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{विश्व का सबसे बड़ा "चाय का बाज़ार" किस शहर को माना जाता है?
{तटस्थता वक्र विश्लेषण में वस्तु X तथा Y के विभिन्न संयोगों में संबंध होता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-56
|type="()"}
|type="()"}
+[[गुवाहाटी]]
+वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Yघटेगी
-[[दिसपुर]]
-वस्तु Yबढ़ेगी तथा वस्तु X घटेगी
-[[कचार]]
-वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Y वस्तु स्थित रहेगी
-[[सिलचर]]
-वस्तु Y बढ़ेगी तथा वस्तु X भी बढ़ेगी
||[[चित्र:Tea-Worker.jpg|right|100px|border|चाय के बाग़ान में काम करते कुछ लोग]]'[[गुवाहाटी]] [[असम]] का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र तथा [[बंदरगाह]] है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार गुवाहाटी आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे विश्व का सबसे बड़ा [[चाय]] का बाज़ार माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में चाय तथा [[कृषि]] उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना हैं। यहाँ कोई अन्य बड़े उद्योग नहीं हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुवाहाटी]], [[चाय]]
||दो या दो से अधिक वस्तुओं के ऐसे संयोगों या युग्मो को प्रदर्शित करने वाला वक्र जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त हो, 'सम संतुष्टि वक्र', अनधिमान वक्र' या 'तटस्थता वक्र' कहलाता है। तटस्थता वक्र विश्लेषण पर सभी संयोगों के प्रति उदासीनता के लिए उपभोक्ता वस्तु X की अधिक इकाइयों के लिए Y वस्तु की कम इकाइयों का त्याग करेगा।


{रामतनु पाण्डेय किस व्यक्ति का मूल नाम था?
{निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-57
|type="()"}
|type="()"}
-[[स्वामी हरिदास]]
-यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग कम होगी
-[[बीरबल]]
+यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
+[[तानसेन]]
-यदि वस्तु की मांग कम है तो साधन की मांग अधिक होगी
-[[अकबर]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|right|100px|border|स्वामी हरिदास, अकबर तथा तानसेन]]'[[तानसेन]] का मूल नाम क्या था, यह निश्चय पूर्वक कहना कठिन है, किंवदंतियों के अनुसार उनका नाम तन्ना, त्रिलोचन, तनसुख, अथवा रामतनु बतालाया जाता है। तानसेन इनका नाम नहीं इनकी उपाधि थी, जो तानसेन को [[बांधवगढ़]] के राजा रामचंद्र से प्राप्त हुई थी। वह उपाधि इतनी प्रसिद्ध हुई कि उसने इनके मूल नाम को ही लुप्त कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तानसेन]]
||एक वस्तु की मांग तथा एक साधन की मांग की प्रकृति में अंक्षर होता है। एक वस्तु की मांग प्रत्यक्ष होती है जो उसकी सीमांत उपयोगिता पर आधारित होती है, जबकि एक साधन की मांग व्युत्पन्न मांग होती है। यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
एक वस्तु की पूर्ति उसकी मुद्रा उत्पादन लागत पर निर्भर करती है जबकि एक साधन की पूर्ति उसकी अवसर लागत पर निर्भर करती है।


{[[शुंग वंश]] का अंतिम शासक कौन था?
{उस बिंदु पर उपभोक्ता साम्य में होता है, जब बजट रेखा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-58
|type="()"}
|type="()"}
-[[अग्निमित्र]]
-एक उदासीन क्रम से ऊपर होती है
+[[देवभूति]]
-उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
-भगभद्र
+उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
-एक उदासीन वक्र को कटती है
||[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] [[शुंग वंश]] का प्रथम शासक था, उसके पश्चात उसका पुत्र [[अग्निमित्र]], उसका पुत्र वसुमित्र राजा बना। वसुमित्र के पश्चात जो शुंग सम्राट हुए, उसमें कौत्सीपुत्र भागमद्र, भद्रघोष, भागवत और [[देवभूति]] के नाम उल्लेखनीय है। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक [[वैदिक धर्म]] के मानने वाले थे। इनके समय में [[भागवत धर्म]] की विशेष उन्नति हुई।
||चित्र से स्पष्ट है कि IC2 उपभोक्ता की क्रय सीमा के बाहर है। PL ढाल OP/OL दोनों वस्तुओं के बीच मूल्य अनुपात प्रदर्शित करता है। IC1 वक्र पर उपभोक्ताम की उपयोगिता अधिकतम नहीं है। बिंदु E पर उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में है, वहां बजट रेखा, अनधिमान वक्र की स्पर्श रेखा है, अन्य सभी बिंदुओं पर बजट रेखा अनधिमान वक्रों को काटती है। बिंदु E पर वह x की OB तथा y की OA मात्रा क्रय करेगा।
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शुंग वंश]], [[देवभूति]]
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.हिक्स के अनुसार, उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में वहां होगा जहां मूल्य रेखा का ढाल, तटस्थता वक्र की ढाल के बराबर हो।
.मार्शल के अनुसार, उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में वहां होगा जहां वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता तथा उनके मूल का अनुपात परस्पर बताबर हो।


{[[भारत]] का वह कौन-सा शहर है, जिसे 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है?
{MRSxy व्यक्त करता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-59
|type="()"}
|type="()"}
-[[मुम्बई]]
+उपभोक्ता X की एक अतिरिक्त इकाई के लिई Y की कितनी मात्रा का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
-[[जयपुर]]
-उपभोक्त y की एक अतिरिक्त इकाई के लिए x की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
-[[अहमदाबाद]]
-उपभोक्ता x की एक इकाई के लिए y की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और ऊंचे उदासीनता-वक्र पर चढ़ जाता है
+[[सूरत]]
-उपभोक्ता निचले उदासीनता-वक्र पर उत्तर काता है।
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|border|परले पॉइंट, सूरत]]'[[सूरत]] [[गुजरात|गुजरात राज्य]] का प्रसिद्ध शहर है। यह दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। यह 'खंभात की खाड़ी' पर ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 ई. में एक हिन्दू ब्राह्मण 'गोपी' ने इसे बसाया था। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और हीरे की कटिंग और पॉलिशैंग आदि के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इस शहर को 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
||MRSxy से तात्पर्य x की एक अतिरिक्त इकाई के लिए y की छोड़ी गई मात्रा से है जिससे उपभोक्त संतुष्टि के उसी पर बना रहे। अत: x की मात्रा की वृद्धि के लिए y की छोड़ी गई मात्रा में उत्तरोत्तर कमी, घटती प्रतिस्थापन की सीमांत दर व्यक्ति करता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.घटती हुई प्रतिस्थापना की सीमांत दर (MRSxy=; Diminishing marginal rate of substitution) का सिद्धांत क्रमागत उपयोगिता ह्नास नियम के सिद्धांत पर आधारित है।
.क्रमागत उपयोगिता ह्लास नियम के अनुसार, जैसे-जैसे x के मात्रा बढ़ती जाती है उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता क्रमश: घटती जाती है, दूसरी ओर जैसे-जैसे y के स्टॉक में कमी होती जाती है, y की उपयोगीता बढ़ती जाती है। अत: संतुष्टि के उसी स्तर पर बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि x के कारण उपयोगिता में वृद्धि, y के कारण उपयोगिता में कमी के बराबर होनी चाहिए।


{"जैसे छोटा-सा तिनका हवा का रुख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएँ मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं।" यह कथन किसका है?
{प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा होगा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-60
|type="()"}
|type="()"}
-[[इंदिरा गाँधी]]
+ऋणात्मक
+[[महात्मा गाँधी]]
-धनात्मक
-[[सुभाष चंद्र बोस]]
-ऋणात्मक या धनात्मक
-[[जवाहरलाल नेहरू]]
-आय प्रभाव के बराबर
||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|border|महात्मा गाँधी]]'[[महात्मा गाँधी]] को [[ब्रिटिश शासन]] के ख़िलाफ़ [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और '[[राष्ट्रपिता]]' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गांधी जी ने वर्ष [[1917]]-[[1918]] के दौरान [[बिहार]] के चम्‍पारण नामक स्‍थान के खेतों में पहली बार भारत में सत्‍याग्रह का प्रयोग किया। यहाँ अकाल के समय ग़रीब किसानों को अपने जीवित रहने के लिए जरूरी खाद्य फ़सलें उगाने के स्‍थान पर नील की खेती करने के लिए ज़ोर डाला जा रहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]]
||प्रतिस्थापन प्रभाव से आशय x वस्तु के मूल्य में सापेक्षिक परिवर्तन के कारण x वस्तु की मांगी गई मात्रा में परिवर्तन से है जबकि उपभोक्ता की वास्तुविक आय पूर्ववत रखी गई है।
प्रतिस्थापन प्रभाव मूल्य में कमी के कारण उत्पन्न होता है। मूल्य में कमी परिवर्तन हमेशा विपरीत दिशा में होगा। अत: प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा ऋणात्मक होगा।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.आय प्रभाव धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों हो सकता है।
.गिफेन वस्तु के संदर्भ में आय प्रभाव इतना अधिक धनात्मक होता है कि वह ऋणात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव को समाप्त कर देता है और मूल्य प्रभाव के धनात्मक कर देता है।
 
