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{[[ऋग्वेद|ऋग्वैदिक काल]] में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?
|type="()"}
-अनाज
-मुद्रा
+[[गाय]]
-[[दास]]
||[[चित्र:Cows-mathura2.jpg|right|80px|गाय तथा उसमें वास करने वाले देवता]][[हिन्दू धर्म]] में [[गाय]] की [[पूजा]] का मूल आरंभिक [[वैदिक काल]] में खोजा जा सकता है। भारोपीय लोग, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में [[भारत]] में प्रवेश किया, वे पशुपालक थे। पशुओं का बड़ा आर्थिक महत्त्व था, जो [[वैदिक धर्म]] में भी दिखाई देता है। यद्यपि [[प्राचीन भारत]] में [[गाय|गायों]] और बैलों की बलि दी जाती थी और उनका माँस खाया जाता था। लेकिन दुधारू गायों की बलि क्रमश: बंद की जा रही थी, जैसे [[महाभारत]] व [[मनुस्मृति]] के हिस्सों में और [[ऋग्वेद]] में दुधारू गाय को पहले से ही 'अवध्य' कहा गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गाय]]
</quiz>
 
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 13 सितंबर 2020]]|अगली=[[पहेली 15 सितंबर 2020]]}}
<br />
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
|}
[[Category:भारतकोश पहेली]]
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09:46, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

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