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| {| class="bharattable-green" width="100%"
| | #REDIRECT [[पहेली 14 सितम्बर 2020]] |
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| | [[चित्र:Paheli-logo.png|right|120px]]
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| <quiz display=simple>
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| {[[ऋग्वेद|ऋग्वैदिक काल]] में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?
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| |type="()"}
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| -अनाज
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| -मुद्रा
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| +[[गाय]]
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| -[[दास]]
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| ||[[चित्र:Cows-mathura2.jpg|right|80px|गाय तथा उसमें वास करने वाले देवता]][[हिन्दू धर्म]] में [[गाय]] की [[पूजा]] का मूल आरंभिक [[वैदिक काल]] में खोजा जा सकता है। भारोपीय लोग, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में [[भारत]] में प्रवेश किया, वे पशुपालक थे। पशुओं का बड़ा आर्थिक महत्त्व था, जो [[वैदिक धर्म]] में भी दिखाई देता है। यद्यपि [[प्राचीन भारत]] में [[गाय|गायों]] और बैलों की बलि दी जाती थी और उनका माँस खाया जाता था। लेकिन दुधारू गायों की बलि क्रमश: बंद की जा रही थी, जैसे [[महाभारत]] व [[मनुस्मृति]] के हिस्सों में और [[ऋग्वेद]] में दुधारू गाय को पहले से ही 'अवध्य' कहा गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गाय]]
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| </quiz>
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| <noinclude>
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| {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 13 सितंबर 2020]]|अगली=[[पहेली 15 सितंबर 2020]]}}
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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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| [[Category:भारतकोश पहेली]]
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