"क्षुद्र ग्रह": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:innersolarsystem-en.png|thumb|मुख्य क्षुद्रग्रह पटटा (सफेद), ट्राजन क्षुद्रग्रह (हरा)]] | |||
*क्षुद्र ग्रह (Asteroids) | * '''क्षुद्र ग्रह (Asteroids) या अवांतर ग्रह''' -- पथरीले और धातुओं के ऐसे पिंड है जो [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें [[ग्रह]] नहीं कहा जा सकता। इन्हें '''लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह या ग्रहिका''' कहते हैं। हमारी सौर प्रणाली में लगभग 100,000 क्षुद्रग्रह हैं लेकिन उनमें से अधिकतर इतने छोटे हैं कि उन्हें पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। प्रत्येक क्षुद्रग्रह की अपनी कक्षा होती है, जिसमें ये सूर्य के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। इनमें से सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह हैं 'सेरेस'। इतालवी खगोलवेत्ता पीआज्जी ने इस क्षुद्रग्रह को जनवरी 1801 में खोजा था। केवल 'वेस्टाल' ही एक ऐसा क्षुद्रग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है यद्यपि इसे सेरेस के बाद खोजा गया था। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकड़ों तक होता है। ये क्षुद्र ग्रह [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की कक्षा के अंदर से [[शनि ग्रह|शनि]] की कक्षा से बाहर तक है। इनमें से दो तिहाई क्षुद्रग्रह [[मंगल ग्रह|मंगल]] और [[बृहस्पति ग्रह|बृहस्पति]] के बीच में एक पट्टे में है। 'हिडाल्गो' नामक क्षुद्रग्रह की कक्षा मंगल तथा शनि ग्रहों के बीच पड़ती है। 'हर्मेस' तथा 'ऐरोस' नामक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से कुछ लाख किलोमीटर की ही दूरी पर हैं। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल में पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण [[महाराष्ट्र]] में '''लोणार झील''' है।<ref name="srm">{{cite web |url=http://navgrah.wordpress.com/2011/02/14/asteroid/ |title=सूरज के बौने बेटे : क्षुद्रग्रह |accessmonthday=[[18 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=सौरमंडल |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | ||
* ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो क्षुद्रग्रहों की कक्षा से भटक गया है तथा प्रत्येक सात वर्षों के बाद पृथ्वी से 256 लाख किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि चन्द्रमा के अतिरिक्त यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का पिंड बन जाता है। इसकी खोज 1898 में जी.विट ने की थी। वैज्ञानिकों ने अपने हाल ही के अध्ययनों में प्लूटो की कक्षा से परे भी क्षुद्रग्रहों का एक बैल्ट (पट्टी) की उपस्थिति की संभवना प्रकट की है। ये पिंड शक्तिशाली दूरबीनो के माध्यम से उड़नतश्तरियों जैसे हैं। उनमें से कुछ बहुत चमकदार हैं, जबकि कुछ अन्य बहुत मध्यम हैं। उनके आकारों को उनकी चमक के आधार पर निर्धारित किया जाता है। | |||
* अधिकतर क्षुद्रग्रह उन्हीं पदार्थों से बने हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले पत्थर बने हैं। हालांकि उनकी सतह के तापमान भिन्न हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये मंगल और गुरु के बीच में किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टुकड़ों में बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरु के बीच का अंतराल सामान्य से ज़्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान में बढते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम में है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य में गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बड़ा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचीन ग्रह की कल्पना सिर्फ़ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह 1500 किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे [[चन्द्रमा उपग्रह|चन्द्रमा]] के आधे से भी कम है।<ref name="srm"></ref> एक दूसरी कल्पना के अनुसार क्षुद्र ग्रह [[सौर मंडल]] बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। यद्यपि उनके जन्म के बारे में कुछ भी ठीक से कहा नहीं जा सकता। | |||
