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{एक सीधी रेखा वाले मांग वक्र के मध्य मांग की लोच बराबर है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-123
{तटस्थता वक्र विश्लेषण में वस्तु X तथा Y के विभिन्न संयोगों में संबंध होता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-56
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|type="()"}
-2
+वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Yघटेगी
-1/2
-वस्तु Yबढ़ेगी तथा वस्तु X घटेगी
+1
-वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Y वस्तु स्थित रहेगी
-4
-वस्तु Y बढ़ेगी तथा वस्तु X भी बढ़ेगी
||एक सामान्य मांग वक्र जो बांये से दांये नीचे के ओर गिरती हुई होती है के मध्य, मांग की लोच इकाई के बराबर होती है।
||दो या दो से अधिक वस्तुओं के ऐसे संयोगों या युग्मो को प्रदर्शित करने वाला वक्र जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त हो, 'सम संतुष्टि वक्र', अनधिमान वक्र' या 'तटस्थता वक्र' कहलाता है। तटस्थता वक्र विश्लेषण पर सभी संयोगों के प्रति उदासीनता के लिए उपभोक्ता वस्तु X की अधिक इकाइयों के लिए Y वस्तु की कम इकाइयों का त्याग करेगा।
नोट: मांग के वक्र के अन्य रूपों पर मांग की लोच अलग-अलग हो सकती है लेकिन वह विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।


{निम्न में कौन सही है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-124
{निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-57
|type="()"}
|type="()"}
+सामान्य वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव धनात्मक होता है।
-यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग कम होगी
-निम्न वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव ऋणात्मक होता है।
+यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
-श्रेष्ठ वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव शून्य होता है।
-यदि वस्तु की मांग कम है तो साधन की मांग अधिक होगी
-गिफिन वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव धनात्मक होता है।
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||उपभोक्ता की आय बढ़ने पर सामान्य वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव धनात्मक होता है लेकिन यदि मूल्य में कमी होने के फलस्वरूप आय बढ़े, तब गिफिन वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव धनात्मक  होगा।
||एक वस्तु की मांग तथा एक साधन की मांग की प्रकृति में अंक्षर होता है। एक वस्तु की मांग प्रत्यक्ष होती है जो उसकी सीमांत उपयोगिता पर आधारित होती है, जबकि एक साधन की मांग व्युत्पन्न मांग होती है। यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
एक वस्तु की पूर्ति उसकी मुद्रा उत्पादन लागत पर निर्भर करती है जबकि एक साधन की पूर्ति उसकी अवसर लागत पर निर्भर करती है।
 
{उस बिंदु पर उपभोक्ता साम्य में होता है, जब बजट रेखा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-58
|type="()"}
-एक उदासीन क्रम से ऊपर होती है
-उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
+उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
-एक उदासीन वक्र को कटती है
||चित्र से स्पष्ट है कि IC2 उपभोक्ता की क्रय सीमा के बाहर है। PL ढाल OP/OL दोनों वस्तुओं के बीच मूल्य अनुपात प्रदर्शित करता है। IC1 वक्र पर उपभोक्ताम की उपयोगिता अधिकतम नहीं है। बिंदु E पर उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में है, वहां बजट रेखा, अनधिमान वक्र की स्पर्श रेखा है, अन्य सभी बिंदुओं पर बजट रेखा अनधिमान वक्रों को काटती है। बिंदु E पर वह x की OB तथा y की OA मात्रा क्रय करेगा।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
हिक्सीयन विधि के अनुसार, मूल्य जन्यआय प्रभाव होने पर- मूल्य प्रभाव=आय प्रकाश+प्रतिस्थापन प्रभाव
.हिक्स के अनुसार, उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में वहां होगा जहां मूल्य रेखा का ढाल, तटस्थता वक्र की ढाल के बराबर हो।
.सामान्य वस्तुओं के संदर्भ में आय प्रभाव ऋणात्मक होते हैं जिसके कारण मूल्य प्रभाव भी ऋणात्मक होता है।
.मार्शल के अनुसार, उपभोक्ता संस्थिति की स्थिति में वहां होगा जहां वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता तथा उनके मूल का अनुपात परस्पर बताबर हो।
.निकृष्ट कोटि की वस्तुओं में आय प्रभाव तथा कीमत प्रभाव एवं प्रतिस्थान प्रभाव ऋणात्मक होते हैं।
.गिफिन वस्तुओं के संबंध में आय प्रभाव तथा मूल्य प्रभाव धनात्मक एवं प्रतिस्थापन प्रभाव ऋणात्मक होता है।


