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*रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- [[भारत]] का राष्ट्र-गान [[जन गण मन]] और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान '''आमार सोनार बांग्ला''' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- [[भारत]] का राष्ट्र-गान [[जन गण मन]] और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान '''आमार सोनार बांग्ला''' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
*[[1912]] में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह [[यूरोप]], [[अमेरिका]] और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और [[भारत]] की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। '''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|.... और पढ़ें]]'''
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर की मृत्यु [[7 अगस्त]], [[1941]] को कलकत्ता में हुई। '''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|.... और पढ़ें]]'''
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10:23, 18 जनवरी 2011 का अवतरण

एक व्यक्तित्व

रबीन्द्रनाथ ठाकुर
रबीन्द्रनाथ ठाकुर
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर की मृत्यु 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में हुई। .... और पढ़ें

पिछले व्यक्तित्व → प्रेमचंद · शिवाजी