक वाचक के लिए नहीं, वरन कलाकृति के रूप में हुई है। इसलिए इन्हें ‘कलात्मक महाकाव्य’ की [[संज्ञा]] देना उपयुक्त होगा। इस वर्ग के महाकाव्यों की भारत में एक सुदीर्घ परंपरा है - जो ‘[[कुमारसंभव]]’ ‘[[रघुवंश]]’ आदि [[संस्कृत]] महाकाव्यों से आरंभ होकर आधुनिक भाषाओं में ‘[[कामायनी]]’ तथा ‘श्रीरामायण दर्शनम्’ आदि तक निरंतर प्रवाहमान है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाकाव्य]]
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| {[[कालिदास]] की अन्तिम रचना '[[अभिज्ञान शाकुन्तलम्]]' का हिन्दी अनुवाद किसने किया था?
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| |type="()"}
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| -सदासुख लाल
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| -गोस्वामी विट्ठलनाथ
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| +राजा लक्ष्मण सिंह
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| -राजा शिवप्रसाद
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| {[[तुलसीदास]] ने अपनी रचनाओं में किसका वर्णन किया है?
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| |type="()"}
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| -[[शिव]]
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| -[[कृष्ण]]
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| +[[राम]]
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| -[[विष्णु]]
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| ||[[चित्र:Ramayana.jpg|राम,लक्ष्मण और सीता|100px|right]][[हिन्दू धर्म]] में, राम, [[विष्णु]] के 10 अवतारों में से एक हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि [[ वाल्मीकि रामायण|वाल्मिकि]] द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके उपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य श्री [[रामचरितमानस]] रचा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम]]
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| {[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] पाने वाले [[हिन्दी]] के प्रथम साहित्यकार हैं?
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| |type="()"}
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| +[[सुमित्रानन्दन पंत]]
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| -[[रामधारी सिंह दिनकर]]
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| -[[अज्ञेय]]
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| ||[[चित्र:Sumitranandan-Pant.jpg|right|100px|सुमित्रानंदन पंत]]सुमित्रानंदन पंत को अन्य पुरस्कारों के अलावा [[पद्म भूषण]] (1961) और [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] (1968) से सम्मानित किया गया। '''कला और बूढ़ा चाँद''' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, '''लोकायतन''' पर 'सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार' एवं '''चिदंबरा''' पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुमित्रानन्दन पंत]]
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| </quiz>
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