"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-श्रीरंगम | -[[श्रीरंगम]] | ||
-[[तंजौर]] | -[[तंजौर]] | ||
-त्रिचिनापल्ली | -त्रिचिनापल्ली | ||
||[[अर्काट]], [[कर्नाटक]] का एक नगर है, जिसे कर्नाटक के नवाब [[अनवरुद्दीन]] (1743-49 ई.) ने अपनी राजधानी बनाया। [[कर्नाटक युद्ध द्वितीय|दूसरे कर्नाटक युद्ध]] (1751-54 ई.) में इस नगर का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यहाँ पर एक मज़बूत क़िला था, जो आम्बूर (1749 ई.) की लड़ाई में अनवरुद्दीन की हार और मौत के बाद [[चन्दा साहब]] के नियंत्रण में चला गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्काट]] | |||
{जब [[सिन्ध]] का विलय हुआ, उस समय [[भारत]] का [[गवर्नर-जनरल]] कौन था? | {जब [[सिन्ध]] का विलय हुआ, उस समय [[भारत]] का [[गवर्नर-जनरल]] कौन था? | ||
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-[[लॉर्ड हार्डिंग प्रथम]] | -[[लॉर्ड हार्डिंग प्रथम]] | ||
-[[लॉर्ड हेस्टिंग्स]] | -[[लॉर्ड हेस्टिंग्स]] | ||
||1842 ई. में [[लॉर्ड एलनबरो]] की [[भारत]] के [[गवर्नर-जनरल]] के पद पर नियुक्ति हुई। लॉर्ड एलनबरो के समय में प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध समाप्त हुआ। एलनबरो ने चार्ल्स नेपियर को असैनिक एवं सैनिक शक्तियों के साथ [[सिन्ध]] भेजा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड एलेनबरो]] | |||
{वह ब्रिटिश सेनापति कौन था, जिसने मीर कासिम को 1763 ई. में कई युद्धों में परास्त किया? | {वह ब्रिटिश सेनापति कौन था, जिसने मीर कासिम को 1763 ई. में कई युद्धों में परास्त किया? | ||
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-भारत में निर्यात से अधिक आयात का होना | -भारत में निर्यात से अधिक आयात का होना | ||
-भारत से [[सोना]]-[[चाँदी]] विदेशों में ले जाना | -[[भारत]] से [[सोना]]-[[चाँदी]] विदेशों में ले जाना | ||
-प्रतिभा का पलायन | -प्रतिभा का पलायन | ||
+जो धन बाहर जाता था, उसके बदले कुछ भी प्राप्त न होना | +जो धन बाहर जाता था, उसके बदले कुछ भी प्राप्त न होना | ||
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-[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] | -[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] | ||
{'अखिल भारतीय किसान सभा' का गठन कब और कहाँ हुआ था? | {'[[अखिल भारतीय किसान सभा]]' का गठन कब और कहाँ हुआ था? | ||
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-1935-[[बम्बई]] | -1935-[[बम्बई]] | ||
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-1938-[[कलकत्ता]] | -1938-[[कलकत्ता]] | ||
+1934-[[लखनऊ]] | +1934-[[लखनऊ]] | ||
||[[चित्र:Rumi-Darwaza-Lucknow.jpg|right|120px|रूमी दरवाज़ा लखनऊ]]सन 1902 ई. में 'नार्थ वेस्ट प्रोविन्स' का नाम बदलकर 'यूनाइटेड प्रोविन्स ऑफ़ आगरा एण्ड अवध' कर दिया गया। साधारण बोलचाल की [[भाषा]] में इसे 'यूनाइटेड प्रोविन्स' या 'यूपी' कहा गया। सन 1920 ई. में प्रदेश की राजधानी को [[इलाहाबाद]] से बदलकर [[लखनऊ]] कर दिया गया। '[[अखिल भारतीय किसान सभा]]' का आयोजन 1934 ई. में लखनऊ में ही किया गया था। स्वतन्त्रता के बाद 12 जनवरी सन 1950 ई. में इसका नाम बदलकर [[उत्तर प्रदेश]] रख दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]] | |||
{'नेहरू रिपोर्ट' का मूल विषय क्या था? | {'नेहरू रिपोर्ट' का मूल विषय क्या था? | ||
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-[[महात्मा गाँधी]] | -[[महात्मा गाँधी]] | ||
{किस व्यक्ति ने [[गाँधीजी]] के [[नमक सत्याग्रह]] की तुलना नेपोलियन की पेरिस यात्रा से की थी? | {किस व्यक्ति ने [[गाँधीजी]] के [[नमक सत्याग्रह]] की तुलना 'नेपोलियन' की पेरिस यात्रा से की थी? | ||