{मांग की आड़ी लोच होती है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-125
{MRSxy व्यक्त करता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-59
|type="()"}
|type="()"}
-सदैव धनात्मक
+उपभोक्ता X की एक अतिरिक्त इकाई के लिई Y की कितनी मात्रा का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
-सदैव ऋणात्मक
-उपभोक्त y की एक अतिरिक्त इकाई के लिए x की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
-स्थापानापन्न
-उपभोक्ता x की एक इकाई के लिए y की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और ऊंचे उदासीनता-वक्र पर चढ़ जाता है
+संयुक्त मांग वाली वस्तुओं में ऋणात्मक
-उपभोक्ता निचले उदासीनता-वक्र पर उत्तर काता है।
||मांग की आड़ी लोच: एक वस्तु की मांग में जो परिवर्तन दूसरी के मूल्य में परिवर्तन के परिणामस्वरूप होता है उसे मांग की आड़ी लोच कहा जाता है।
||MRSxy से तात्पर्य x की एक अतिरिक्त इकाई के लिए y की छोड़ी गई मात्रा से है जिससे उपभोक्त संतुष्टि के उसी पर बना रहे। अत: x की मात्रा की वृद्धि के लिए y की छोड़ी गई मात्रा में उत्तरोत्तर कमी, घटती प्रतिस्थापन की सीमांत दर व्यक्ति करता है।
मांग की आड़ी लोच= A वस्तु की मांग में % परिवर्तन/A वस्तु की मांग में % परिवर्तन
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.स्थानापन्न वस्तुओं के संबंध में मांग की आड़ी लोच धनात्मक होती है। पूरक वस्तुओं (संयुक्त मांग) के संबंध में मांग की आड़ी लोच ऋणात्मक होती है।
.घटती हुई प्रतिस्थापना की सीमांत दर (MRSxy=; Diminishing marginal rate of substitution) का सिद्धांत क्रमागत उपयोगिता ह्नास नियम के सिद्धांत पर आधारित है।
.मांग की आड़ी लोच बाजार विश्लेषण में प्रयुक्त होने वाली 4 लोचों में से एक है। शेष हैं- मांग की कीमत लोच, पूर्ति की कीमत लोच और मांग की आय लोच।
.क्रमागत उपयोगिता ह्लास नियम के अनुसार, जैसे-जैसे x के मात्रा बढ़ती जाती है उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता क्रमश: घटती जाती है, दूसरी ओर जैसे-जैसे y के स्टॉक में कमी होती जाती है, y की उपयोगीता बढ़ती जाती है। अत: संतुष्टि के उसी स्तर पर बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि x के कारण उपयोगिता में वृद्धि, y के कारण उपयोगिता में कमी के बराबर होनी चाहिए।


{जब मांग वक्र X-अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा के रूप में होता है, तो यह बताता है कि मांग की लोच- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-126
{प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा होगा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-60
|type="()"}
|type="()"}
-शून्य है
+ऋणात्मक
-इकाई से कम है
-धनात्मक
-इकाई से अधिक है
-ऋणात्मक या धनात्मक
+अनंत है
-आय प्रभाव के बराबर
||जब मांग वक्र X-अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा के रूप में होता है, तो मांग की लोच अनंत (पूर्णतया लोचदार मांग) होती है।
||प्रतिस्थापन प्रभाव से आशय x वस्तु के मूल्य में सापेक्षिक परिवर्तन के कारण x वस्तु की मांगी गई मात्रा में परिवर्तन से है जबकि उपभोक्ता की वास्तुविक आय पूर्ववत रखी गई है।
प्रतिस्थापन प्रभाव मूल्य में कमी के कारण उत्पन्न होता है। मूल्य में कमी परिवर्तन हमेशा विपरीत दिशा में होगा। अत: प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा ऋणात्मक होगा।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.जब मांग वक्र Y-अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा हो तो पूर्णतया बेलोचदार मांग होती है।
.आय प्रभाव धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों हो सकता है।
.जब मांग उसी अनुपात में परिवर्तित होती है जिसे अनुपात में मूल्य परिवर्तन होता है तो इसे 'समलोचदार या लोचदार मांग' कहते है।
.गिफेन वस्तु के संदर्भ में आय प्रभाव इतना अधिक धनात्मक होता है कि वह ऋणात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव को समाप्त कर देता है और मूल्य प्रभाव के धनात्मक कर देता है।
 
 


{तिरछी मांग से अभिप्राय एक वस्तु की मांग में परिवर्तन निम्न कारण के होने से होता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-127
|type="()"}
-दूसरी वस्तु की उपयोगिता में अंतर।
+दूसरी वस्तु की कीमत में परिवर्तन।
-दूसरी वस्तु के स्वभाव में परिवर्तन।
-दूसरी वस्तु के आकार में परिवर्तन
||'तिरछी मांग' से अभिप्राय एक वस्तु की मांग में परिवर्तन दूसरी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से होता है। ऐसा प्राय: स्थानापन्न और पूरक वस्तुओं के संबंध में होता है।


{एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि निम्न तत्व को छोड़कर बाकी सब निर्धारक तत्व स्थिर रहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-128
{एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि निम्न तत्व को छोड़कर बाकी सब निर्धारक तत्व स्थिर रहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-128
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{निम्न में से अल्पाधिकार की स्थिति कौन-सी है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-101
|type="()"}
-अनेक क्रेता तथा अनेक विक्रेता
-एक क्रेता तथा अनेक विक्रेता
-एक विक्रेता तथा अनेक क्रेता
+कुछ विक्रेता तथा अनेक क्रेता
||अल्पाधिकार की स्थिति में कुछ विक्रेता तथा अनेक क्रेता होते हैं।
{'कार्टेल' किस बाजार का भाग है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-102
|type="()"}
-एकाधिकार
-पूर्ण प्रतियोगिता
+अल्पाधिकार
-एकाधिकारीकृत प्रतियोगिता
||कार्टेल अल्पाधिकार बाजार का एक भाग है। जब एक उद्योग की विभिन्न अल्पाधिकारी फर्में कीमत-युद्ध अथवा गला-काट प्रतियोगिता से बचने तथा एक साथ मिलकर अपने हितों की रक्षा के लिए आपस में एक औपचारिक समझौता करती हैं तो उसे 'कार्टेल' कहा जाता है।
{निम्नलिखित में से किस संदर्भ में पूर्ण प्रतियोगिता निश्चय ही एकाधिकार से श्रेष्ठतर होगी? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-104
|type="()"}
-प्रवैशिक कुशलता
+आवंटन कुशलता
-प्रौद्योगिकीय कुशलता
-स्थैतिक कुशलता
||पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत संसाधनों का आवंटन सबसे बेहतर ढंग से होता है, जिससे समाज में अधिकतम संतुष्टि अथवा कल्याण की प्राप्ति होती है।
आवंटन कुशलता का तात्पर्य यह है कि संसाधनों का आवंटन इस प्रकार से हो जिससे उत्पन्न उत्पादन का ढांचा (अर्थात विभिन्न वस्तुओं की मात्रा) ऐसा हो जो उपभोक्ताओं के अधिमानों के अनुकूल हो ताकि उनकों अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो सके।
{निम्न में से कौन एक पूर्ण प्रतियोगिता की आवश्यक शर्त नहीं है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-105
|type="()"}
-वस्तु विभेद की पूर्ण अनुपस्थिति
-उत्पत्ति के साधनों की पूर्ण गतिशीलता
-परिवहन लागतों का अभाव
+विक्रय लागतों की उपस्थिति
||पूर्ण प्रतियोगिता में विक्रय लागतों की अनुपस्थिति होती है। 'विक्रय लागतों' का विचार चैम्बरलीन ने  एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता' के लिए दिया।


{पूर्ण प्रतियोगिता की वह कौन-सी विशेषता है, जो एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता पर लागू नहीं होती? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-107
{पूर्ण प्रतियोगिता की वह कौन-सी विशेषता है, जो एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता पर लागू नहीं होती? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-107
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-उपरोक्त सभी।
-उपरोक्त सभी।
||दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल सामान्य लाभ प्राप्त करती हैं, क्योंकि दीर्घकाल में फर्में इस प्रकार समायोगित होती हैं कि वे अपने औसत लागत वक्र के न्यूनतम बिंदु पर उत्पादन कर रही होती है और इस बिंदु पर औसत आय रेखा स्पर्श करती है, जिससे फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
||दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल सामान्य लाभ प्राप्त करती हैं, क्योंकि दीर्घकाल में फर्में इस प्रकार समायोगित होती हैं कि वे अपने औसत लागत वक्र के न्यूनतम बिंदु पर उत्पादन कर रही होती है और इस बिंदु पर औसत आय रेखा स्पर्श करती है, जिससे फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
{अल्पकालीन साम्य की अवस्था में पूर्ण प्रतियोगी फर्म- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-110
|type="()"}
-लाभ कमा सकती है।
-हानि सहन कर सकती है।
-न लाभ न हानि की दशा में हो सकती है।
+उपरोक्त सभी
||अल्पकालीन वह समय होता है जिसमें फर्म के लिए परिवर्तन की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। अत: अल्पकालीन साम्य की अवस्था में पूर्ण प्रतियोगी फर्म असामान्य लाभ, असामान्य हानि, सामान्य लाभ(न लाभ, न हाँइ) की दशा में अपने आप को बाजार में कायम रख सकती है।


{अपूर्ण प्रतियोगिता से यह संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111
{अपूर्ण प्रतियोगिता से यह संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111
पंक्ति 187: पंक्ति 146:




{रिकार्डियन सिद्धांत के अनुसार निम्न में से कौन सही है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-46
|type="()"}
-लगान, सीमांत भूमि पर उत्पादन की लागत के बराबर है
+लगान, उत्पादन लागत के ऊपर शुद्ध अतिरेक है
-लगान, एक उत्पादन कारक की अवसर लागत के बराबर है
-दोनों के मध्य विपरीत संबंध होता है
||रिकार्डियन सिद्धांत के अनुसार लगान, उत्पादन लागत के ऊपर शुद्ध अतिरेक होता है। अत:
लगान=कुल अय (TR)-कुल लागत (TC)
लगान=औसत आय (AR)-औरत लागत (AC)
{लगान के प्रतिष्ठित सिद्धांत के अनुसार- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-47
|type="()"}
-भूमि भिन्न-भिन्न प्रकार की पाई जाती है।
-लगान सीमांत भूमि और उसके ऊपर प्राप्त किया जाता है।
-भूमि की अलग-अलग उर्वरता होती है।
+उपर्युक्त सभी।
||लगान के प्रतिष्ठित सिद्धांत के अनुसार (रिकार्डो के अनुसार), लगान भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के कारण उत्पन्न होता है। लगान की माप केवल सीमांत भूमि के आय के आधार पर भूमि की उर्वरता अलग-अलग होती है। भूमि भिन्न-भिन्न प्रकार की पाए जाती है।
{निम्न में से कौन-सा अर्थशास्त्री ब्याज के सिद्धांत से संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-48
|type="()"}
-ए. मार्शल
-के. विकसेल
-आई. फिशर
+एफ. लिस्ट
||फफ. लिस्ट ब्याज के सिद्धांत से संबंधित नहीं हैं जबकि ब्याज के सिद्धांत से संबंधित अर्थशास्त्री अर्थशास्त्री हैं- ए. मार्शल (ब्याज का प्रतिष्ठिक सिद्धांत), सीनियर (ब्याज का उपभोग स्थगन सिद्धांत), बॉम वावर्क (ब्याज का बट्टा सिद्धांत), इरविंग फिशर (ब्याज का समय अधिमान्यता सिद्धांत), के. विकसेल (ब्याज का ऋण योग्य राशियों का सिद्धांत), हिक्स -हेंसन (IS-LM मॉडल), ओहलिन, हेवेलर, रॉबर्डसन, बाइनर, नाइट, जे.वी. क्लार्ड आदि।
{अपने लगान सिद्धांत में रिकार्डों ने भूमि की हस्तांतरण आय को माना है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-49
|type="()"}
-बहुत अधिक
-बहुत कम
+शून्य
-इनमें से कोई नहीं
||रिकार्डो ने अपने लगान सिद्धान्त में हस्तांतरण आय को शून्य माना है। रिकार्डों के अनुसार, भूमि का केवल एक ही प्रयोग संभव है या तो भूमि पर खेती की जाए या बेकार पड़ी रहे। इसलिए उसकी हस्तांतरण अय को शून्य माना।


