"भृंग": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
नवनीत कुमार (वार्ता | योगदान) ('भृड़्ग (भृंग)- [स. भृ+गन्, कित्, नुट्-आगम] पु. 1. भ्रमर।...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ=भ्रमर, भौंरा, भृंगराज (पौधा), भँगरा, भृंगराज पक्षी, लम्पट मनुष्य, सुवर्ण का घट/पात्र। | |||
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]], एक समवर्णिक छ्न्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: 6 नगण और गुरु-लघु के योग से 20 वर्ण होते हैं तथा 6-6-8 पर यति होती है। | |||
|उदाहरण=मैं प्यासा भृंग जनम भर का<br /> | |||
फिर मेरी प्यास बुझाए क्या,<br /> | |||
दुनिया का प्यार रसम भर का ।<br /> | |||
मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।। -गोपाल सिंह नेपाली | |||
|विशेष=एक कीड़ा जो किसी कीड़े को पकड़कर उसे [[मिट्टी]] से ढँक देता है और फिर उस पर बैठकर अपनी आवाज़ आदि से कीड़े को अपने समान ही बना लेता है। | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत=[(धातु) भृ+गन्, कित्, नुट्-आगम] | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
|संबंधित शब्द=भृंगक | |||
|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
}} | |||
[[category:शब्द संदर्भ कोश]] | |||
__INDEX__ |