 


{[[पाल वंश]] का संस्थापक कौन था?
 
{एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि निम्न तत्व को छोड़कर बाकी सब निर्धारक तत्व स्थिर रहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-128
|type="()"}
|type="()"}
-[[महिपाल प्रथम]]
-उपभोक्ता की आय
-[[देवपाल (पाल वंश)]]
-संबंधित वस्तुओं की कीमत
-[[धर्मपाल]]
+वस्तु की कीमत
+[[गोपाल प्रथम]]
-उपभोक्ता की रुचि
||'[[गोपाल प्रथम]] गौड़ (उत्तरी बंगाल) [[पाल वंश]] का प्रथम राजा तथा [[बंगाल]] और [[बिहार]] पर लगभग चार शताब्दी तक शासन करने वाला पाल वंश का संस्थापक था। गोपाल प्रथम का शासन लगभग 750 से 770 ई. तक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल प्रथम]], [[पाल वंश]]
||एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि वस्तु की कीमत को छोड़कर शेष सभी निर्धारक तत्व स्थित रहते हैं, क्योंकि मांग वक्र का विश्लेषण वस्तु की कीमत और उसकी मात्रा द्वारा किया जाता है।


{किस शहर का प्राचीन नाम [[शाल्वपुर]] था?
{मांग वक्र प्रदर्शित है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-129
|type="()"}
|type="()"}
-[[किशनगढ़]]
-उत्पादन लागत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
+[[अलवर]]
+वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
-[[चित्तौड़गढ़]]
-वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के प्रत्यक्ष संबंध को।
-[[जालौर]]
-मांग की मात्रा में परिवर्तन के विपरीत संबंध को।
||[[चित्र:City-Palace-Alwar.jpg|right|100px|border|सिटी पैलेस, अलवर]]'[[अलवर]] शहर, पूर्वोत्तर [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। अलवर का क्षेत्र दक्षिण से उत्तर में लगभग 13 किलोमीटर तथा पूर्व में लगभग 110 किलोमीटर तक फैला हुआ हैं। अलवर का प्राचीन नाम शाल्वपुर था। चारदीवारी और खाई से घिरे हुए इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार पहाड़ पर स्थित बाला क़िला इसकी विशिष्टता है। 1775 में इसे अलवर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलवर]]
||किसी वस्तु के मांग वक्र की सामान्य प्रकृति बाएं से दाएं नीचे की ओर ढाल के रूप में होती है और यह किसी वस्तु की कीमत और उस वस्तु की मांग मात्रा के बीच विपरीत संबंध को व्यक्त करता है। इसका अर्थ है कि किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से उस वस्तु की मांग घट जाएगी।


{वह कौन-सी पर्वत श्रृंखला है, जो [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से होकर गुज़रती है?
{जब मांग की रेखा सदैव आधार रेखा के समानांतर रहती है, ऐसी स्थिति में मांग की लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-130
|type="()"}
|type="()"}
+[[अरावली पर्वतमाला]]
-शून्य
-[[मैकॉल श्रेणी]]
+अनंत
-[[विन्ध्याचल पर्वत]]
-इकाई से कम
-[[पश्चिमी घाट पर्वत]]
-इकाई से अधिक
||[[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|right|100px|border|अरावली पर्वतमाला]]'[[अरावली]] या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती हुई 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरावली पर्वतमाला]]
||जब मांग की रेखा सदैव आधार रेखा (X-अक्ष) के समानांतर रहती है तो ऐसी स्थिति में मांग की लोच अनंत होती है। इसका अर्थ है कि किसे वस्तु की मांग मात्रा पर्याप्त परिवर्तन होने के बावजूद उस वस्तु की कीमत अपरिवर्तित रहती है।
 
{सैम्युएल्सन के अनुसार मांग के तार्किक सिद्धांत का तीसरा सूत्र है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-132
|type="()"}
-तटस्थ वक्र विश्लेषण
-मांग की लोच
+उद्घाटित अधिमान सिद्धांत
-उपयोगिता विश्लेषण
||सैम्युएल्सन के अनुसार मांग के तार्किक सिद्धांत का तीसरा सूत्र उद्घाटित अधिमान सिद्धांत है, जिसे सैम्युएल्सन ने वर्ष 1958 में अपनी पुस्तक 'Economics' में प्रस्तुत किया था। यह बाजार में उपभोक्ता के अवलोकित व्यवहार के आधार पर दो वस्तुओं के एक संयोग के लिए उपभोक्ता के अधिमान का विश्लेषण करता है।
 
{एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप जब दोनों वस्तुओं की मांग घटती या बढ़ती है तो मांग की तिरछी लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-133
|type="()"}
+ऋणात्मक
-धनात्मक
-शून्य
-इकाई के बराबर
 
||एक वस्तु की मांग-मात्रा में प्रकाशित परिवर्तन का एक संबंधित वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का आनुपारिक संबंध मांग की तिरछी लोच होती है। ऐसा दो प्रकार की वस्तुओं स्थानापन्न और पूरक के संबंध में होता है। जब एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप दोनों वस्तुओं की मांग घटती या बढ़ती है तो मांग की तिरछी लोच ऋणात्मक होती हैं, क्योंकि ऐसी वस्तुएं पूरक होती हैं।
 
 
 
{पूर्ण प्रतियोगिता की वह कौन-सी विशेषता है, जो एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता पर लागू नहीं होती? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-107
|type="()"}
-अधिक क्रेता व विक्रेता
-स्वतंत्र प्रवेश व निकास
+एकरूप उत्पादन
-उपर्युक्त सभी
||पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता की सभी मान्यताएं समान होती हैं, सिर्फ 'एक रूप उत्पादन' की मान्यता को छोड़कर। पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता दोनों में 'समरूप' वस्तुएं उत्पादित होती हैं, लेकिन एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में 'पैकेजिंग' आदि करके वस्तुओं को भिन्न कर दिया जाता है।
 
{दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-109
|type="()"}
+सामान्य लाभ प्राप्त करती है।
-हानि सहन करती हैं।
-लाभ अर्जित करती हैं।
-उपरोक्त सभी।
||दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल सामान्य लाभ प्राप्त करती हैं, क्योंकि दीर्घकाल में फर्में इस प्रकार समायोगित होती हैं कि वे अपने औसत लागत वक्र के न्यूनतम बिंदु पर उत्पादन कर रही होती है और इस बिंदु पर औसत आय रेखा स्पर्श करती है, जिससे फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
 
{अपूर्ण प्रतियोगिता से यह संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111
|type="()"}
-फर्मों की अधिक संख्या
+समरूप पदार्थ
-मांग लोचपूर्ण
-कीमत पर कुछ नियंत्रण
||अपूर्ण प्रतियोगिता में विक्रेता फर्मों के उत्पाद सहजातीय या समरूप नहीं होते हैं, बल्कि वे परस्पर नजदीकी स्थानापन्न होते हैं।
 
{एकाधिकारी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-113
|type="()"}
-अपनी बिक्री तथा उत्पादन को बढ़ाकर वस्तु की कीमत को घटा सकता है।
-अपनी बिक्री तथा उत्पादन को घटाकर कीमत को बढ़ा सकता है।
+उपरोक्त दोनों।
-उपरोक्त में कोई भी नहीं।
||एकाधिकारी बाजार में फर्म उस स्थिति में होती है कि वह या तो पूर्ति पर नियंत्रण कर ले या फिर कीमत पर, अर्थात वह दोनों पर एक साथ नियंत्रण स्थापित नहीं कर सकती है, अत: एकाधिकारी चाहे तो अपने उत्पादन तथा बिक्री को बढ़ाकर वस्तु की कीमत घटा सकता है या फिर उत्पादन तथा बिक्री को घटाकर कीमत को बढ़ा सकता है।
 
