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'''आर. के. षण्मुखम चेट्टी''' (जन्म- [[17 अक्टूबर]], [[1892]], [[कोयंबटूर]], [[तमिलनाडु]]; मृत्यु- [[मई]], [[1953]]) राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने भारत के प्रतिनिधी की हैसियत से विदेशों का दौरा किया। वे औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक और [[असहयोग आंदोलन]] के स्थान पर संवैधानिक उपायों के हिमायती थे।
#REDIRECT [[आर. के. शनमुखम चेट्टी]]
==परिचय==
[[भारत|स्वतंत्र भारत]] के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का जन्म [[17 अक्टूबर]], [[1892]] ई. को [[तमिलनाडु]] के [[कोयंबटूर]] जिले में हुआ था। उन्होंने [[मद्रास]] से कानून की डिग्री ली और [[1919]] में वकालत शुरू कर दी। षण्मुखम चेट्टी प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे। वे [[गोपाल कृष्ण गोखले]], विद्यानंद चंद्र राय, [[मोतीलाल नेहरू]], [[लाला लाजपत राय]], [[रविन्द्र नाथ टैगोर]], [[एनी बेसेंट]] आदि के विचारों से बहुत प्रभावित थे। [[रामायण]], [[महाभारत]] और 'कुरल' का भी उनके जीवन पर प्रभाव पढ़ा। वे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=877|url=}}</ref>
==भारत का प्रतिनिधित्व==
षण्मुखम चेट्टी ने [[1924]] में [[एनी बेसेंट]] के साथ नेशनल कन्वेंशन के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य की हैसियत से [[इंग्लैंड]], [[बांग्लादेश]] और [[यूरोप]] के अनेक देशों का भ्रमण किया। उन्होंने [[1926]] में [[ऑस्ट्रेलिया]] में, [[1927]] से [[1930]] तक जनेवा में और [[1932]] में कनाडा तथा [[ब्रिटेन]] में विभिन्न अवसरों पर [[भारत]] का प्रतिनिधित्व किया। [[1938]] में वे [[संयुक्त राष्ट्र संघ|राष्ट्र संघ]] में [[भारत]] के प्रतिनिधि थे। [[1941]] से [[1942]] में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के न्यूयॉर्क अधिवेशन में भाग लिया और [[1944]] में भी वे अधिवेशन में सम्मिलित हुए।
== संवैधानिक उपायों के पक्षधर==
षण्मुखम चेट्टी औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक थे और असहयोग आंदोलन के स्थान पर संवैधानिक उपायों से इसे प्राप्त करने के पक्षधर थे। वे नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे।
==राजनैतिक उपलब्धियां==
आर. के. षण्मुखम चेट्टी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे। वे [[1920]] से [[1922]] तक मद्रास असेंबली के और [[1930]] से [[1934]] तक केंद्रीय असेंबली के सदस्य थे। वे स्वराज्य पार्टी के टिकट पर चुने गये थे। [[1952]] में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए। षणमुखम कुछ समय तक कोचीन रियासत के दीवान भी रहे। [[भारत]] के स्वतंत्र होने पर [[1947]] में षणमुखम को देश का प्रथम वित्त मंत्री बनाया गया।  [[अगस्त]], [[1949]] तक वे इस पद पर रहे। बाद में कुछ विवादों के कारण उन्होंने [[नेहरू जी]] की सलाह पर इस पद से इस्तीफा दे दिया। [[1951]] से [[1952]] तक वे [[अन्नामलाई विश्वविद्यालय]] के [[कुलपति]] रहे और [[1952]] में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए।
==मृत्यु==
[[भारत|स्वतंत्र भारत]] के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का [[मई]], [[1953]] में निधन हो गया।
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
[[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:राजनेता]][[Category:अधिवक्ता]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
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07:09, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

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