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चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। [[भारत]] विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पाद का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में [[पश्चिमी बंगाल]], [[उत्तर प्रदेश]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]], [[उड़ीसा]], [[असम]] तथा [[पंजाब]] है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत में राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।
चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। [[भारत]] विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में [[पश्चिमी बंगाल]], [[उत्तर प्रदेश]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]], [[उड़ीसा]], [[असम]] तथा [[पंजाब]] है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।
 
==मिट्टी==
चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक क़िस्म की मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज़ पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए।
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| सुपर फॉस्फेट व अमोनिया, [[नाइट्रोजन]], पोटैशियम आदि।  
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==विश्व उत्पादन==
विश्व में कुल चावल उत्पादन का 90% चावल दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्राप्त किया जाता है। [[एशिया]] में प्रमुख उत्पादन देश [[चीन]], भारत, [[जापान]], [[बांग्लादेश]], [[पाक़िस्तान]], हिन्देशिया, ताइवान, [[म्यांमार]], मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम तथा कोरिया आदि हैं। [[एशिया]] से बाहर चावल के प्रमुख उत्पादक देश मिस्त्र, ब्राजील, अर्जेण्टीना, [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], इटली, स्पेन, तुर्की गिनीकोस्ट तथा मलागासी हैं।
;चीन
[[चीन]] विश्व का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यहाँ पर 3.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 17.1 करोड़ मीट्रिक टन चावल पैदा किया जाता है जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग एक तिहाई है।
;भारत
भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।
;हिन्देशिया
हिन्देशिया विश्व का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है जो कुल उत्पादन का 8% चावल उत्पादन करता है। यहाँ पर जावा द्वीप में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है।
;बांग्लादेश
विश्व का 5% चावल उत्पादन कर [[बांग्लादेश]] विश्व का चौथा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर भूमि के 60% भाग में चावल का उत्पादन किया जाता है। यहाँ वर्ष में चावल की तीन फ़सलें उगाई जाती हैं।
इसके अतिरिक्त थाईलैण्ड, जापान, म्यांमार तथा कोरिया चावल के प्रमुख उत्पादक देश हैं। चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश थाईलैण्ड है। इसके अतिरिक्त म्यांमार, वियतनाम, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब गणराज्य, पाक़िस्तान, इटली, ब्राजील, पेरू तथा आस्ट्रेलिया आदि बड़े निर्यातक देशों में शामिल हैं। चावल का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान मनीला (फिलीपींस) में तथा राष्ट्रीय चावल शोध संस्थान कटक (उड़ीसा) में स्थित है।


==मिट्टी==
====<u>प्रजातियाँ</u>====
चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक किस्‍म की मिट्टी होती हैं जिसमें बालू आही से स्‍लीटी मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना 2 टी/हैक्‍टेयर बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए। पुन: रोपण के समय भूमि से खर-पतवार हटाने और जल धारण बनाए रखने के लिए लगभग तीन से चार बार तक गीली जुताई करनी चाहिए।
हरित क्रांति के दौरान भारत में चावल की अनेक प्रजातियाँ विकसित की गई जिनमें जया, विजया, रत्ना, पद्मा, हंसा, करुणा, कांची, कृष्णा, अन्नपूर्णा आदि प्रमुख हैं। जापानी धान-ताईवान-3 तथा भारतीय धान बासमती के मिश्रण से तैयार करके नई संकर प्रजाति ट्रिटेकेल '''पी. एन. आर. 8''' तैयार किया गया है। भारत में लगभग 2,00,000 क़िस्‍म के चावल हैं। भारत के विभिन्‍न भागों में उपजाये जाने वाले चावल के प्रकार हवा, मिट्टी संरचना, विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। विश्‍व में चावल का सबसे बड़ा कटाई क्षेत्र भारत में स्थित हैं। चावल की खेती पूरे भारत में की जाती है। 1965 से लगभग 600 उन्‍नत क़िस्‍म के इंडिका चावल खेती के लिए जारी किए जाते रहे हैं। चावल की क़िस्‍मों के लिए परिपक्‍वता अवधि 130 से 160 दिनों के बीच है। यह चावल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उपजाया जाता है, पर निर्भर करती है।
;<u>विशिष्ट क़िस्में</u>
आर सी पी एल 1-28 और आर सी पी एल 1-29 चावल की दो क़िस्में है जो समुद्र तल से 800 से 1300 मीटर की ऊँचाई पर उगायी जाती हैं और वे विस्फोट रोधी हैं। आर सी पी एल 1-81-8 चावल की ऐसी क़िस्म है जो मध्‍यम ऊँचा ई में उपजायी जाती है जो लौह विषक्‍तता के प्रति सहनशील है।कुछ विशिष्‍ट प्रकार के चावल विशिष्ट क्षेत्रों में उपजाये जाते हैं। उदाहरण के लिए बासमती [[हिमालय]] की तराई क्षेत्र में उपजाया जाता हैं, सोना [[मसूरी]], [[कर्नाटक]] व [[आंध्र प्रदेश]] में, मोलाकोलुकुलु [[आंध्र प्रदेश]] में और आम्‍बेमोहोर [[महाराष्‍ट्र]] में उपजाया जाता हैं। चावल की दूसरी लोकप्रिय क़िस्में एमजेंसी, चम्‍पा राइस, 1034, आई आर 64 पीनो राइस, सुजाता और राजहंस हैं।
==बुआई व सिंचाई ==
==बुआई व सिंचाई ==
किसी भी क्षेत्र में रोपी जाने वाली चावल की किस्‍म क्षेत्र की ऊँचाई पर निर्भर करती है और यदि ऊँची भूमि पर रह रहे हो या निचली भूमि पर। ऊंचाई की भूमि सूखी या अर्ध सूखी होती हैं और पूरक सिंचाई की सुविधा नहीं होती है। यहाँ किसान अपना खेत सींचने के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। जुताई करने के बाद समान रूप से खेत से खाद बुआई के 2 से 3 सप्‍ताह पहले वितरित किया जाता है। बीज बुआई, हल के पीछे बीज बोना या बोरिंग का प्रसारण करके मानूसन की बारिश होने के तुरन्‍त बाद बीज बोया जाता है। बीज पंक्तियों में 2 सें. मी. की दूरी पर बोया जाना चाहिए। (5ग्राम बीज/3 मीटर पंक्ति में) । फसल उगाने का सर्वोत्‍कृष्‍ठ रूप पंक्ति में बोना है जिससे खर - पतवार की निकौनी करने, अतंर फसल के लिए सुविधाजनक होता है और इसके लिए कम बीज दर की आवश्‍यकता होती है। उडीसा और मध्‍य प्रदेश जैसे राज्‍यों में ब्‍यूशेनिंग प्रणाली सामान्‍य रूप से प्रचलित है। इसमें सूखे समय में बोयी गई खडी फसल की तिरछी जुताई होती है यह खेत में 15 से 20 से. मी. वर्षा का पानी भरने के बाद किया जाता है इससे खर-पतवार पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है और संख्‍या का समायोजन होता है।
किसी भी क्षेत्र में रोपी जाने वाली चावल की क़िस्म क्षेत्र की ऊँचाई पर निर्भर करती है। ऊँचाई की भूमि सूखी या अर्ध सूखी होती हैं। यहाँ किसान अपना खेत सींचने के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। जुताई करने के बाद समान रूप से खेत से खाद बुआई के 2 से 3 सप्‍ताह पहले वितरित किया जाता है। बीज बुआई, हल के पीछे बीज बोना या बोरिंग का प्रसारण करके मानूसन की बारिश होने के तुरन्‍त बाद बीज बोया जाता है। बीज पंक्तियों में 2 सेन्टीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए।  
==गीली जुताई==
गीली या निचली भूमि खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सुनिश्चित तौर पर पर्याप्‍त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है चाहे वह वर्षा से हो या सिंचाई द्वारा। ऊँची भूमि की खेती के बीच मुख्‍य अंतर इस तथ्‍य के कारण होता है कि बीज सीधे नहीं बोये जाते हैं परंतु नर्ससरी से छोटे पौधों के रूप में पुन: रोपण किए जाते हैं या अंकुरित बीजों को गीली जुताई के खेते में बोया जाता है। खेत की अच्‍छी तरह जुताई की जाती है और 3 से 5 से. मी. जमा पानी में गीली जुताई की जाती है जिससे कि सीडलिंग के लिए मुलायम सतह प्राप्‍त की जा सके इससे तुरंत वृद्धि होती है और इससे पोषण लीचिंग और खर-पतवार कम होता है। गीली जुताई करने के बाद भूमि को जल और अर्वरक के समान वितरण के लिए समतल किया जाता है।


