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'''विश्वनाथ नाना पाटेकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vishwanath Nana Patekar'', जन्म: [[1 जनवरी]], [[1951]], मुरुड-जंजिरा, [[महाराष्ट्र]]) भारतीय फ़िल्‍म अभिनेता के साथ-साथ वह लेखक और फ़िल्‍म निर्माता भी हैं। नाना हिन्‍दी फ़िल्‍मों के मशहूर अभिनेता माने जाते हैं। उनके अभिनय के सभी कायल हैं और यही कारण है कि उन्‍हें आज तक कई बार राष्‍ट्रीय फ़िल्‍म पुरस्‍कार और फ़िल्‍मफेयर पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका हैा उन्‍हें [[पद्मश्री]] सम्‍मान भी मिल चुका है। वे इंडस्‍ट्री में अपने डॉयलाग को बोलने की स्‍टाइल को लेकर काफी मशहूर हैं।<ref>{{cite web |url=https://hindi.filmibeat.com/celebs/nana-patekar/biography.html |title=नाना पाटेकर |accessmonthday=20 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.filmibeat.com |language=हिंदी}}</ref>
==परिचय==
नाना पाटेकर का जन्म [[1 जनवरी]], [[1951]] को मराठी परिवार में हुआ था। उनका असली नाम विश्वनाथ पाटेकर है। इनके पिता दिनकर पाटेकर कपड़े के व्यापारी और माँ संजनाबाई पाटेकर एक गृहणी थी। नाना पाटेकर ने अपनी स्नातक की पढाई [[मुंबई]] में की। नाना पाटेकर ने नीलकंठी पाटेकर से विवाह किया, लेकिन वैवाहिक जीवन में समस्याओं के चलते उनका बाद में तलाक हो गया। उनका एक बेटा मल्हार पाटेकर है। नाना पाटेकर ने अपने साथी मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन” की स्थापना की जो किसानो की मदद करती है।<ref>{{cite web |url=https://gajabkhabar.com/biography-and-movies-of-nana-patekar/ |title=नाना पाटेकर |accessmonthday=20 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=gajabkhabar.com |language=हिंदी}}</ref>
==फ़िल्मी कॅरियर==
{{मुख्य|नाना पाटेकर का फ़िल्मी कॅरियर}}
नाना पाटेकर ने शुरू में कई सालो तक थिएटर में काम किया। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत [[1974]] में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' ([[1987]]) और 'सलाम बॉम्बे' ([[1988]]) फ़िल्मों में काम किया। [[1989]] में आयी 'परिंदा' फ़िल्म में विलन का किरदार निभाकर वे फ़िल्मकारों की नजरों में आ गये। इस फ़िल्म ने उनको इंडस्ट्री में अहम स्थान दिलाया और उनको इस फ़िल्म के लिए सपोर्टिंग एक्टर का रास्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
====निर्देशन के रूप में====
[[1991]] में नाना पाटेकर ने अपनी पहली फ़िल्म 'प्रहार' निर्देशित की और इस फ़िल्म में वो खुद एक्टर और [[माधुरी दीक्षित]] एक्ट्रेस थीं। इसके बाद [[1992]] में 'अंगार' फ़िल्म में उनको बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला। [[1994]] में उनकी फ़िल्म 'क्रान्तीवीर' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। इस फ़िल्म में उनके दमदार डायलाग को भुलाया नहीं जा सकता। [[1994]] में 'अभय' फ़िल्म में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया, जिसके लिए भी उनको अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्होंने 'अग्नी साक्षी' (1996), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' (1998) फ़िल्में की और अलग-अलग किरदार निभाएँ। 


नाना पाटेकर ने बॉलीवुड में हीरो और विलन दोनों तरह के किरदार निभाएँ। [[1996]] में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'खामोशी' में एक गूंगे पिता का किरदार निभाया। हालंकि फ़िल्म सफल नहीं हुई, लेकिन उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद कई सालो तक ये फ़िल्मो से दूर रहे और [[2005]] में 'अब तक छप्पन' से फ़िल्मों में वापसी की। इस फ़िल्म में उन्होंने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया। [[1999]] में नाना ने [[अमिताभ बच्चन]] के साथ मिलकर एक एक्शन फ़िल्म 'कोहराम' में काम किया। नाना पाटेकर ने पहली बार [[2007]] में बनी फ़िल्म 'वेलकम' में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। जिसमे वो [[दुबई]] के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते हैं, जो हिंदी फ़िल्मों में काम करना चाहता है। 'अपहरण' फ़िल्म में उनको Filmfare Best Villain Award का अवॉर्ड मिला। 
नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों में भी काम किया। इनके अलावा इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', और 'हुतुतू' है। [[2015]] में 'अब तक छप्पन' की सीरीज 'अब तक छप्पन 2' में काम किया। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' (2003), 'वजूद' (1998), और 'यशवंत' (1997) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में शेरखान की आवाज़ दी।
==प्रमुख फ़िल्में==
{{मुख्य|नाना पाटेकर की प्रमुख फ़िल्में}}
नाना पाटेकर की फ़िल्मों में शुरुआत [[1974]] में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' ([[1987]]), 'सलाम बॉम्बे' ([[1988]]), 'परिंदा' [[1989]], 'अंगार', 'क्रान्तीवीर', 'अभय', 'अग्नी साक्षी' (1996), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' (1998) फ़िल्में की। इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', 'हुतुतू', 'अब तक छप्पन' और 'अब तक छप्पन 2' में काम किया।
==प्रसिद्ध संवाद==
{{मुख्य|नाना पाटेकर के प्रमुख संवाद}}
नाना पाटेकर भारतीय सिनेमा में अपनी बेबाक आवाज़ के लिये जाने जाते हैं। उनके फ़िल्मों में कुछ प्रसिद्ध डायलाग है, जो इस प्रकार है-
*आ गये मेरी मौत का तमाशा देखने
*ये मुसलमान का खून है ये हिन्दू का खून है ….बता इसमें मुसलमान का कौन-सा, हिन्दू का कौन-सा बता
*साला अपने देश में एक सुई नही बना सकते ….और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हैं
==सम्मान एवं पुरस्कार==
{{मुख्य|नाना पाटेकर को मिले सम्मान एवं पुरस्कार}}
*सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता परिदा के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- परिंदा
*सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- क्रांतीवीर
*फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार- परिंदा
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{अभिनेता}}
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12:09, 29 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण