"आत्मकथ्य -जयशंकर प्रसाद": अवतरणों में अंतर
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अरे खिल-खिलाकर हँसने वाली उन बातों की। | अरे खिल-खिलाकर हँसने वाली उन बातों की। | ||
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न | मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। | ||
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया। | आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया। |
06:53, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
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मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी अपनी यह, |