केरल में चावल की खेती तटीय नहरों ओर लैगूनों के खेतो में की जाती है। यह (भेड़) डाइक के निर्माण करने के बाद किया जाता है जो दल - दल को सूखाता है। दक्षिणी राज्‍य जैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश अपने खेत सींचने के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं। पंजाब और हरियाणा में चावल के खेतो को नहर जैसे आधुनिक प्रणाली से सींचा जाता है। यहां चावल वाणिज्यिक फसल के रूप में उपजाया जाता है यह उच्‍च दोमतीय मिट्टी पर की जाती है जो पारंपरिक चावल ऊपजाने वाले क्षेत्रों की मिट्टी से भिन्‍न होती है।
गीली या निचली भूमि खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सुनिश्चित तौर पर पर्याप्‍त मात्रा में [[जल]] की आपूर्ति होती है चाहे वह वर्षा से हो या सिंचाई द्वारा। गीली जुताई करने के बाद भूमि को जल और अर्वरक के समान वितरण के लिए समतल किया जाता है।  
==मौसम==
==मौसम==
बुआई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं। ये हैं रबी और खरीफ मौसम।  
बुआई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं:- रबी और ख़रीफ़ मौसम। चावल एक ख़रीफ़ फ़सल है। चावल की कटाई [[अक्‍टूबर]]-[[नवम्‍बर]] में की जाती है।  
;खरीफ फसल
;<u>चावल की खेती</u>
खरीफ फसलों को ग्रीष्‍म के आरंभ में रोपा जाता है और सिंचाई के लिए ग्रीष्‍म मानसून पर निर्भर रहती हैं। जुताई मार्च और मई माह के बीच की जाती है यह क्षेत्र की ऊंचाई और वर्षा शुरू होने की तारीख पर निर्भर करता है। नर्सरी को अप्रैल और जून के बीच तैयार किया जाता हैं और एक माह के बाद खेतों में रोपा जाता है। चावल की कटाई अक्‍टूबर - नवम्‍बर में की जाती है। आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्‍यों में रबी फसल खेतों में बोए या रोपे जाते हैं नवम्‍बर - दिसम्‍बर के सर्द माहो में। इसकी कटाई मई - जून में की जाती है।  
केरल में चावल की खेती तटीय नहरों ओर लैगूनों के खेतों में की जाती है। यह (भेड़) डाइक के निर्माण करने के बाद किया जाता है जो दल-दल को सूखाता है। दक्षिणी राज्‍य जैसे [[कर्नाटक]] और [[आंध्र प्रदेश]] अपने खेत सींचने के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं। [[पंजाब]] और [[हरियाणा]] में चावल के खेतों को नहर जैसे आधुनिक प्रणाली से सींचा जाता है। यहाँ चावल वाणिज्यिक फ़सल के रूप में उपजाया जाता है। यह उच्‍च दोमतीय मिट्टी पर की जाती है जो पारंपरिक चावल उपजाने वाले क्षेत्रों की मिट्टी से भिन्‍न होती है।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/citizen/agriculture/rice.php |title=चावल |accessmonthday=[[28 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारत डॉट जीओवी डॉट इन |language=हिन्दी }}</ref>
==प्रजातियाँ==
हरित क्रांति के दौरान भारत में चावल की अनेक प्रजातियाँ विकसित की गई जिनमें जया, विजया, रत्ना, पद्मा, हंसा, करुणा, कांची, कृष्णा, अन्नपूर्णा आदि प्रमुख हैं। जापानी धान-ताईवान-3 तथा भारतीय धान बासमती के मिश्रण से तैयार करके नई संकर प्रजाति ट्रिटेकेल पी. एन. आर. 8 तैयार किया गया है। भारत में लगभग 2,00,000 किस्‍म के चावल हैं जिसमें से लगभग 4,000 उपजाया जाता है। भारत के विभिन्‍न भागों में उपजाये जाने वाले चावल के प्रकार हवा, मिट्टी संरचना, विशेषताओं और प्रयोजनों पर निर्भर करते हैं। भारत में चावल के लिए विश्‍व का सबसे बड़ा कटाई क्षेत्र हैं। चावल की खेती पूरे भारत में की जाती है जिसमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा और बिहार मुख्‍य चावल उत्‍पादक राज्‍य हैं। 1965 से लगभग 600 उन्‍नत किस्‍म के इंडिका चावल खेती के लिए जारी किए जाते रहे हैं। चावल की किस्‍मों के लिए परिपक्‍वता अवधि 130 से 160 दिनों के बीच है यह चावल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उपजाया जाता है, पर निर्भर करती है।  
;विशिष्ट किस्में
आर सी पी एल 1-28 और आर सी पी एल 1-29 चावल की दो किस्‍में है जो समुद्र तल से 800 से 1300 मीटर की ऊंचाई पर उगायी जाती हैं और वे विस्फोट रोधी हैं। आर सी पी एल 1-81-8 चावल की ऐसी किस्‍म है जो मध्‍यम ऊंचाई में उपजायी जाती है जो लौह विषक्‍तता के प्रति सहनशील है। कुछ विशिष्‍ट प्रकार के चावल विशिष्ट क्षेत्रों में उपजाये जाते हैं। उदाहरण के लिए बसमती हिमालय की तराई क्षेत्र में उपजाया जाता हैं, सोना मसूरी कर्नाटक में और आंध्र प्रदेश में, मोलाकोलुकुलु आंध्र प्रदेश में, पटना चावल बिहार में और आम्‍बेमोहोर महाराष्‍ट्र में उपजाया जाता हैं। चावल की दूसरी लोकप्रिय किस्‍में हैं, एमजेंसी, चम्‍पा राइस, 1034, आई आर 64 पीनो राइस, सुजाता और राजहंस।
 
