"आत्मबोध -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर
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आसमान टूटा, | आसमान टूटा, | ||
उस पर टंके हुये | उस पर टंके हुये, | ||
ख्वाबों के सलमे-सितारे | ख्वाबों के सलमे-सितारे बिखरे। | ||
बिखरे। | देखते-देखते दूब के दलों का रंग, | ||
देखते-देखते दूब के दलों का रंग | |||
पीला पड़ गया। | पीला पड़ गया। | ||
फूलों का गुच्छा सूख कर | फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया। | ||
और ,यह सब कुछ मैं ही था | और, यह सब कुछ मैं ही था | ||
यह मैं | यह मैं, | ||
बहुत देर बाद जान पाया। | बहुत देर बाद जान पाया। | ||
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12:38, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ! |
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