{एकादिकारी प्रतियोगिता के अल्पकालीन साम्य की अवस्था में- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-114
|type="()"}
-फर्म को लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
-फर्म को हानि सहन करनी पड़ सकती है।
-फर्म को न लाभ न हाँइ की स्थिति से गुजरना पड़ सकता है।
+उपरोक्त सभी।
||एकाधिकारी प्रतियोगिता के अंतर्गत कोई फर्म असामान्य लाभ, असामान्य हानि या सामान्य लाभ किसी भी स्थिति से गुजर सकती है, अत: अल्पकालीन साम्य की अवस्था में फर्म को प्रश्नगत तीनों स्थितियों से गुजरना पड़ सकता है।
 
 
 
 


{[[अष्टछाप कवि|अष्टछाप कवियों]] में सबसे ज्येष्ठ [[कवि]] कौन थे?
{सही कथन क्या है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-50
|type="()"}
|type="()"}
-[[कृष्णदास]]
-लगान में वृद्धि से भूमि की कीमत बढ़ती है।
-[[सूरदास]]
+हस्तांतरण भुगतान का अर्थ न्यूनतम पूर्ति कीमत से है।
+[[कुम्भनदास]]
-एक विशिष्ट साधन लगान का उपार्जन नहीं करता।
-[[नंददास]]
-सीमांत भूमि सर्वाधिक लगान का उपार्जन करती है।
||[[चित्र:Kumbhandas.jpg|right|100px|border|कुम्भनदास]]'गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता [[वल्लभाचार्य|वल्लभ]] के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे। अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ [[कुम्भनदास]] थे और सबसे कनिष्ठ [[नंददास]] थे परंतु काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान [[सूरदास]] का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अष्टछाप कवि]], [[कुम्भनदास]]
||रिकार्डो के अनुसार, "लगान भूमि की उपज का वह भाग है जो भूमि के मालिक को भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के उपयोग के लिए दिया जाता है। अत: स्पष्ट है कि लगान का कारण भूमि में उपलब्ध भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियां हैं जिनके कारण भूमि पर निरंतर उत्पादन होता है। लगान में वृद्धि का भूमि की कीमत से कोई संबंध नहीं होता है बल्कि यदि भूमि पर उत्पादित उपक या अनाज का मूल्य बढ़ता है तो लगान में भी वृद्धि होगी। 'हस्तांतर्ण भुगतान' (Transfer Earning) या 'अवसर आय' वह मूल्य है जो किसी साधन की एक इकाई को किसी उद्योग में बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। अत: कथन "हस्तांतरण भुगतान का अर्थ न्यूनतम पूर्ति कीमत है", सही है।
एक विशिष्ट साधन लगान का उपार्जन करता है जबकि अविशिष्ट साधन को लगान विशिष्ट साधन लगान प्राप्त नहीं होती है। रिकार्डो के अनुसार,  'लगान अधि-सीमांत तथा सीमांत भूमि के उत्पादनों का अंतर है। सीमांत भूमि से आशव भूमि के ऐसे टुकड़े  से है जिस पर उत्पादित वस्तुओं से प्राप्त आय उत्पादन लागात के ठीक-ठीक बराबर होती है। इस प्रकार की भूमि पर कृषि करने वाले को केवल सामान्य लाभ ही प्राप्त होगा। उसे कोई अतिरिक्त बचत नहीं प्राप्त होगी। इस प्रकार सीमांत भूमि से लगान प्राप्त नहीं होता है। अत: केवल विकल्प (b) ही सही है, शेष गलत हैं।


{किस अनुच्छेद के तहत [[राष्ट्रपति]] पर महाभियोग की प्रक्रिया संचालित की जा सकती है?
{मजदूरी के जीवन-निर्वाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया था: (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-51
|type="()"}
|type="()"}
-अनुच्छेद 74
+जेक्स
+अनुच्छेद 61
-मार्क्स
-अनुच्छेद 32
-मार्शल
-अनुच्छेद 64
-सेम्युएल्सन
||[[चित्र:Rashtrapati-Bhavan-1.jpg|right|100px|border|राष्ट्रपति भवन]]'[[राष्ट्रपति]] को उसके पद से अनुच्छेद 61 के तहत महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया तब संचालित की जा सकती है, जब उसने [[संविधान]] के प्रावधानों का उल्लंघन किया हो। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग चलाने का संकल्प [[संसद]] के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन जिस सदन में महाभियोग का संकल्प पेश किया जाना हो, उसके एक चौथाई सदस्यों के द्वारा हस्ताक्षरित आरोप पत्र राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व दिया जाना आवश्यक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]]
||मजदूरी के जीवन-निर्वाह सिद्धांत का प्रतिपादन 18वीं सदी में जैक्स, रिकार्डों और टोरेन्स ने किया था।