एशिया में प्रमुख उत्पादन देश- चीन, भारत, जापान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, हिन्देशिया, ताइवान, म्यांमार, मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम तथा कोरिया आदि।
 
चीन- चीन विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर 3.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 17.1 करोड़ मीट्रिक टन चावल पैदा किया जाता है जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग एक- तिहाई है।
 


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07:19, 28 जनवरी 2011 का अवतरण

चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।

मिट्टी

चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक क़िस्म की मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज़ पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए।

तापमान 200 से 270 सेंन्टीग्रेट
वर्षा 150 सेन्टीमीटर 200 सेन्टीमीटर
मिट्टी चिकनी (जलोढ़)
खाद सुपर फॉस्फेट व अमोनिया, नाइट्रोजन, पोटैशियम आदि।

विश्व उत्पादन

विश्व में कुल चावल उत्पादन का 90% चावल दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्राप्त किया जाता है। एशिया में प्रमुख उत्पादन देश चीन, भारत, जापान, बांग्लादेश, पाक़िस्तान, हिन्देशिया, ताइवान, म्यांमार, मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम तथा कोरिया आदि हैं। एशिया से बाहर चावल के प्रमुख उत्पादक देश मिस्त्र, ब्राजील, अर्जेण्टीना, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, स्पेन, तुर्की गिनीकोस्ट तथा मलागासी हैं।

चीन

चीन विश्व का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यहाँ पर 3.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 17.1 करोड़ मीट्रिक टन चावल पैदा किया जाता है जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग एक तिहाई है।

भारत

भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।

हिन्देशिया

हिन्देशिया विश्व का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है जो कुल उत्पादन का 8% चावल उत्पादन करता है। यहाँ पर जावा द्वीप में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है।

बांग्लादेश

विश्व का 5% चावल उत्पादन कर बांग्लादेश विश्व का चौथा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर भूमि के 60% भाग में चावल का उत्पादन किया जाता है। यहाँ वर्ष में चावल की तीन फ़सलें उगाई जाती हैं।

इसके अतिरिक्त थाईलैण्ड, जापान, म्यांमार तथा कोरिया चावल के प्रमुख उत्पादक देश हैं। चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश थाईलैण्ड है। इसके अतिरिक्त म्यांमार, वियतनाम, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब गणराज्य, पाक़िस्तान, इटली, ब्राजील, पेरू तथा आस्ट्रेलिया आदि बड़े निर्यातक देशों में शामिल हैं। चावल का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान मनीला (फिलीपींस) में तथा राष्ट्रीय चावल शोध संस्थान कटक (उड़ीसा) में स्थित है।

