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यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]] | |||
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13:56, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
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