"लोहड़ी की लोककथा": अवतरणों में अंतर
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<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">[[चित्र:Lohri.jpg|thumb|250px|लोहड़ी का त्योहार मनाते लोग]] | <poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">[[चित्र:Lohri.jpg|thumb|250px|लोहड़ी का त्योहार मनाते लोग]] | ||
*लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता हैं। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में | *[[लोहड़ी]] को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता हैं। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी [[राजपूत]] थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था। अब संदल बार [[पाकिस्तान]] में स्थित हैं। वह सभी पंजाबियों का नायक था। दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक [[अकबर]] के समय में [[पंजाब]] में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उस समय संदल बार के जगह पर लड़कियों को ग़ुलामी के लिए बल पूर्वक अमीर लोगों को बेच जाता था जिसे दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न केवल मुक्त ही करवाया बल्कि उनकी शादी भी [[हिन्दू]] लड़कों से करवाई और उनके शादी के सभी व्यवस्था भी करवाई। | ||
*प्रागैतिहासिक गाथाएँ भी लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से जुड़ गई हैं। [[जनश्रुति]] है कि [[दक्ष]] [[प्रजापति]] की पुत्री [[सती]] के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह लोहड़ी अग्नि जलाई जाती है। | *प्रागैतिहासिक गाथाएँ भी लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से जुड़ गई हैं। [[जनश्रुति]] है कि [[दक्ष]] [[प्रजापति]] की पुत्री [[सती]] के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह लोहड़ी अग्नि जलाई जाती है। | ||
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10:58, 25 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

- लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता हैं। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था। अब संदल बार पाकिस्तान में स्थित हैं। वह सभी पंजाबियों का नायक था। दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उस समय संदल बार के जगह पर लड़कियों को ग़ुलामी के लिए बल पूर्वक अमीर लोगों को बेच जाता था जिसे दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न केवल मुक्त ही करवाया बल्कि उनकी शादी भी हिन्दू लड़कों से करवाई और उनके शादी के सभी व्यवस्था भी करवाई।
- प्रागैतिहासिक गाथाएँ भी लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से जुड़ गई हैं। जनश्रुति है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह लोहड़ी अग्नि जलाई जाती है।
इन्हें भी देखें: लोककथा संग्रहालय, मैसूर एवं लोककथा संग्रहालय, भारतकोश
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