प्रजातियाँ

हरित क्रांति के दौरान भारत में चावल की अनेक प्रजातियाँ विकसित की गई जिनमें जया, विजया, रत्ना, पद्मा, हंसा, करुणा, कांची, कृष्णा, अन्नपूर्णा आदि प्रमुख हैं। जापानी धान-ताईवान-3 तथा भारतीय धान बासमती के मिश्रण से तैयार करके नई संकर प्रजाति ट्रिटेकेल पी. एन. आर. 8 तैयार किया गया है। भारत में लगभग 2,00,000 क़िस्‍म के चावल हैं। भारत के विभिन्‍न भागों में उपजाये जाने वाले चावल के प्रकार हवा, मिट्टी संरचना, विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। विश्‍व में चावल का सबसे बड़ा कटाई क्षेत्र भारत में स्थित हैं। चावल की खेती पूरे भारत में की जाती है। 1965 से लगभग 600 उन्‍नत क़िस्‍म के इंडिका चावल खेती के लिए जारी किए जाते रहे हैं। चावल की क़िस्‍मों के लिए परिपक्‍वता अवधि 130 से 160 दिनों के बीच है। यह चावल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उपजाया जाता है, पर निर्भर करती है।

विशिष्ट क़िस्में

आर सी पी एल 1-28 और आर सी पी एल 1-29 चावल की दो क़िस्में है जो समुद्र तल से 800 से 1300 मीटर की ऊँचाई पर उगायी जाती हैं और वे विस्फोट रोधी हैं। आर सी पी एल 1-81-8 चावल की ऐसी क़िस्म है जो मध्‍यम ऊँचा ई में उपजायी जाती है जो लौह विषक्‍तता के प्रति सहनशील है।कुछ विशिष्‍ट प्रकार के चावल विशिष्ट क्षेत्रों में उपजाये जाते हैं। उदाहरण के लिए बासमती हिमालय की तराई क्षेत्र में उपजाया जाता हैं, सोना मसूरी, कर्नाटकआंध्र प्रदेश में, मोलाकोलुकुलु आंध्र प्रदेश में और आम्‍बेमोहोर महाराष्‍ट्र में उपजाया जाता हैं। चावल की दूसरी लोकप्रिय क़िस्में एमजेंसी, चम्‍पा राइस, 1034, आई आर 64 पीनो राइस, सुजाता और राजहंस हैं।

बुआई व सिंचाई

किसी भी क्षेत्र में रोपी जाने वाली चावल की क़िस्म क्षेत्र की ऊँचाई पर निर्भर करती है। ऊँचाई की भूमि सूखी या अर्ध सूखी होती हैं। यहाँ किसान अपना खेत सींचने के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। जुताई करने के बाद समान रूप से खेत से खाद बुआई के 2 से 3 सप्‍ताह पहले वितरित किया जाता है। बीज बुआई, हल के पीछे बीज बोना या बोरिंग का प्रसारण करके मानूसन की बारिश होने के तुरन्‍त बाद बीज बोया जाता है। बीज पंक्तियों में 2 सेन्टीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए।

गीली या निचली भूमि खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सुनिश्चित तौर पर पर्याप्‍त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है चाहे वह वर्षा से हो या सिंचाई द्वारा। गीली जुताई करने के बाद भूमि को जल और अर्वरक के समान वितरण के लिए समतल किया जाता है।

मौसम

बुआई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं:- रबी और ख़रीफ़ मौसम। चावल एक ख़रीफ़ फ़सल है। चावल की कटाई अक्‍टूबर-नवम्‍बर में की जाती है।

चावल की खेती

केरल में चावल की खेती तटीय नहरों ओर लैगूनों के खेतों में की जाती है। यह (भेड़) डाइक के निर्माण करने के बाद किया जाता है जो दल-दल को सूखाता है। दक्षिणी राज्‍य जैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश अपने खेत सींचने के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं। पंजाब और हरियाणा में चावल के खेतों को नहर जैसे आधुनिक प्रणाली से सींचा जाता है। यहाँ चावल वाणिज्यिक फ़सल के रूप में उपजाया जाता है। यह उच्‍च दोमतीय मिट्टी पर की जाती है जो पारंपरिक चावल उपजाने वाले क्षेत्रों की मिट्टी से भिन्‍न होती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चावल (हिन्दी) भारत डॉट जीओवी डॉट इन। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2011