{[[ऐनी बेसेन्ट|श्रीमती ऐनी बेसेन्ट]] [[कांग्रेस]] की अध्यक्ष कब निर्वाचित हुई थीं?
{शब्द 'संभाव्य आश्चर्य' किस सिद्धांत से सम्बद्ध है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-52
|type="()"}
|type="()"}
+[[कांग्रेस अधिवेशन कलकत्ता|कलकत्ता अधिवेशन]], [[1917]]
-लगान सिद्धांत
-मुम्बई अधिवेशन, [[1918]]
+ब्याज सिद्धांत
-अमृतसर अधिवेशन, [[1919]]
-मजदूरी सिद्धांत
-[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]], [[1916]]
-लाभ सिद्धांत
||[[चित्र:Annie-Besant-2.jpg|right|100px|border|एनी बेसेंट]]'[[एनी बेसेंट]] भारतीयों की स्वतंत्रता की जबरदस्त पक्षधर थीं। 1914 में उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया और 1917 में निर्वाचन समिति द्वारा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की अध्यक्ष चुनी गई। आमतौर पर पार्टी का अधिवेशन समाप्त होने पर राजनीतिक दल के अध्यक्ष निजी जीवन में व्यस्त हो जाते थे, लेकिन डॉ. बेसेंट ने पूरे वर्ष देश के अलग-अलग हिस्सों में घूमकर पार्टी को संगठित करने का कार्य किया। उन्होंने 'न्यू इंडिया' नामक एक समाचारपत्र भी प्रारम्भ किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एनी बेसेंट]]
||शब्द 'संभाव आश्चर्य' लाभ के सिद्धांत से संबंधित है जिसका प्रतिपादन शाकिल ने किया था। 'सामान्यतया आभ' से तात्पर्य कुल आय के उस भाग से है जो कुल खर्चों को निकाल देने के बाद बच जाती है। पर वास्तव में यह कुल लाभ है, अर्थशास्त्र में प्रयोग किया गया शुद्ध लाभ नहीं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.लाभ के दो रूप हैं- सामान्य लाभ तथा असामान्य लाभ।
.सामान्य लाभ, लाभ की न्यूनतम सीमा है जिससे कम मिलने पर साहसी जोखिम उठाना छोड़ देगा।
.जब औसत आय वक्र (AR) औसत लागत वक्र को स्पर्श करती है तो फर्म को सामान्य लाभ होता है तथा जब यह AR वक्र से नीचे होती है तो फर्म को असामान्य लाभ होगा।
.प्रो. नाइट ने सामान्य तथा असामान्य लाभ के बीच भेद जोखिम के विभिन्न प्रकारों के आधार पर किया है।