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-[[जवाहर लाल नेहरू]] | -[[जवाहर लाल नेहरू]] | ||
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-[[एटली]] | -[[एटली]] | ||
-[[लाला लाजपत राय]] | -[[लाला लाजपत राय]] | ||
||[[चित्र:Subhash-Chandra-Bose-2.jpg|right|120px|सुभाषचन्द्र बोस]][[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए सुभाषचन्द्र बोस ने क़रीब-क़रीब पूरे [[यूरोप]] में अलख जगाया। बोस प्रकृति से [[साधु]], ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से देशभक्त थे। [[महात्मा गाँधी]] के [[नमक सत्याग्रह]] को 'नेपोलियन की पेरिस यात्रा' की संज्ञा देने वाले सुभाषचन्द्र बोस का एक ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका, जिसके पाँव लक्ष्य से पीछे नहीं हटे, जिसने जो भी स्वप्न देखे, उन्हें साधा और जिसमें सच्चाई के सामने खड़े होने की अद्भुत क्षमता थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभाषचन्द्र बोस]] | |||
{किस [[गवर्नर-जनरल]] ने अपने को ‘[[बंगाल]] का शेर’ कहा था? | {किस [[गवर्नर-जनरल]] ने अपने को ‘[[बंगाल]] का शेर’ कहा था? | ||
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-[[वारेन हेस्टिंग्स]] | -[[वारेन हेस्टिंग्स]] | ||
+[[लॉर्ड वेलेज़ली]] | +[[लॉर्ड वेलेज़ली]] | ||
||[[चित्र:Lord arthur wellesley.jpg|right|120px|लॉर्ड वेलेज़ली]]लॉर्ड वेलेज़ली ने [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] को व्यापारिक कम्पनी के स्थान पर एक शक्तिशाली राजनैतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। लॉर्ड वेलेज़ली '[[बंगाल]] का शेर' के उपनाम से भी प्रसिद्ध थे। इनके समय में ही 1801 ई. में [[मद्रास]] प्रेसीडेन्सी का सृजन किया गया। नेपोलियन के विस्तार को रोकने के लिए वेलेज़ली ने [[भारत]] से जनरल वेयर्ड के नेतृत्व में एक सैनिक दस्ता [[मिस्र]] भेजा था। इन्हीं के कार्यकाल में [[आंग्ल-मराठा युद्ध द्वितीय|द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध]] (1803-1806 ई.) हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड वेलेज़ली]] | |||
{'[[शिमला]] का संन्यासी' के नाम से कौन विख्यात है? | {'[[शिमला]] का संन्यासी' के नाम से कौन विख्यात है? | ||
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-[[महात्मा गाँधी]] | -[[महात्मा गाँधी]] | ||
+ | +[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] | ||
-मौलाना मुहम्मद अली | -मौलाना मुहम्मद अली | ||
-[[जवाहर लाल नेहरू]] | -[[जवाहर लाल नेहरू]] | ||
||[[सर सैयद अहमद ख़ाँ|right|120px|सर सैयद अहमद ख़ाँ]]सर सैयद अहमद ख़ाँ ने लोगों को आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया था, क्योंकि वह जानते थे कि, आधुनिक शिक्षा के बिना प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने मुसलमानों और हिन्दुओं के विरोधात्मक स्वर को चुपचाप सहन किया। इसी सहनशीलता का परिणाम है, कि आज वे एक युग पुरुष के रूप में याद किए जाते हैं और [[हिन्दू]] तथा [[मुसलमान]] दोनों ही उनका आदर करते हैं। सर सैयद अहमद ख़ाँ ने सदा ही यह बात अपने भाषणों में कही थी कि, 'हिन्दू और मुसलमान [[भारत]] की दो आँखें हैं'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ|सैय्यद अहमद ख़ाँ]] | |||
{1908 ई. में मजदूरों ने [[बम्बई]] में 6 दिन तक हड़ताल रखी। इसका मुख्य उद्देश्य क्या था? | {1908 ई. में मजदूरों ने [[बम्बई]] में 6 दिन तक हड़ताल रखी। इसका मुख्य उद्देश्य क्या था? |
08:17, 10 अगस्त 2011 का अवतरण
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