[[चित्र:Asteroid.png|thumb|क्षुद्र ग्रह|250px]] | |||
* क्षुद्र ग्रहों के बारे में हमारी जानकारी उल्कापात में बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण में आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हें उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण में ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है। इन उल्काओं का 22% भाग सीलीकेट का और 5% भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरों जैसे ही होते हैं। | |||
* क्षुद्र ग्रह, सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते हैं। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होंने पाया है कि ये पट्टा सघन नहीं है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच में काफ़ी सारी ख़ाली जगह है। [[अक्टूबर]] [[1991]] में गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक '''951 गैसपरा''' के पास से गुजरा था। अगस्त 193 में गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक '''243 इडा''' की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है। | |||
* अब तक हज़ारों क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। 2 पालास, 4 वेस्ता और 10 हाय्जीया ये 400 किमी और 525 किमी के व्यास के बीच है। बाकि सभी क्षुद्र ग्रह 340 किमी व्यास से कम के है। [[धूमकेतु]], चन्द्रमा और क्षुद्र ग्रहों के वर्गीकरण में विवाद है। कुछ ग्रहों के चन्द्रमाओं को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे- मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस, गुरु के बाहरी आठ चन्द्रमा, शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह। | |||
* सौर मण्डल के बाहरी हिस्सों में भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हें सेन्टारस कहते हैं। इनमे से एक 2060 शीरॉन है जो [[शनि]] और [[यूरेनस]] के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह 5335 डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से यूरेनस तक है। 5145 फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते हैं। ये या तो ग्रहों से टकरा जाते हैं या उनके गुरुत्व में फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते हैं। क्षुद्र ग्रहों को आंखों से नहीं देखा जा सकता लेकिन इन्हें छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है। | |||
==वर्गीकरण== | |||
[[चित्र:asteroids_comets.png|300px|thumb|क्षुद्र ग्रह<br />Asteroids]] | |||
1. '''C वर्ग''' :-- इस श्रेणी में 75% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते हैं। ये काफ़ी धुंधले होते हैं। (albedo 0.03)। ये सूर्य के जैसे संरचना रखते हैं लेकिन [[हाइड्रोजन]] और [[हीलियम]] नहीं होता है।<br> | |||
2. '''S वर्ग''' :-- 17%, कुछ चमकदार (albedo 0.10 से 0.22), ये धातुओं [[लोहा]] और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते हैं।<br> | |||
3. '''M वर्ग''' :-- अधिकतर बचे हुये :- चमकदार (albedo 0.10 से 0.18), निकेल और लोहे से बने।<ref name="srm"></ref> | |||
इनका वर्गीकरण इनकी [[सौरमण्डल]] में जगह के आधार पर भी किया गया है। | |||
1. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से 2 - 4 AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास, फोकीआ, कोरोनीस, एओस, थेमीस, सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है। <br> | |||
2. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)<br> | |||
3. ऎटेन्स :- सूर्य से 1.0 AU से कम दूरी पर और 0.983 AU से ज़्यादा दूरी पर।<br> | |||
4. अपोलोस :- सूर्य से 1.0 AU से ज़्यादा दूरी पर लेकिन 1.017 AU से कम दूरी पर।<br> | |||
5. अमार्स :- सूर्य से 1.017 AU से ज़्यादा दूरी पर लेकिन 1.3 AU से कम दूरी पर।<br> | |||
