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| [[चित्र:Sant-Kabirdas.jpg|right|100px|कबीर|link=कबीर|border]]
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| *'''[[कबीर|कबीरदास]]''' [[हिन्दी साहित्य]] के [[भक्ति काल]] के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे।
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| *[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] के अनुसार, [[भाषा]] पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे। जिस बात को उन्होंने जिस रूप में प्रकट करना चाहा है, उसे उसी रूप में कहलवा लिया- "बन गया है तो सीधे–सीधे, नहीं दरेरा देकर।" [[कबीर|... और पढ़ें]]
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| | [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
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| | [[ग़ालिब]] ·
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| | [[सत्यजित राय]]
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