{सही कथन क्या है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-50
{सही कथन क्या है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-50
पंक्ति 262: पंक्ति 188:
.समाज कल्याण फलन सिद्धांत की धारणा का प्रतिपादन प्रो. वर्गसन ने किया।
.समाज कल्याण फलन सिद्धांत की धारणा का प्रतिपादन प्रो. वर्गसन ने किया।
.कालडर के अनुसार, समाज कल्याण में वृद्धि का परीक्षण यह है कि यदि कुछ व्यक्ति पहले से अच्छी और दूसरे पहले से बुरी स्थिति में आ जाते है, तो परिवर्तन से लाभ प्राप्त करने वाले हानि प्राप्त करने वालों की अप्रेक्षाकृत अधिक क्षतिपूर्ति कर सकते हैं और फिर भी स्वयं पहले से अच्छी स्थिति में हो सकते हैं।
.कालडर के अनुसार, समाज कल्याण में वृद्धि का परीक्षण यह है कि यदि कुछ व्यक्ति पहले से अच्छी और दूसरे पहले से बुरी स्थिति में आ जाते है, तो परिवर्तन से लाभ प्राप्त करने वाले हानि प्राप्त करने वालों की अप्रेक्षाकृत अधिक क्षतिपूर्ति कर सकते हैं और फिर भी स्वयं पहले से अच्छी स्थिति में हो सकते हैं।
{जब किसी को क्षति पहुंचाए बिना किसी को अच्छा बनाना संभव हो, तो ऐसी स्थिति को कहते है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-54
|type="()"}
-संभाविता अनुकूलतम
+पैरेटो अनुकूलतम
-जनसंख्या अनुकूलतम
-प्रदूषण अनुकूलतम
||प्रश्नानुसार विकल्प (b) में 'पैरेटो अनुकूलतम' नहीं बल्कि 'पैरेटो मापदंड' होना चाहिए क्योंकि पैरेटो अनुकूलतम के अनुसार, समाज कल्याण उस समय इष्टतम होता है जन किसी दूसरे व्यक्ति को पहले से बुरी स्थिति में लाए बिना किसी भी व्यक्ति की स्थिति पहले से अच्छी बनाना संभव न हो।


{वालरस का 'सामान्य संतुलन का मॉडल' था- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-55
{वालरस का 'सामान्य संतुलन का मॉडल' था- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-55

11:29, 12 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

1 तटस्थता वक्र विश्लेषण में वस्तु X तथा Y के विभिन्न संयोगों में संबंध होता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-56

वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Yघटेगी
वस्तु Yबढ़ेगी तथा वस्तु X घटेगी
वस्तु X बढ़ेगी तथा वस्तु Y वस्तु स्थित रहेगी
वस्तु Y बढ़ेगी तथा वस्तु X भी बढ़ेगी

2 निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-57

यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग कम होगी
यदि वस्तु की मांग अधिक है तो साधन की मांग भी अधिक होगी
यदि वस्तु की मांग कम है तो साधन की मांग अधिक होगी
उपर्युक्त में से कोई नहीं

3 उस बिंदु पर उपभोक्ता साम्य में होता है, जब बजट रेखा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-20,प्रश्न-58

एक उदासीन क्रम से ऊपर होती है
उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
उदासीन वक्र की स्पर्श रेखा होती है
एक उदासीन वक्र को कटती है

4 MRSxy व्यक्त करता है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-59

उपभोक्ता X की एक अतिरिक्त इकाई के लिई Y की कितनी मात्रा का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
उपभोक्त y की एक अतिरिक्त इकाई के लिए x की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और उसी उदासीनता-वक्र पर रहता है।
उपभोक्ता x की एक इकाई के लिए y की कितनी इकाइयों का त्याग करता है और ऊंचे उदासीनता-वक्र पर चढ़ जाता है
उपभोक्ता निचले उदासीनता-वक्र पर उत्तर काता है।

5 प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा होगा- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-21,प्रश्न-60