6. ट्राजन :- गुरु के गुरुत्व के पास। | |||
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|+ '''कुछ मुख्य क्षुद्रग्रह''' एक नज़र में<ref name="srm"></ref> | |||
|- | |||
! क्रमांक | |||
! नाम | |||
! सूर्य से दूरी (कि.मी.) | |||
! त्रिज्या | |||
! द्रव्यमान | |||
! आविष्कारक | |||
! दिनांक | |||
|- | |||
| 2062 | |||
| एटेन Aten | |||
| 144514 | |||
| 0.5 | |||
| ? | |||
| हेलीन Helin | |||
| 1976 | |||
|- | |||
| 3554 | |||
| आमुन Amun | |||
| 145710 | |||
| ? | |||
| ? | |||
| शुमेकर Shoemaker | |||
| 1986 | |||
|- | |||
| 1566 | |||
| आईकेरस Icarus | |||
| 161269 | |||
| 0.7 | |||
| ? | |||
| बाडे Baade | |||
| 1949 | |||
|- | |||
| 433 | |||
| एरास Eros | |||
| 172800 | |||
| 33x13x13 | |||
| | |||
| विट Witt | |||
| 1898 | |||
|- | |||
| 1862 | |||
| अपोलो Apollo | |||
| 220061 | |||
| 0.7 | |||
| ? | |||
| रेनमुथ Reinmuth | |||
| 1932 | |||
|- | |||
| 2212 | |||
| हेफैस्टोस Hephaistos | |||
| 323884 | |||
| 4.4 | |||
| ? | |||
| शेर्न्यख Chernykh | |||
| 1978 | |||
|- | |||
| 951 | |||
| गैस्परा Gaspra | |||
| 330000 | |||
| 8 | |||
| ? | |||
| नेउज़मीन Neujmin | |||
| 1916 | |||
|- | |||
| 4 | |||
| वेस्टा Vesta | |||
| 353400 | |||
| 265 | |||
| 3.0e20 | |||
| ओल्बरस Olbers | |||
| 1807 | |||
|- | |||
| 3 | |||
| जुनो Juno | |||
| 399400 | |||
| 123 | |||
| ? | |||
| हार्डींग Harding | |||
| 1804 | |||
|- | |||
| 15 | |||
| युनोमिया Eunomia | |||
| 395500 | |||
| 136 | |||
| 8.3e18 | |||
| डेगासपरीस De Gasparis | |||
| 1851 | |||
|- | |||
| 1 | |||
| सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह) | |||
| 413900 | |||
| 487 | |||
| 8.7e20 | |||
| पीआज्जी Piazzi | |||
| 1801 | |||
|- | |||
| 2 | |||
| पलास Pallas | |||
| 414500 | |||
| 261 | |||
| 3.18e20 | |||
| ओल्बर्स Olbers | |||
| 1802 | |||
|- | |||
| 243 | |||
| इडा Ida | |||
| 428000 | |||
| 35 | |||
| ? | |||
| ? | |||
| 1880 | |||
|- | |||
| 52 | |||
| युरोपा Europa | |||
| 463300 | |||
| 156 | |||
| ? | |||
| गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt | |||
| 1858 | |||
|- | |||
| 10 | |||
| हायगीआ Hygiea | |||
| 470300 | |||
| 215 | |||
| 9.3e19 | |||
| डेगासपरीस De Gasparis | |||
| 1849 | |||
|- | |||
| 511 | |||
| डेवीडा Davida | |||
| 475400 | |||
| 168 | |||
| ? | |||
| डुगन Dugan | |||
| 1903 | |||
|- | |||
| 911 | |||
| अग्मेम्नान Agamemnon | |||
| 778100 | |||
| 88 | |||
| ? | |||
| रेनमठ Reinmuth | |||
| 1919 | |||
|- | |||
| 2060 | |||
| शीरान Chiron | |||
| 2051900 | |||
| 85 | |||
| ? | |||
| कोवल Kowal | |||
| 1977 | |||
|} | |||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | |||
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{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{सौरमण्डल}} | |||
[[Category:सौरमण्डल]][[Category:खगोल_कोश]] | |||
[[Category:खगोल विज्ञान]] | |||
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08:23, 21 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

- क्षुद्र ग्रह (Asteroids) या अवांतर ग्रह -- पथरीले और धातुओं के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें ग्रह नहीं कहा जा सकता। इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह या ग्रहिका कहते हैं। हमारी सौर प्रणाली में लगभग 100,000 क्षुद्रग्रह हैं लेकिन उनमें से अधिकतर इतने छोटे हैं कि उन्हें पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। प्रत्येक क्षुद्रग्रह की अपनी कक्षा होती है, जिसमें ये सूर्य के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। इनमें से सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह हैं 'सेरेस'। इतालवी खगोलवेत्ता पीआज्जी ने इस क्षुद्रग्रह को जनवरी 1801 में खोजा था। केवल 'वेस्टाल' ही एक ऐसा क्षुद्रग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है यद्यपि इसे सेरेस के बाद खोजा गया था। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकड़ों तक होता है। ये क्षुद्र ग्रह पृथ्वी की कक्षा के अंदर से शनि की कक्षा से बाहर तक है। इनमें से दो तिहाई क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच में एक पट्टे में है। 'हिडाल्गो' नामक क्षुद्रग्रह की कक्षा मंगल तथा शनि ग्रहों के बीच पड़ती है। 'हर्मेस' तथा 'ऐरोस' नामक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से कुछ लाख किलोमीटर की ही दूरी पर हैं। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल में पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण महाराष्ट्र में लोणार झील है।[1]
- ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो क्षुद्रग्रहों की कक्षा से भटक गया है तथा प्रत्येक सात वर्षों के बाद पृथ्वी से 256 लाख किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि चन्द्रमा के अतिरिक्त यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का पिंड बन जाता है। इसकी खोज 1898 में जी.विट ने की थी। वैज्ञानिकों ने अपने हाल ही के अध्ययनों में प्लूटो की कक्षा से परे भी क्षुद्रग्रहों का एक बैल्ट (पट्टी) की उपस्थिति की संभवना प्रकट की है। ये पिंड शक्तिशाली दूरबीनो के माध्यम से उड़नतश्तरियों जैसे हैं। उनमें से कुछ बहुत चमकदार हैं, जबकि कुछ अन्य बहुत मध्यम हैं। उनके आकारों को उनकी चमक के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
- अधिकतर क्षुद्रग्रह उन्हीं पदार्थों से बने हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले पत्थर बने हैं। हालांकि उनकी सतह के तापमान भिन्न हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये मंगल और गुरु के बीच में किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टुकड़ों में बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरु के बीच का अंतराल सामान्य से ज़्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान में बढते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम में है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य में गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बड़ा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचीन ग्रह की कल्पना सिर्फ़ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह 1500 किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चन्द्रमा के आधे से भी कम है।[1] एक दूसरी कल्पना के अनुसार क्षुद्र ग्रह सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। यद्यपि उनके जन्म के बारे में कुछ भी ठीक से कहा नहीं जा सकता।

- क्षुद्र ग्रहों के बारे में हमारी जानकारी उल्कापात में बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण में आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हें उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण में ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है। इन उल्काओं का 22% भाग सीलीकेट का और 5% भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरों जैसे ही होते हैं।
- क्षुद्र ग्रह, सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते हैं। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होंने पाया है कि ये पट्टा सघन नहीं है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच में काफ़ी सारी ख़ाली जगह है। अक्टूबर 1991 में गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक 951 गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त 193 में गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक 243 इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है।
