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| '''कमर जलालाबादी''' (जन्म- [[1919]], [[अमृतसर]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[9 जनवरी]], [[2003]]) भारतीय [[हिन्दी]] फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार और [[कवि]] थे। ये चार दशकों तक हिन्दी फिल्मी जगत को बतौर गीतकार एक से बढ़कर एक गीत लिखकर प्रदान करते रहे। कमर जलालाबादी द्वारा लिखे गए गीत आज भी [[भारत]] में बड़े पैमाने पर सुने जाते हैं। फ़िल्म 'हावड़ा ब्रिज' का मस्ती भरा गीत "मेरा नाम चिन चिन चूँ रात चाँदनी मैं और तू", कालजयी बन चुका है। कमर जलालाबादी ने अपने लम्बे करियर में [[हिन्दी सिनेमा]] के लगभग सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ कार्य किया। एक गीतकार के रूप में कमर जलालाबादी ने बहुत सारे अविस्मरणीय गीत हिन्दी सिनेमा को दिये। बहुत कम गीतकार ऐसे होंगे, जिनके रचे गीत दशकों तक श्रोताओं के जीवन का अभिन्न अंग बन रहे हों।
| | #REDIRECT [[क़मर जलालाबादी]] |
| ==जन्म तथा नामकरण==
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| कमर जलालाबादी का जन्म [[वर्ष]] [[1919]] में ब्रिटिश कालीन [[भारत]] में [[अमृतसर]] ([[पंजाब]]) के जलालाबाद ग्राम में हुआ था। इनके बहुत सारे गीतों में [[दर्शन]] समाहित रहा है। [[माता]]-[[पिता]] ने इनका नाम 'ओम प्रकाश भण्डारी' रखा था। कमर जलालाबादी ने सात साल की बाल्यावस्था से ही [[उर्दू]] में कविताएँ लिखना प्रारम्भ कर दिया था। घर से तो उन्हें किसी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिलता था, पर एक घुमंतु [[कवि]] अमर ने उनके अंदर छिपी [[काव्य]] प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया था। उन्होंने ही ओम प्रकाश भण्डारी को तखल्लुस 'कमर' प्रदान किया, जिसका अर्थ होता है- 'चाँद'। उस समय की परिपाटी के अनुसार चूँकि ओम प्रकाश जी जलालाबाद में रहते थे, अतः उनका कवि के रूप में नामकरण हो गया "कमर जलालाबादी"।
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| ==गीत लेखन==
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| फिल्मों के प्रति आकर्षण कमर जलालाबादी को चालीस के दशक के शुरू में [[पूना]] ले आया और [[1942]] में उन्हें 'जमींदार' फिल्म में गीत लिखने का मौका मिल गया। फिल्म के गीत अच्छे चले और खास तौर पर [[श्मशाद बेगम]] द्वारा गाया गया गीत "दुनिया में गरीबों को आराम नहीं मिलता", अच्छा लोकप्रिय हुआ। बाद में वे बम्बई (वर्तमान [[मुम्बई]]) आ गये और अगले चार दशकों तक [[हिन्दी]] फिल्मी जगत को बतौर गीतकार एक से बढ़कर एक गीत लिखकर प्रदान करते रहे। यूँ तो उन्होंने फिल्म की [[कहानी]] की माँग के अनुसार हर तरह के गीत लिखे, परंतु उनके द्वारा रचे गये वियोग वाले प्रेम गीत अपना एक अलग ही स्थान रखते हैं। मानवीय भावनाओं को उन्होंने अपने गीतों में बहुत खूबसूरती और गहराई से ढाला। उनके रचे गीत जीवन से एक गहरा जुड़ाव लिये हुये रहे।
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| ====गायक-गायिकाओं के साथ कार्य====
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| कमर जलालाबादी ने अपने समय के लगभग सभी गायक-गायिकाओं के साथ कार्य किया। उनके लिखे गीतों को [[हिन्दी सिनेमा]] के लगभग सभी मशहूर गायक-गायिकाओं, मलिका-ए-तरन्नुम [[नूरजहाँ (गायिका)|नूरजहाँ]], जी.एम दुर्रानी, ज़ीनत बेग़म, मंजू, अमीरबाई कर्नाटकी, [[मोहम्मद रफ़ी]], [[तलत महमूद]], [[गीता दत्त]], [[सुरैया]], [[श्मशाद बेगम]], [[मुकेश]], [[मन्ना डे]], [[आशा भोंसले]], [[किशोर कुमार]] और स्वर-कोकिला [[लता मंगेशकर]] आदि ने गाया।
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| ====संगीत निर्देशकों द्वारा गायन====
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| कमर जलालाबादी के लिखे गीतों को कुछ संगीत निर्देशकों ने स्वयं भी गाया। एस. डी. बर्मन ने [[1946]] में बनी 'एट डेज़' फिल्म के लिये एक कॉमिक गीत "ओ बाबू बाबू रे दिल को बचाना बचाना दिल का बनेगा निशाना…" अपनी आवाज़ में गाया। संगीत निर्देशक सरदार मलिक ने भी उनके लिखे कई गीत गाये और [[1947]] में बनी 'रेणुका' के एक गीत "सुनती नहीं दुनिया कभी फरियाद किसी की, दिल रोता रहा आती रही याद उसकी" ने लोकप्रियता हासिल की।
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==बाहरी कड़ियाँ==
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| ==संबंधित लेख==
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