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'''राम वनजी सुतार''' ([[अंग्रेजी]]: ''Ram Vanji Sutar'', जन्म: [[19 फ़रवरी]], [[1925]], [[महाराष्ट्र]]) [[भारत]] के सुप्रसिद्ध शिल्पकार हैं। उन्होंने कई महापुरुषों की बहुत विशाल मूर्तियाँ बनायीं है और उनके माध्यम से बहुत नाम कमाया है। उनके द्वारा बनाई गई [[महात्मा गांधी]] की प्रतिमा अब तक विश्व के तीन सौ से अधिक शहरों में लग चुकी हैं। 91 वर्ष के हो चुके राम वी. सुतार अभी भी हर दिन 8 से 10 घंटे कार्य करते हैं। राम सुतार के कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[1999]] में [[पद्म श्री]] और [[2016]] में [[पद्म भूषण]] पुरस्कार से नवाजा।
मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
==परिचय==
राम सुतार का जन्म 19 फ़रवरी 1925 को महाराष्ट्र में धूलिया ज़िले के गोन्दुर गाँव में एक गरीब [[परिवार]] में हुआ। उनका पूरा नाम राम वनजी सुतार है। उनके पिता वनजी हंसराज जाति व कर्म से बढ़ई थे। उनका विवाह [[1952]] में प्रमिला के साथ हुआ। जिनसे उन्हें [[1957]] में एकमात्र पुत्र अनिल राम सुतार हुआ। अनिल वैसे तो पेशे से वास्तुकार है परन्तु अब वह भी नोएडा स्थित अपने पिता के स्टूडियो व कार्यशाला की देखरेख का कार्य करते हैं
==कॅरियर==
राम सुतार अपने गुरु रामकृष्ण जोशी से प्रेरणा लेकर बम्बई गये, जहाँ उन्होंने जे०जे०स्कूल ऑफ़ आर्ट में दाखिला लिया। [[1953]] में इसी स्कूल से मॉडेलिंग में उन्होंने सर्वोच्च अंक अर्जित करते हुए मेयो गोल्ड मेडल हासिल किया। मॉडेलर के रूप में [[औरंगाबाद]] के आर्कियोलोजी विभाग में रहते हुए राम सुतार ने [[1954]] से [[1958]] तक अजन्ता व एलोरा की प्राचीन गुफ़ाओं में मूर्तियों के पुनर्स्थापन का कार्य किया। [[1958]]-[[1959]] में वह सूचना व प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के दृश्य श्रव्य विभाग में तकनीकी सहायक भी रहे। 1959 में उन्होंने अपनी मर्ज़ी से सरकारी नौकरी त्याग दी और पेशेवर मूर्तिकार बन गये। आजकल वह अपने परिवार के साथ नोएडा में निवास करते हैं और इस आयु में भी पूर्णत: सक्रिय हैं।
==योगदान==
राम सुतार ने वैसे तो बहुत-सी मूर्तियाँ बनायीं है, किन्तु उनमें से कुछ उल्लेखनीय मूर्तियों का योगदान इस प्रकार है-
*45 फुट ऊँची चम्बल देवी की मूर्ति गंगासागर बाँध मध्य प्रदेश, [[भारत]]
मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
*17 फुट ऊँची मोहनदास कर्मचन्द गाँधी की मूर्ति गाँधीनगर, [[गुजरात]]
*21 फुट ऊँची [[महाराजा रणजीत सिंह |महाराजा रणजीत सिंह]] की मूर्ति [[अमृतसर]]
*18 फुट ऊँची [[सरदार बल्लभ भाई पटेल]] की मूर्ति संसद भवन, [[नई दिल्ली]]
2.जीवन यापन के लिए नौकरी
*9 फुट ऊँची [[भीमराव अम्बेडकर]] की मूर्ति जम्मू
*भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की आवक्ष प्रतिमा
==पुरस्कार==
राम सुतार के कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[1999]] में [[पद्म श्री]] और [[2016]] में [[पद्म भूषण]] पुरस्कार से सम्मानित किया।
==काम के प्रति कर्मनिष्ठ==
                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
राम सुतार 91 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन आज भी उनके अन्दर बैठा मूर्तिकार अपने कला-कर्म के प्रति निष्ठावान है। राम सुतार बड़ी संख्या में मूर्तियों के साथ-साथ साठ से अधिक देशों में महात्मा गाँधी की ढाई सौ से अधिक प्रतिमाएं बनाकर अपनी शिल्पकला का अद्भुत नमूना प्रस्तुत कर चुके हैं। गुजरात में स्थापित होने वाली विश्व की सबसे विशाल प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' उन्हीं के निर्देशन में बन रही है।
बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
कहां गया है
जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
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मैडम क्यूरी-जीवन परिचय[Biography]
Raju1993 4 months ago No Comments
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मैडम क्यूरी जीवन परिचय
    प्रस्तावना
    जीवन यापन के लिए नौकरी
    फ्रांस में उच्च शिक्षा
    शोध कार्य में भागीदारी
    रेडियम का आविष्कार
    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
    मैडम क्यूरी की मृत्यु
Gyan Sager
1.प्रस्तावना
              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
2.जीवन यापन के लिए नौकरी
                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
कहां गया है
जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
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3.फ्रांस में उच्च शिक्षा
                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!
93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!
उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.
फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.
4.शोध कार्य में भागीदारी
                                पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!
उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे
उनका मत था
यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि
यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं
यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है
.रेडियम का आविष्कार
                                  1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!
यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!
यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!
क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!
6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
                                      रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया
उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!
7.मैडम क्यूरी की मृत्यु
                              रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.
  रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!
    मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.
उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग
[https://www.gyansager.com/biography-of-madamecuire/ मैडम क्यूरी-जीवन परिचय]

12:23, 24 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

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− मैडम क्यूरी जीवन परिचय

    प्रस्तावना

    जीवन यापन के लिए नौकरी

    फ्रांस में उच्च शिक्षा

    शोध कार्य में भागीदारी

    रेडियम का आविष्कार

    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

    मैडम क्यूरी की मृत्यु

− Gyan Sager

− 1.प्रस्तावना

              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

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− 3.फ्रांस में उच्च शिक्षा

                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!

− 93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!

− उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.

− फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.

− 4.शोध कार्य में भागीदारी

                               पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!

− उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे

− उनका मत था

− यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि

− यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं

− यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है

− .रेडियम का आविष्कार

                                 1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!

− यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!

− यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!

क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!

− 6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

                                     रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया

− उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!

− 7.मैडम क्यूरी की मृत्यु

                             रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.


 रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!

   मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.

− उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग

मैडम क्यूरी-जीवन परिचय