- अब तक हज़ारों क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। 2 पालास, 4 वेस्ता और 10 हाय्जीया ये 400 किमी और 525 किमी के व्यास के बीच है। बाकि सभी क्षुद्र ग्रह 340 किमी व्यास से कम के है। धूमकेतु, चन्द्रमा और क्षुद्र ग्रहों के वर्गीकरण में विवाद है। कुछ ग्रहों के चन्द्रमाओं को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे- मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस, गुरु के बाहरी आठ चन्द्रमा, शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह।
- सौर मण्डल के बाहरी हिस्सों में भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हें सेन्टारस कहते हैं। इनमे से एक 2060 शीरॉन है जो शनि और यूरेनस के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह 5335 डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से यूरेनस तक है। 5145 फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते हैं। ये या तो ग्रहों से टकरा जाते हैं या उनके गुरुत्व में फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते हैं। क्षुद्र ग्रहों को आंखों से नहीं देखा जा सकता लेकिन इन्हें छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है।
वर्गीकरण

Asteroids
1. C वर्ग :-- इस श्रेणी में 75% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते हैं। ये काफ़ी धुंधले होते हैं। (albedo 0.03)। ये सूर्य के जैसे संरचना रखते हैं लेकिन हाइड्रोजन और हीलियम नहीं होता है।
2. S वर्ग :-- 17%, कुछ चमकदार (albedo 0.10 से 0.22), ये धातुओं लोहा और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते हैं।
3. M वर्ग :-- अधिकतर बचे हुये :- चमकदार (albedo 0.10 से 0.18), निकेल और लोहे से बने।[1]
इनका वर्गीकरण इनकी सौरमण्डल में जगह के आधार पर भी किया गया है।
1. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से 2 - 4 AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास, फोकीआ, कोरोनीस, एओस, थेमीस, सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है।
2. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)
3. ऎटेन्स :- सूर्य से 1.0 AU से कम दूरी पर और 0.983 AU से ज़्यादा दूरी पर।
4. अपोलोस :- सूर्य से 1.0 AU से ज़्यादा दूरी पर लेकिन 1.017 AU से कम दूरी पर।
5. अमार्स :- सूर्य से 1.017 AU से ज़्यादा दूरी पर लेकिन 1.3 AU से कम दूरी पर।
6. ट्राजन :- गुरु के गुरुत्व के पास।
क्रमांक | नाम | सूर्य से दूरी (कि.मी.) | त्रिज्या | द्रव्यमान | आविष्कारक | दिनांक |
---|---|---|---|---|---|---|
2062 | एटेन Aten | 144514 | 0.5 | ? | हेलीन Helin | 1976 |
3554 | आमुन Amun | 145710 | ? | ? | शुमेकर Shoemaker | 1986 |
1566 | आईकेरस Icarus | 161269 | 0.7 | ? | बाडे Baade | 1949 |
433 | एरास Eros | 172800 | 33x13x13 | विट Witt | 1898 | |
1862 | अपोलो Apollo | 220061 | 0.7 | ? | रेनमुथ Reinmuth | 1932 |
2212 | हेफैस्टोस Hephaistos | 323884 | 4.4 | ? | शेर्न्यख Chernykh | 1978 |
951 | गैस्परा Gaspra | 330000 | 8 | ? | नेउज़मीन Neujmin | 1916 |
4 | वेस्टा Vesta | 353400 | 265 | 3.0e20 | ओल्बरस Olbers | 1807 |
3 | जुनो Juno | 399400 | 123 | ? | हार्डींग Harding | 1804 |
15 | युनोमिया Eunomia | 395500 | 136 | 8.3e18 | डेगासपरीस De Gasparis | 1851 |
1 | सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह) | 413900 | 487 | 8.7e20 | पीआज्जी Piazzi | 1801 |
2 | पलास Pallas | 414500 | 261 | 3.18e20 | ओल्बर्स Olbers | 1802 |
243 | इडा Ida | 428000 | 35 | ? | ? | 1880 |
52 | युरोपा Europa | 463300 | 156 | ? | गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt | 1858 |
10 | हायगीआ Hygiea | 470300 | 215 | 9.3e19 | डेगासपरीस De Gasparis | 1849 |
511 | डेवीडा Davida | 475400 | 168 | ? | डुगन Dugan | 1903 |
911 | अग्मेम्नान Agamemnon | 778100 | 88 | ? | रेनमठ Reinmuth | 1919 |
2060 | शीरान Chiron | 2051900 | 85 | ? | कोवल Kowal | 1977 |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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