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*मनुष्य की कुछ आदतें (जैसे मादक वस्तुओं का सेवन) ऐसी हो सकती है जो पूर्वानुभाव की प्राप्ति के लिए उसे आतुर बना सकती है। | *मनुष्य की कुछ आदतें (जैसे मादक वस्तुओं का सेवन) ऐसी हो सकती है जो पूर्वानुभाव की प्राप्ति के लिए उसे आतुर बना सकती है। | ||
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*आदत का | *आदत का बनना व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर होता है। | ||
*मेरुदंड के वाहक तंतुओं में एक संबंध स्थापित हो जाने से आदत पड़ती है। | *[[मेरुदंड]] के वाहक तंतुओं में एक संबंध स्थापित हो जाने से आदत पड़ती है। | ||
*आदत चेतन प्राणी की स्वेच्छा का फल होती है। | *आदत चेतन प्राणी की स्वेच्छा का फल होती है। | ||
*प्रयोजनवाद और मनोविश्लेषणवाद के अनुसार आदत रुचि के आधार पर बनती है। | *प्रयोजनवाद और मनोविश्लेषणवाद के अनुसार आदत रुचि के आधार पर बनती है। | ||
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*आदतों का दास न होकर हमें उनका स्वामी होना चाहिए। | *आदतों का दास न होकर हमें उनका स्वामी होना चाहिए। | ||
*संकल्प की दृढ़ता, कार्य शीलता, संलग्नता तथा अभ्यास से आदत डाली जा सकती है। मारने पीटने से आदतें और दृढ़ हो जाती हैं। | *संकल्प की दृढ़ता, कार्य शीलता, संलग्नता तथा अभ्यास से आदत डाली जा सकती है। मारने पीटने से आदतें और दृढ़ हो जाती हैं। | ||
*बुरी आदतों को | *बुरी आदतों को छुड़ाने के लिए उनसे संबद्ध विकृत [[संवेग]] को नष्ट करके भावनाग्रंथियों को खोलना आवश्यक है। | ||
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11:53, 1 सितम्बर 2011 का अवतरण
- आदत या स्वभाव मनुष्य की अर्जित प्रवृत्ति है।
- पशुओं में भी विभिन्न आदतें पाई जाती हैं।
- मनुष्य की कुछ आदतें (जैसे मादक वस्तुओं का सेवन) ऐसी हो सकती है जो पूर्वानुभाव की प्राप्ति के लिए उसे आतुर बना सकती है।
- आदत मुनष्य के मानसिक संस्कार का रूप ले सकती हैं।
- आदत का बनना व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर होता है।
- मेरुदंड के वाहक तंतुओं में एक संबंध स्थापित हो जाने से आदत पड़ती है।
- आदत चेतन प्राणी की स्वेच्छा का फल होती है।
- प्रयोजनवाद और मनोविश्लेषणवाद के अनुसार आदत रुचि के आधार पर बनती है।
- आदत की विलक्षणताएँ हैं एकरूपता, सुगमता, रोचकता और ध्यानस्वतांयत्रय।
- आदत के आधार पर हमारे बहुत से कार्य चलते हैं।
- आदतों का दास न होकर हमें उनका स्वामी होना चाहिए।
- संकल्प की दृढ़ता, कार्य शीलता, संलग्नता तथा अभ्यास से आदत डाली जा सकती है। मारने पीटने से आदतें और दृढ़ हो जाती हैं।
- बुरी आदतों को छुड़ाने के लिए उनसे संबद्ध विकृत संवेग को नष्ट करके भावनाग्रंथियों को खोलना आवश्यक है।
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