ऋणात्मक
धनात्मक
ऋणात्मक या धनात्मक
आय प्रभाव के बराबर

6 एक व्यक्तिगत मांग वक्र इस मान्यता पर आधारित होता है कि निम्न तत्व को छोड़कर बाकी सब निर्धारक तत्व स्थिर रहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-34,प्रश्न-128

उपभोक्ता की आय
संबंधित वस्तुओं की कीमत
वस्तु की कीमत
उपभोक्ता की रुचि

7 मांग वक्र प्रदर्शित है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-129

उत्पादन लागत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के विपरीत संबंध को।
वस्तु की कीमत और वस्तु की मांग के प्रत्यक्ष संबंध को।
मांग की मात्रा में परिवर्तन के विपरीत संबंध को।

8 जब मांग की रेखा सदैव आधार रेखा के समानांतर रहती है, ऐसी स्थिति में मांग की लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-130

शून्य
अनंत
इकाई से कम
इकाई से अधिक

9 सैम्युएल्सन के अनुसार मांग के तार्किक सिद्धांत का तीसरा सूत्र है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-132

तटस्थ वक्र विश्लेषण
मांग की लोच
उद्घाटित अधिमान सिद्धांत
उपयोगिता विश्लेषण

10 एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप जब दोनों वस्तुओं की मांग घटती या बढ़ती है तो मांग की तिरछी लोच होगी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-35,प्रश्न-133

ऋणात्मक
धनात्मक
शून्य
इकाई के बराबर

11 पूर्ण प्रतियोगिता की वह कौन-सी विशेषता है, जो एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता पर लागू नहीं होती? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-107

अधिक क्रेता व विक्रेता
स्वतंत्र प्रवेश व निकास
एकरूप उत्पादन
उपर्युक्त सभी

12 दीर्घकालीन साम्य की अवस्था में सभी पूर्ण प्रतियोगी फर्में केवल- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-109

सामान्य लाभ प्राप्त करती है।
हानि सहन करती हैं।
लाभ अर्जित करती हैं।
उपरोक्त सभी।

13 अपूर्ण प्रतियोगिता से यह संबंधित नहीं है- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111

फर्मों की अधिक संख्या
समरूप पदार्थ
मांग लोचपूर्ण
कीमत पर कुछ नियंत्रण

14 एकाधिकारी- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-113

अपनी बिक्री तथा उत्पादन को बढ़ाकर वस्तु की कीमत को घटा सकता है।
अपनी बिक्री तथा उत्पादन को घटाकर कीमत को बढ़ा सकता है।
उपरोक्त दोनों।
उपरोक्त में कोई भी नहीं।

15 एकादिकारी प्रतियोगिता के अल्पकालीन साम्य की अवस्था में- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-114

फर्म को लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
फर्म को हानि सहन करनी पड़ सकती है।
फर्म को न लाभ न हाँइ की स्थिति से गुजरना पड़ सकता है।
उपरोक्त सभी।

16 सही कथन क्या है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-50

लगान में वृद्धि से भूमि की कीमत बढ़ती है।
हस्तांतरण भुगतान का अर्थ न्यूनतम पूर्ति कीमत से है।
एक विशिष्ट साधन लगान का उपार्जन नहीं करता।
सीमांत भूमि सर्वाधिक लगान का उपार्जन करती है।

17 मजदूरी के जीवन-निर्वाह सिद्धांत का प्रतिपादन किया था: (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-51

जेक्स
मार्क्स
मार्शल
सेम्युएल्सन

18 शब्द 'संभाव्य आश्चर्य' किस सिद्धांत से सम्बद्ध है? (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-52

लगान सिद्धांत
ब्याज सिद्धांत
मजदूरी सिद्धांत
लाभ सिद्धांत

19 जब किसी को क्षति पहुंचाए बिना किसी को अच्छा बनाना संभव न हो तो ऐसी स्थिति को कहते हैं- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-53

संभाविता अनुकूलतम
पैरेटो अनुकूलतम
जनसंख्या अनुकूलतम
प्रदूषण अनुकूलतम

20 वालरस का 'सामान्य संतुलन का मॉडल' था- (अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-55

एक स्थैतिक मॉडल
एक गत्यात्मक मॉडल
तुलनात्मक स्थैतिक मॉडल
उपरोक्त में से कोई नहीं नहीं