{[[महाराष्ट्र]] के [[मुम्बई|मुम्बई शहर]] में स्थित [[कन्हेरी गुफ़ाएँ]] किस धर्म से सम्बंधित हैं?
{जब किसी को क्षति पहुंचाए बिना किसी को अच्छा बनाना संभव न हो तो ऐसी स्थिति को कहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-53
|type="()"}
|type="()"}
-[[हिन्दू धर्म]]
-संभाविता अनुकूलतम
+[[बौद्ध धर्म]]
+पैरेटो अनुकूलतम
-[[जैन धर्म]]
-जनसंख्या अनुकूलतम
-[[सिक्ख धर्म]]
-प्रदूषण अनुकूलतम
||[[चित्र:Raja-Rammohana-Roy-2.jpg|right|100px|border|राजा राममोहन राय]]'[[कन्हेरी]] में दूसरी शताब्दी ई. में चट्टानों को काट-छांट कर 90 गुफ़ाओं का निर्माण किया गया। कन्हेरी के चैत्यगृह के प्रवेश द्वार के सामने एक आंगन है जो अन्य किसी चैत्यगृह में नहीं मिलता। ये गुफ़ाएँ बौद्ध कला दर्शाती हैं। [[कन्हेरी गुफ़ाएँ|कन्हेरी की गुफ़ाओं]] के समूह को [[भारत]] में विशालतम माना जाता है। कन्हेरी की गुफ़ाओं में एक ही पहाड़ को तराश कर लगभग 109 गुफ़ाओं का निर्माण किया गया है। यह बौद्ध धर्म की शिक्षा [[हीनयान]] तथा [[महायान]] का एक बड़ा केंद्र रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कन्हेरी गुफ़ाएँ]], [[मुम्बई]]
||जब किसी को क्षति पहुंचाएं बिना किसी को अच्छा बनाना संभव न हो तो ऐसी स्थिति को "पैरेटो अनुकूलतम" कहते हैं। पैरेटो मापदण्ड यह बताता है कि हम उस समय यह कहते हैं कि कल्याण बढ़ (या घट) गया है, जब दूसरों की स्थिति में परिवर्तन किए बिना कम से कम एक व्यक्ति  को पहले से अच्छी या (बुरी) स्थिति में ले आया जाए।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.कल्याण अर्थशास्त्र पर प्रथम मानक ग्रन्थ प्रो. ए.सी. पीगू का 'The Economics of Welfare' है। पीगू को 'कल्याण अर्थशास्त्र का पिता' माना जाता है।
.समाज कल्याण फलन सिद्धांत की धारणा का प्रतिपादन प्रो. वर्गसन ने किया।
.कालडर के अनुसार, समाज कल्याण में वृद्धि का परीक्षण यह है कि यदि कुछ व्यक्ति पहले से अच्छी और दूसरे पहले से बुरी स्थिति में आ जाते है, तो परिवर्तन से लाभ प्राप्त करने वाले हानि प्राप्त करने वालों की अप्रेक्षाकृत अधिक क्षतिपूर्ति कर सकते हैं और फिर भी स्वयं पहले से अच्छी स्थिति में हो सकते हैं।


{किस शहर को 'भारत का प्रवेश द्वार' कहा जाता है?
{वालरस का 'सामान्य संतुलन का मॉडल' था- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-55
|type="()"}
|type="()"}
-[[चेन्नई]]
+एक स्थैतिक मॉडल
-[[नागपुर]]
-एक गत्यात्मक मॉडल
-[[हैदराबाद]]
-तुलनात्मक स्थैतिक मॉडल
+[[मुम्बई]]
-उपरोक्त में से कोई नहीं नहीं
||[[चित्र:A-View-Of-Mumbai.jpg|right|100px|border|मुम्बई का एक दृश्य]]'[[मुम्बई|मुम्बई शहर]], भूतपूर्व बंबई, [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]] की [[राजधानी]] है। मुम्बई को '''भारत का प्रवेश द्वार''' भी कहा जाता है। यह दक्षिण-पश्चिम भारत देश का वित्तीय व वाणिज्यिक केंद्र और [[अरब सागर]] में स्थित प्रमुख [[बंदरगाह]] है। मुम्बई दुनिया के विशालतम व सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुम्बई]]
||वालरस का सामान्य संतुलन का मॉडल एक स्थैतिक या अगत्यात्मक मॉडल है। इस मॉडल में सभी उपभोक्ता व उत्पादक, समय के किसी भी प्रकार के विलम्ब के बिना, दिन-प्रतिदिन वस्तुओं की उतनी ही मात्रा का उपभोग तथा उत्पादन करते हैं। उनकी रुचितां, अधिमान, आदतें, उत्पादन फलन, पूर्ति फलन तथा उद्देश्य वे ही रहते हैं और उनके आर्थिक निर्णय पूरी तरह एक-दूसरे के अनुरूप होते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि ये सभी तत्व निरंतर बदलते रहते हैं। इसलिए वालरस मॉडल के संतुलन बिंदु की प्राप्ति केवल एक अल्पित अभिलाषा मात्र बनी रहती है।
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11:29, 12 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

1 तटस्थता वक्र विश्लेषण में वस्तु X तथा Y के विभिन्न संयोगों में संबंध होता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-56

वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Yघटेगी
वस्तु Yबढ़ेगी तथा वस्तु X घटेगी
वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Y वस्तु स्थित रहेगी
वस्तु Y बढ़ेगी तथा वस्तु X भी बढ़ेगी

2 निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-57

यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग कम होगी
यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
यदि वस्तु की मांग कम है तो साधन की मांग अधिक होगी
उपर्युक्त में से कोई नहीं

3 उस बिंदु पर उपभोक्ता साम्य में होता है, जब बजट रेखा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-58

एक उदासीन क्रम से ऊपर होती है
उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
एक उदासीन वक्र को कटती है

4 MRSxy व्यक्त करता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-59

उपभोक्ता X की एक अतिरिक्त इकाई के लिई Y की कितनी मात्रा का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
उपभोक्त y की एक अतिरिक्त इकाई के लिए x की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
उपभोक्ता x की एक इकाई के लिए y की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और ऊंचे उदासीनता-वक्र पर चढ़ जाता है
उपभोक्ता निचले उदासीनता-वक्र पर उत्तर काता है।

5 प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा होगा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-60

ऋणात्मक
धनात्मक
ऋणात्मक या धनात्मक
आय प्रभाव के बराबर

6 एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि निम्न तत्व को छोड़कर बाकी सब निर्धारक तत्व स्थिर रहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-128

उपभोक्ता की आय
संबंधित वस्तुओं की कीमत
वस्तु की कीमत
उपभोक्ता की रुचि

7 मांग वक्र प्रदर्शित है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-129

उत्पादन लागत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के प्रत्यक्ष संबंध को।
मांग की मात्रा में परिवर्तन के विपरीत संबंध को।

8 जब मांग की रेखा सदैव आधार रेखा के समानांतर रहती है, ऐसी स्थिति में मांग की लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-130

शून्य
अनंत
इकाई से कम
इकाई से अधिक

9 सैम्युएल्सन के अनुसार मांग के तार्किक सिद्धांत का तीसरा सूत्र है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-132

तटस्थ वक्र विश्लेषण
मांग की लोच
उद्घाटित अधिमान सिद्धांत
उपयोगिता विश्लेषण

10 एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप जब दोनों वस्तुओं की मांग घटती या बढ़ती है तो मांग की तिरछी लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-133

ऋणात्मक
धनात्मक
शून्य
इकाई के बराबर

11 पूर्ण प्रतियोगिता की वह कौन-सी विशेषता है, जो एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता पर लागू नहीं होती? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-107

अधिक क्रेता व विक्रेता
स्वतंत्र प्रवेश व निकास
एकरूप उत्पादन
उपर्युक्त सभी

12 दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-109

सामान्य लाभ प्राप्त करती है।
हानि सहन करती हैं।
लाभ अर्जित करती हैं।
उपरोक्त सभी।

13 अपूर्ण प्रतियोगिता से यह संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111

फर्मों की अधिक संख्या
समरूप पदार्थ
मांग लोचपूर्ण
कीमत पर कुछ नियंत्रण

14 एकाधिकारी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-113

अपनी बिक्री तथा उत्पादन को बढ़ाकर वस्तु की कीमत को घटा सकता है।
अपनी बिक्री तथा उत्पादन को घटाकर कीमत को बढ़ा सकता है।
उपरोक्त दोनों।
उपरोक्त में कोई भी नहीं।

15 एकादिकारी प्रतियोगिता के अल्पकालीन साम्य की अवस्था में- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-114

फर्म को लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
फर्म को हानि सहन करनी पड़ सकती है।
फर्म को न लाभ न हाँइ की स्थिति से गुजरना पड़ सकता है।
उपरोक्त सभी।

16 सही कथन क्या है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-50

लगान में वृद्धि से भूमि की कीमत बढ़ती है।
हस्तांतरण भुगतान का अर्थ न्यूनतम पूर्ति कीमत से है।
एक विशिष्ट साधन लगान का उपार्जन नहीं करता।
सीमांत भूमि सर्वाधिक लगान का उपार्जन करती है।

17 मजदूरी के जीवन-निर्वाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया था: (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-51

जेक्स
मार्क्स
मार्शल
सेम्युएल्सन

18 शब्द 'संभाव्य आश्चर्य' किस सिद्धांत से सम्बद्ध है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-52

लगान सिद्धांत
ब्याज सिद्धांत
मजदूरी सिद्धांत
लाभ सिद्धांत

19 जब किसी को क्षति पहुंचाए बिना किसी को अच्छा बनाना संभव न हो तो ऐसी स्थिति को कहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-53

संभाविता अनुकूलतम
पैरेटो अनुकूलतम
जनसंख्या अनुकूलतम
प्रदूषण अनुकूलतम

20 वालरस का 'सामान्य संतुलन का मॉडल' था- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-55

एक स्थैतिक मॉडल
एक गत्यात्मक मॉडल
तुलनात्मक स्थैतिक मॉडल
उपरोक्त में से कोई नहीं नहीं