"पहेली 7 अक्टूबर 2014": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Malik-ambar.jpg|right|100px|मलिक अम्बर]]'मलिक अम्बर' एक हब्शी ग़ुलाम था। वह तरक़्क़ी करके वज़ीर के पद तक पहुँचा था। उसका नाम पहली बार 1601 ई. में उस समय चमक उठा, जब उसने [[मुग़ल]] सेना को हरा दिया। [[मलिक अम्बर]] एक 'अबीसीनियायी' था और उसका जन्म 'इथियोपिया' में हुआ था। उसके प्रारम्भिक जीवन की विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसा अनुमान है कि उसके निर्धन [[माता]]-[[पिता]] ने उसे [[बग़दाद]] के ग़ुलाम-बाज़ार में बेच दिया था। बाद में उसे किसी व्यापारी ने ख़रीद लिया और उसे [[दक्षिण भारत]] ले आया, जहाँ की समृद्धि उस काल में बहुत लोगों को आकर्षित करती थी। मलिक अम्बर ने [[मुर्तज़ा निज़ामशाह द्वितीय|मुर्तज़ा निज़ामशाह]] के प्रभावशाली सरदार चंगेज़ ख़ाँ के यहाँ काफ़ी तरक़्क़ी की थी।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मलिक अम्बर]]
||[[चित्र:Malik-ambar.jpg|right|100px|मलिक अम्बर]]'मलिक अम्बर' एक हब्शी ग़ुलाम था। वह तरक़्क़ी करके वज़ीर के पद तक पहुँचा था। उसका नाम पहली बार 1601 ई. में उस समय चमक उठा, जब उसने [[मुग़ल]] सेना को हरा दिया। [[मलिक अम्बर]] एक 'अबीसीनियायी' था और उसका जन्म 'इथियोपिया' में हुआ था। उसके प्रारम्भिक जीवन की विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसा अनुमान है कि उसके निर्धन [[माता]]-[[पिता]] ने उसे [[बग़दाद]] के ग़ुलाम-बाज़ार में बेच दिया था। बाद में उसे किसी व्यापारी ने ख़रीद लिया और उसे [[दक्षिण भारत]] ले आया, जहाँ की समृद्धि उस काल में बहुत लोगों को आकर्षित करती थी। मलिक अम्बर ने [[मुर्तज़ा निज़ामशाह द्वितीय|मुर्तज़ा निज़ामशाह]] के प्रभावशाली सरदार चंगेज़ ख़ाँ के यहाँ काफ़ी तरक़्क़ी की थी।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मलिक अम्बर]]
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 6 अक्तूबर  2014]] |अगली=[[पहेली 8 अक्तूबर 2014]]}}
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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14:38, 5 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण